1978 के बाद इस वर्ष गंडक नदी में सबसे तेज हो रहा कटाव, लोग पलायन को मजबूर हुए लोग
गंडक नदी में बाढ़ से कटाव के कारण 1978 में दर्जनों गांव गंडक नदी में विलीन हो गए थे. इसके बाद इस वर्ष गंडक में इतना तेज कटाव देखने को मिल रहा है. कटाव के कारण ठकराहा के हरख टोला का अस्तित्व कभी भी समाप्त हो सकता है. इससे पूरे गांव में मची अफरा तफरी का माहौल है.
गंडक नदी का पानी घटने के साथ ही ठकराहा प्रखंड के मोतीपुर पंचायत के हरख टोला मुसहरी में गंडक नदी के तांडव ने लोगों को गांव से सामान समेट कर पलायन करने पर मजबूर कर दिया है. गुरुवार से नदी के जलस्तर में कमी आने के साथ ही कटाव की रफ्तार तेज हो गयी है. नदी गांव के बिल्कुल नजदीक पहुंच गई है. जिससे ग्रामीणों में अफरा तफरी का माहौल कायम है. लोग अपना सामान और माल मवेशियों को लेकर ऊंचे स्थान की ओर पलायन कर रहे हैं. ग्रामीण चनेश्वर मिश्र, परमेश्वर, फरिंद्र मिश्र, रवींद्र मिश्र, गमहा यादव, दिना कुर्मी, जगदीश यादव, विजय यादव, रमेश यादव, नागेंद्र यादव, प्रकाश यादव, मु. मरछिया, मु. सुशीला आदि ने बताया कि पिछले एक माह से नदी कटाव करते गांव तक पहुंच गई.
विभागीय पदाधिकारियों व स्थानीय प्रशासन से बचाव कार्य करने की गुहार लगाया गया पर कोई असर नहीं हुआ. सिंचाई विभाग के अभियंता तथा अधिकारी मूकदर्शक बने हुए है. फलस्वरूप आज नदी गांव के पास पहुंच गयी है. आलम यह कि अपने हाथों से लोग अपने आशियाने को उजाड़ रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि यदि समय से विभाग के द्वारा कटाव से बचाव के लिए कार्य किया गया होता तो शायद गांव को सुरक्षित किया जा सकता था. वही 85 वर्षीय रति यादव ने बताया कि 40 वर्ष पूर्व 1978 में इसी तरह गंडक की बौराई धारा ने नौका टोला, लंगड़ा टोला, गोसाई टोला, बीनटोली, जगावा टोला, तिवारी टोला, कुटी टोला सहित दर्जन भर गांव गंडक नदी में विलीन हो गयी थी. जिससे उक्त गांव के लोग यूपी समेत प्रखंड के विभिन्न जगहों पर अपना ठिकाना बनाए हुए हैं. आज शिवपुर मुसहरी और हरखटोला गांव भी गंडक नदी के गर्भ में समाहित होने के कगार पर है. वही शुक्रवार को सीओ श्री राहुल और थानाध्यक्ष अजय कुमार समेत बीडीसी अर्थ राज यादव व मुखिया जितेंद्र मिश्रा झुन्नु ने उक्त गांव का निरीक्षण किया तथा लोगों को ऊंचे स्थान या बाढ़ आश्रय भवन में जाने का निर्देश दिया.
ठकराहा अंचलाधिकारी ने बताया कि उनके द्वारा गांव का निरीक्षण किया गया. वर्तमान में गांव में बाढ़ नहीं है. कटाव की स्थिति के संबंध में वरीय पदाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है. फिलहाल नदी के रुख को देखते हुए गांव के लोगों को ऊंचे स्थानों पर सुरक्षित चले जाने को कहा गया है.
बाढ़ आश्रय भवन में जाने से कतरा रहे हैं लोगग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ आश्रय भवन की दूरी यहां से छह किलोमीटर है. दूरी के लिहाज से वहां पहुंचना संभव नहीं है. वहीं बाढ़ आश्रय भवन की दीवारों में दरार आ गये है जो खतरे का संकेत दे रहा है. वहां आश्रय लेना जोखिम भरा है.