एक अरसे बाद खेती के अनुकूल मौसम से किसान खुश, प्रति हेक्टेयर 4-5 लाख टन पहुंच सकता है बिहार में गेहूं का उत्पादन
अगर इसी तरह ठंड पड़ती रही और मार्च में सामान्य तापमान रहा तो प्रदेश में गेहूं के उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 4-5 टन तक पहुंच सकती है.
पटना : प्रदेश में एक अरसे बाद ठंड की आदर्श स्थिति नवंबर से ही बनी हुई है. यह स्थिति रबी की फसलों विशेष रूप से गेहूं के लिए वरदान साबित हो सकती है.
अगर इसी तरह ठंड पड़ती रही और मार्च में सामान्य तापमान रहा तो प्रदेश में गेहूं के उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 4-5 टन तक पहुंच सकती है.
दरअसल, अंकुरण से लेकर फूल-दाने आने तक के लिए इतनी ठंड उपयोगी है. प्रदेश में प्रति हेक्टेयर गेहूं का अभी उत्पादन अभी तीन टन के आसपास है.
डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ मौसम कृषि विज्ञानी डॉ ए सत्तार ने कहा कि इस साल पिछले सालों की तुलना में लंबे समय तक और रिकाॅर्ड तोड़ ठंड पड़ेगी.
पश्चिमी विक्षोभ इस साल कुछ ज्यादा सक्रिय है. हालांकि, अगर इसी तरह ठंड पड़ेगी तो यह फसल के लिए सर्वाधिक फायदेमंद है.
गेहूं के प्रति हेक्टेयर में असाधारण इजाफा हो सकता है. दुधारू पशुओं को बचाने की जरूरत है. पशु घरों को गर्म रखने की पशु पालकों से अपील की गयी है.
इधर , बिहार के गंगा के मैदानी इलाके में सोमवार को सीवियर कोल्ड वेव और यूपी से सटी कुछ एक जगहों पर कोल्ड डे की मौसमी दशा बनने की आशंका है.
10 से 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बह रही शीतलहर से प्रदेश में कंपकंपी महसूस की गयी. ऐसी स्थिति 23 दिसंबर तक बनी रहेगी.
मौसम विज्ञानियों का मानना है कि इस साल सर्दी पिछले कुछ सालों की तुलना में लंबे समय तक पड़ेगी.
Posted by Ashish Jha