एयरपोर्ट के बाद पूर्णिया में अब ये बना बड़ा मुद्दा, सड़क से संसद तक आंदोलन की बनायी जा रही रणनीति
लोग मानते हैं कि इस मामले में कभी सरकार उदासीन रही है तो कभी कमजोर राजनीतिक नेतृत्व बाधक साबित हुआ. कुछ ऐसी ही परिस्थितियां बनते देख पूर्णियावासियों ने इस इलाके में एम्स के निर्माण को अपना नया मुद्दा बनाया है और इसके लिए गोलबंदी की मुहिम भी शुरू कर दी है.
पूर्णिया. विकास के इस दौर में पूर्णिया ने कई सीढ़ियां तय कर ली पर अभी बहुत कुछ नहीं हो सका है. पूर्णिया को विश्वविद्यालय मिला तो मेडिकल और इंजीनिरिंग कॉलेज का भी निर्माण हुआ. मगर, पूर्णिया के संपूर्ण विकास का वह सपना अब तक पूरा नहीं हो सका है जिसकी आस यहां के लोग सालों से लगाये बैठे हैं. हाल के वर्षां में एयरपोर्ट को लेकर पूर्णिया काफी गरमाया और यह आस बंध गई कि आने वाले दिनों में पूर्णिया से हवाई सेवा शुरू होगी पर पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल में ‘एम्स‘ जैसी सबसे बड़ी अनिवार्य आवश्यकता की मांग अधर में लटकी रह गयी. लोग मानते हैं कि इस मामले में कभी सरकार उदासीन रही है तो कभी कमजोर राजनीतिक नेतृत्व बाधक साबित हुआ. कुछ ऐसी ही परिस्थितियां बनते देख पूर्णियावासियों ने इस इलाके में एम्स के निर्माण को अपना नया मुद्दा बनाया है और इसके लिए गोलबंदी की मुहिम भी शुरू कर दी है. समझा जाता है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा मुखर रूप से उठेगा जिसका असर आगामी चुनाव पर भी पड़ सकता है.
महज मांग नहीं पूर्णिया की जरूरत है एम्स का निर्माण
चार जिलों के प्रमंडलीय मुख्यालय में एम्स निर्माण महज मांग नहीं बल्कि यह पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल की जरुरत है. जिले के नागरिक इस मांग को लेकर काफी संजीदा हैं कि सियासी महकमे में पूर्णिया की इस जरुरत को कभी तवज्जो नहीं दिया गया. नागरिकों का कहना है कि करीब 11 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले लगभग डेढ़ करोड़ की आबादी को समेटे सीमांचल में बेहतर और आधुनिक चिकित्सा सुविधा के लिए एम्स जैसे सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल खुलने का मुद्दत से इंतजार है. बेहतर चिकित्सा सुविधा के अभाव में यहां के लोगों को पटना या सिलीगुड़ी जैसे दूर-दराज के इलाकों में भटकना पड़ता है.
गरीबों के लिए 500 किमी दूर जाना संभव नहीं
जानकारों का कहना है कि सीमांचल के सुदूर क्षेत्रों से पटना की दूरी लगभग 500 किलोमीटर है. इतनी दूर जाकर मुकदमा लड़ना गरीब तबके के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है. नागरिकों का कहना है कि संपन्न परिवार तो फिर भी हिम्मत कर बड़े-बड़े प्राइवेट मेडिकल सेंटर्स में चले जाते है पर जो सरकार द्वारा तय की गई गरीबी की परिभाषा के तहत आते है, वैसे भूमिहीन, मजदूर वर्ग, किसान परिवार के लोगो को इलाज का खर्चा वहन कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. नतीजतन वे इलाज के लिए हाइयर सेंटर तक नहीं जा पाते और कभी हिम्मत भी जुटायी तो देर होने के कारण रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. जानकारों का कहना है कि हर साल कई लोगों की जान बेहतर इलाज के अभाव में हो जाती है. हालांकि पूर्णिया में मेडिकल काॅलेज अस्पताल खुल गया है पर यहां एम्स की आवश्यकता महसूस की जा रही है.
पूर्वी बिहार के नौ जिलों समेत बंगाल को मिलेगा लाभ
पूर्णिया जिला नेपाल व पश्चिम बंगाल की सीमा पर बसा हुआ है. कोशी प्रमंडल के जिले में भी इससे सटकर बसे हुए हैं. झारखंड अलग होने के बाद बिहार में दूसरा सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल नहीं है. पूर्णिया और कोशी प्रमंडल राज्य की बड़ी आबादी को कवर करता है. पूर्णिया इन सभी जिलों का केंद्र है और इस दृष्टि से भी एम्स के लिए पूर्णिया पूरी तरह से उपयुक्त है. नागरिकों का कहना है कि पूर्णिया में एम्स जैसा सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल खुलने से कोशी और पूर्णिया के नौ जिलों के अलावा पड़ोसी राज्य बंगाल के अलावा पड़ोसी देश नेपाल के नागरिकों को भी बेहतर इलाज की सुविधा मिल सकेगी.
इलाज के लिए पटना या सिलिगुडी पर निर्भर
पूर्णिया के बुद्धिजीवियों का कहना है कि बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव के कारण सीमांचल में फैलती महामारी, कैंसर और अन्य सघन रोगों के मकड़जाल ने कोसी वासियों का सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित कर दिया है. इस क्षेत्र में एम्स स्तर का अस्पताल नहीं होने से गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए लोगों को या तो पटना या सिलिगुडी जाना पड़ता है. इस क्षेत्र के बहुत सारे लोग कैंसर समेत कई अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. आमलोग को बेहतर इलाज के लिए इस क्षेत्र में एम्स स्तर के अस्पताल की सख्त आवश्यकता है और यही वजह है कि पूर्णिया में एम्स निर्माण की मांग जोर पकड़ रही है.
90 के दशक से उठ रही एम्स की मांग
पूर्णिया में नब्बे के दशक से एम्स जैसे सुपर स्पेशलिस्ट अस्पताल खोले जाने की मांग उठती रही है. उस समय तत्कालीन सांसद ने कई-कई बार संसद में इसकी मांग रखी. 1989 में केंद्रीय मंत्री स्व तस्लीमुद्दीन ने न केवल मांग उठायी थी बल्कि प्रधानमंत्री को इस बाबत स्मार पत्र भी दिया था. बाद के दिनों में भी संसद में इस मांग को मुखर रुप से उठाया गया पर पूर्णिया की इस जरुरत को बहुत तवज्जो नहीं दिया गया. पूर्णिया के जदयू सांसद संतोष कुशवाहा ने संसद में भी कई दफे यह मांग रखी है.
युवा हो रहे गोलबंद
इस बीच सीमांचल संघर्ष मोर्चा ने अलग-अलग कई दफे सरकार का ध्यान एम्स निर्माण की ओर खींचा जबकि हालिया सालों में प्रबुद्ध नागरिकों ने अलग-अलग मंच से पूर्णिया में एम्स के निर्माण की मांग उठायी. इस बीच युवाओं ने एम्स निर्माण के सवाल पर गोलबंदी का अभियान शुरू कर दिया है. युवाओं का कहना है कि इस मांग को लेकर वे आने वाले दिनों में धारदार आंदोलन चलायेंगे. हाल ही में राजद के जिला प्रवक्ता डा आलोक राज ने इस मांग को लेकर पीएम को पत्र भी लिखा है. डा राज इस मांग को लेकर पूरे सीमांचल में एक मुहिम चलाने की कोशिश में लगे हुए हैं.
आंकड़ों में पूर्णिया
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1770 में मिला जिला का दर्जा
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3264619 है 2011 की जनगणना के मुताबिक कुल आबादी
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84.49 फीसदी लोग गांवों में रह रहे
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10.51 फीसदी लोग रहते शहर में
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1000 पुरुष पर 921 महिलाएं हैं जिले में
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3229 वर्ग किलोमीटर है क्षेत्रफल
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04 अनुमंडल हैं जिले में
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14 प्रखंड हैं पूरे जिले में
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246 पंचायतों में बसी है ग्रामीण आबादी
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1246 राजस्व गांव हैं जिले में
चौहद्दी
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उत्तर में अररिया व किशनगंज
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दक्षिण में कटिहार व भागलपुर
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पूरब में पश्चिम बंगाल पश्चिम में मधेपुरा व सहरसा
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पूर्णिया की अन्य जरुरत
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पूर्णिया एयरपोर्ट
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सेंट्रल यूनिवर्सिटी
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हाईकोर्ट बेंच
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टैक्सटाइल पार्क
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सैनिक स्कूल की स्थापना
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मक्का, केला व मखाना आधारित उद्योग
खास बातें
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पूर्णिया के 14 प्रखंड में स्वास्थ्य स्वास्थ्य केंद्र हैं जिसमें दो अनुमंडलीय अस्पताल हैं.
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प्रमंडलीय मुख्यालय में एक मेडिकल काॅलेज अस्पताल अवस्थित है.
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चार अनुमंडलों में रेफरल अस्पताल की सुविधा दी गयी है.
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किशनगंज जिले में दो रेफरल अस्पताल, तीन पीएचसी, चार सीएचसी, 46 एपीएचसी व 259 उप स्वास्थ्य केंद्र है.