बंगाल के बाद अब उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ उतरेगा जदयू, अतिपिछड़ा बहुल 200 सीटों पर है नजर
यूपी के अगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए की सहयोगी और बिहार का सत्ताधारी दल जदयू भी अपने प्रत्याशी उतारेगा. जदयू ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी की यूपी में अतिपिछड़ा बहुल करीब दो सौ विधानसभा सीटों पर नजर है.
पटना. यूपी के अगामी विधानसभा चुनाव में एनडीए की सहयोगी और बिहार का सत्ताधारी दल जदयू भी अपने प्रत्याशी उतारेगा. जदयू ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी की यूपी में अतिपिछड़ा बहुल करीब दो सौ विधानसभा सीटों पर नजर है. यूपी के चुनाव में वीआइपी ने भी रुचि दिखायी है. जदयू ने यह भी साफ कर दिया है कि उसका सपा, बसपा और कांग्रेस के साथ कोई तालमेल नहीं होगी. भाजपा के साथ वह तालमेल चाहता है.
इस संदर्भ में यूपी के जदयू प्रभारी केसी त्यागी ने बताया कि उनकी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शुरुआती दौर की बातचीत हुई है. जदयू की समझ है कि वहां चौहान, मल्लाह, कुशवाहा जैसी अतिपिछड़ी जातियों की कोई सर्वमान्य पार्टी नहीं है और उनके कोई नेता भी नहीं दिख रहे. इन जातियों के मतदाता फिलहाल उदासीन हैं.
ऐसे में बिहार में अतिपिछड़ों के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार की अगुवाई में जदयू का भाजपा का तालमेल हुआ, तो सत्ताधारी दल को बड़ा लाभ होगा. केसी त्यागी के अनुसार 2017 के विधानसभा चुनाव में जदयू अपने उम्मीदवार उतारना चाह रहा था. इसकी तैयारी भी हो चुकी थी, पर अंतिम समय में सर्वसम्मति से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला हुआ. लेकिन, पार्टी इस बार यह भूल नहीं करेगी.
त्यागी ने बताया कि पूर्व में समता पार्टी के दिनों में भी यूपी में भाजपा के साथ तालमेल होता रहा है. कल्याण सिंह और राजनाथ सिंह के शासन में जदयू भागीदार भी रहा है. 2012 के विधानसभ चुनाव में जदयू और अपना दल ने भाजपा के साथ मिल कर 60 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. लोकसभा चुनाव में भी जदयू और भाजपा के साथ तालमेल से उम्मीदवार उतारे गये थे.
त्यागी ने कहा, भाजपा से गठबंधन का निर्णय हुआ, तो ठीक अन्यथा जदयू अपने दम पर चुनाव में उतरेगा. उन्होंने कहा कि यूपी में जदयू का जनाधार रहा है. उन्होंने कहा कि 2017 में जदयू के मैदान में नहीं होने से किसान और अतिपिछड़ों का हमारा वोट भाजपा को शिफ्ट हुआ था.
Posted by Ashish Jha