दानापुर. देश की तीनों सेनाओं में विशेष ‘अग्निपथ’ योजना के तहत चार साल के लिए युवाओं को भर्ती किया जायेगा. उन्हें अग्निवीर सैनिक कहा जायेगा. झारखंड व बिहार सब एरिया मुख्यालय परिसर में अग्निपथ भर्ती योजना के बारे में भारतीय वायु सेना के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, मुख्यालय मध्य वायु कमान के एयर मार्शल आर जे डकवर्थ (एवीएसएम व वीएसएम) ने बुधवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अग्निवीर सैनिकों की अनुबंध पर भर्ती सेना भर्ती मुख्यालय द्वारा की जायेगी. 90 दिनों में इसकी प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. एयर मार्शल आर जे डकवर्थ ने कहा कि अग्निपथ भर्ती योजना के तहत चार साल के लिए सेना के तीनों अंगों में युवाओं की बहाली की जायेगी. हर साल 10वीं और 12वीं उत्तीर्ण साढ़े 17 साल से 21 साल के 45 हजार युवाओं की बहाली की जायेगी.
चार साल बाद योग्यता के आधार पर 25 प्रतिशत तक अग्निवीरों को सेना में लंबी अवधि के लिए रखा जायेगा. 48 लाख बीमा कवर भी मिलेगा और सेवा के दौरान शहीद होने पर अतिरिक्त 44 लाख की राशि भी परिवार को मिलेगी. इसके साथ ही सेवा निधि की रकम भी मिलेगी. उन्होंने कहा कि अग्निवीर सैनिकों का छह माह को प्रशिक्षण दिया जायेगा. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद यूनिट में भेज दिया जायेगा. आइटीआइ करने वाले युवकों को भी अग्निवीर सैनिक में बहाल किया जायेगा. चार साल की सेवा पूरी होने के बाद अग्निवीरों को 10.4 लाख रुपये की सेवा निधि और उस पर ब्याज मिला कर कुल 11.71 लाख मिलेंगे. इस पर कोई टैक्स भी नहीं लगेगा. मौके पर एवीएम आलोक शर्मा, पीआरओ समीर समेत सैन्य अधिकारी व जवान मौजूद थे.
पटना. अग्निपथ में शामिल युवाओं को अग्निवीर कौशल प्रमाणपत्र दिया जायेगा. युवाओं के कौशल की पहचान यूजीसी करेगा. यूजीसी के चेयरमैन प्रो एम जगदीश कुमार ने कहा कि अग्निपथ योजना में शामिल युवाओं के प्राप्त कौशल का आकलन किया जायेगा. सशस्त्र बलों का हिस्सा बनने के लिए यह बड़ी योजना है. अग्निपथ के तहत चार साल की सेवा के दौरान अग्निवीरों द्वारा प्राप्त कौशल को मान्यता देने की दिशा में यूजीसी काम कर रहा है, ताकि जब अग्निवीर ग्रेजुएशन में शामिल हों, तो इसका आकलन कर उन्हें उचित क्रेडिट दिया जायेगा.
प्रो एम जगदीश कुमार ने कहा कि यूजीसी ने एआईसीटीई और एनसीवीइटी के साथ मिलकर राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढांचा तैयार किया है. स्टूडेंट्स चार सालों के दौरान किस तरह प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं, उसका आकलन किया जायेगा. उनकी योग्यता का आकलन कर ही उन्हें एनएचइक्यूएफ के तहत कौशल प्रशिक्षण प्रमाणपत्र दिया जायेगा. प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले स्टूडेंट्स को उच्च योग्यता प्राप्त करने या नौकरी में प्राथमिकता दी जायेगी.
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