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बिहार: किसानों की होगी बंपर कमाई, लागत से अधिक होगा मुनाफा, जानें इस खास शिमला मिर्च के बारे में सब कुछ

‍Bihar News: बिहार के किसान कम लागत में बढ़िया मुनाफा कमा सकते है. इसके लिए खास किस्म की शिमला मिर्च की खेती करनी पड़ेगी. यह किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी.

‍Bihar News: बिहार के किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते है. इसके लिए खास किस्म की शिमला मिर्च की खेती को अपनाया जा सकता है. यह किसानों के लिए फायदेमंद रहेगी. कृषि वैज्ञानिक बताते है कि साल में तीन बार इसकी खेती की जा सकती है. देश में बोई जाने वाली विभिन्न प्रकार की सब्जियों में शिमला मिर्च यानी कैप्सिकम का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. इसका इस्तमाल कई तरह की सब्जियों में किया जाता है. शिमला मिर्च को बेल पेपर भी कहा जाता है. शिमला मिर्च में विटामिन-सी एवं विटामिन -ए तथा खनिज लवण जैसे आयरन, पोटेशियम, जिंक, कैल्शियम आदि पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाये जाते हैं.

इन राज्यों‍ में मुख्य रूप से होती है शिमला मिर्च की खेती..

इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो रही है. रंगीन शिमला मिर्च की मांग ज्यादा होने से इसके बाजार में हरी शिमला मिर्च के मुकाबले कई गुना अधिक दाम मिलते हैं. इसकी व्यवसायिक खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. भारत में शिमला मिर्च की खेती लगभग 4780 हेक्टयर में की जाती है तथा वार्षिक उत्पादन 42230 टन प्रति वर्ष तक होता है. भारत में इसे पंजाब, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा और झारखंड में मुख्य रूप से उगाया जाता है.

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साल में तीन बार खेती संभव

यह महीना बुआई के लिए अच्छा साबित हो सकता है. सितंबर के महीने में किसान शिमला मिर्च की बुआई कर सकते हैं. शिमला मिर्च के बीज की पहली बुआई जून- जुलाई में करनी चाहिए. फिर 25 से 30 दिनों बाद पौधे की रोपाई करना चाहिए. शिमला मिर्च के बीज की दूसरी बुआई अगस्त- सितम्बर में करना चाहिए. फिर 25 से 30 दिनों बाद खेत में पौधे की रोपाई करना चाहिए. शिमला मिर्च के बीज की तीसरी बुआई दिसंबर या जनवरी में करना चाहिए. इसके बाद फिर जनवरी या फरवरी में पौधे की खेत में रोपाई करनी चाहिए.

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उचित जल निकासी वाली भूमि का होना जरूरी

शिमला मिर्च की उपज दोमट मिट्टी में होती है. शिमला मिर्च की अच्छी फसल के लिए चिकनी दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है. इसके अलावा इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि का होना भी जरूरी होता है. शिमला मिर्च की फसल के लिए नर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है. इसके पौधे अधिक सर्दी और गर्मी को सहन नहीं कर पाते हैं. इसकी खेती में तापमान अधिक और कम होने पर पैदावार पर असर पड़ता है.

शिमला मिर्च की कई अच्छी किस्में

शिमला मिर्च की कई उन्नत किस्में होती है. कैलिफोर्निया वंडर शिमला मिर्च की एक विदेशी किस्म है, जिसे अधिक पैदावार देने के लिए उगाया जाता है. इसका पौधा सामान्य आकार का होता है, जो रोपाई के 75 दिन बाद पैदावार देना शुरू कर देता है. इसमें निकलने वाले फल हरे रंग के चमकीले होते है,शिमला मिर्च की यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 125 से 150 क्विंटल की पैदावार दे देती है. येलो वंडर किस्म का पौधा बीज रोपाई के 60 दिन बाद फल देना आरंभ कर देता है. इस का यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 150 क्विंटल की पैदावार दे देती है. सोलन हाइब्रिड –1 और 2- यह शिमला मिर्च की एक संकर किस्म है, जिसमे फल सड़न और जीवाणु किस्म के रोग देखने को नहीं मिलते हैं .इसके पौधे ज्यादातर बड़े आकार के होते हैं, तथा इसमें फलों का आकार भी आयताकार होता है .इस किस्म के पौधे 60 से 65 दिन बाद पैदावार देना आरंभ कर देते है.

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खेत की अच्छी तरह से करें जुताई

सोलन भरपूर किस्म को तैयार होने में 70 दिन का समय लग जाता है. इसमें निकलने वाले पौधों का आकार बड़ा होता है तथा यह किस्म जीवाणु जनित और फल सड़न रोग रहित होती है. शिमला मिर्च की इस किस्म से 300 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त हो जाता है. पूसा दीप्ति-पूसा दीप्ति किस्म के पौधे पौध रोपाई के 70 दिन बाद उत्पादन देना आरम्भ कर देते है. इसका पौधा झाड़ीनुमा होता है, जिसमे आरम्भ में हरे रंग के फल निकलते है, किन्तु पकने के बाद इसके फलों का रंग लाल हो जाता है. यह किस्म प्रति हेक्टेयर में 300 से 350 क्विंटल की उपज देती है.

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खेत की अच्छी तरह से जुताई करें. इसके बाद खेत की मिट्टी में धूप लगने के लिए कुछ समय के लिए उसे ऐसे ही छोड़ दें. खेत में 15 से 20 गाड़ी पुराना गोबर का खाद डालें. यदि आप चाहे तो गोबर के खाद के स्थान पर कम्पोस्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके बाद पौधों की रोपाई के लिए खेत में मेड़ को तैयार किया जाता है. प्रत्येक मेड़ के मध्य तीन फीट की दूरी रखी जाती है. पौध रोपाई में प्रत्येक पौध के बीच एक फीट की दूरी रखी जाती है. शिमला मिर्च के पौधों की रोपाई के लिए जुलाई का महीना उचित माना जाता है. इसके अलावा शिमला मिर्च के पौधों की रोपाई जनवरी और सितम्बर के माह में भी की जाती है. शिमला मिर्च के पौधों की अच्छी देखभाल से 6 महीने तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है.

20 मिनट तक करनी होती है सिंचाई

पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप विधि का इस्तेमाल किया जाता है. इसके पौधों की प्रारंभिक सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है. इसकी फसल को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. ड्रिप विधि द्वारा पौधों की सिंचाई करने से इसके बीजों को बहने का खतरा नहीं होता है. पौधों को पर्याप्त मात्रा में पानी भी प्राप्त हो जाता है. इसके लिए शिमला मिर्च के पौधों पर रोज 20 मिनट तक सिंचाई करनी होती है. अगर आपके पास एक एकड़ भूमि है तो आप उन्नत खेती करके एक वर्ष में 3 से 3.50 लाख रुपये तक कमा सकते हैं. अगर मान भी लिया जाए कि पहले साल में उतना लाभ नहीं हुआ तो कम से कम आप 2 से 2.50 लाख तो कमा ही सकते हैं और दूसरे वर्ष कम से कम 4 से 5 लाख आसानी से शिमला मिर्च की खेती करते हुए कमा ही सकते हैं.अगर व्यावसायिक रूप में इसकी खेती की है तो इसे सीधे सब्जी मंडी में भी बेचा जा सकता है, जहां 30 रु से 60 रु प्रति किग्रा तक का भाव मिल जाता है.

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हार्ट को हेल्दी रखता है शिमला मिर्च

हरी शिमला मिर्च के कई फायदे है. इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, फाइबर, कैरोटीनॉइड्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यह सेहद के लिए बहुत बढ़िया होता है. शिमला मिर्च में कैलोरी नहीं के बराबर होती है. इसलिए, इससे कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल किया जा सकता है. हरी शिमला मिर्च एंटी-ऑक्सीडेंट का एक बहुत अच्छा सोर्स है. इसलिए यह हमारे हार्ट को हेल्दी रखता है.

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