भागलपुर के छतों पर नहीं फैली हरियाली, लक्ष्य से काफी कम रहा रूफ टॉप गार्डनिंग, महज चार ने दिखायी दिलचस्पी
Agriculture: कृषि विभाग अंतर्गत उद्यान विभाग के सहायक निदेशक विकास कुमार की मानें तो आवेदन ऑनलाइन करना था, जिसमें लगभग 30 लाेगों का आवेदन मिला. लेकिन चार ने ही इस योजना के लिए दिलचस्पी दिखायी.
दीपक राव
भागलपुर. बिहार के भागलपुर में घर पर बगिया लगाने की योजना खिलने से पहले ही मुरझा गयी. कृषि विभाग की रूफ टॉप गार्डनिंग नाम की योजना के लिए कृषि विभाग न तो छत ढूंढ़ पाया और न ही पक्के छतवाले लोगों को इस योजना के प्रति प्रेरित ही कर पाया. अधिकारियों की सक्रियता का अभाव ने इस योजना को आज तक बंद फाइलों से बाहर आने ही नहीं दिया. कुछ लोग अपनी छतों पर गार्डनिंग करने को तैयार भी हुए, पर बेपरवाही ने योजना को फलने-फूलने नहीं दिया. सरकार की ओर से भागलपुर में छत पर बागवानी के लिए 220 घरों का लक्ष्य मिला था. इसमें चार लोगों ने ही दिलचस्पी दिखायी, लेकिन उनके छत पर भी बागवानी सफल नहीं हो पायी.
ऑनलाइन करना था आवेदन
कृषि विभाग अंतर्गत उद्यान विभाग के सहायक निदेशक विकास कुमार की मानें तो आवेदन ऑनलाइन करना था, जिसमें लगभग 30 लाेगों का आवेदन मिला. लेकिन चार ने ही इस योजना के लिए दिलचस्पी दिखायी. इसके बाद योजना को लेकर प्रक्रिया शुरू हुई. सरकार की ओर से इस योजना की जानकारी देने के लिए विभाग के छत पर प्रदर्शनी लगानी थी. लेकिन कोरोना काल में यह सफल नहीं हो पाया. फिर कार्यकाल पूरा हो गया और याेजना पर रोक लग गयी. अब एक बार फिर योजना शुरू हुई है, लेकिन भागलपुर के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं मिला है.
क्या थी घर की छतों पर बागवानी की योजना
प्रदेश सरकार की ओर से शहर के लोगों के लिए एक बड़ी योजना लायी गयी थी. दरअसल बिहार सरकार ने शहर में जमीन न होने के कारण घरों की छतों पर बागवानी करवाने की योजना बनायी. इसके लिए बिहार सरकार ने 50 फीसदी सब्सिडी भी मुहैया करायी. कृषि विभाग बिहार सरकार की ‘रूफटॉप गार्डनिंग’ नामक यह योजना पहले चरण में राज्य के पांच शहर – पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर और बिहारशरीफ में लागू की थी.
300 वर्गफीट में 50 हजार की योजना थी स्वीकृत
छतों पर बागवानी करने के लिए प्रति 300 वर्ग फीट में कुल लागत 50 हजार रुपये के साथ ‘रूफटॉप गार्डनिंग’ योजना स्वीकृत की गयी थी. इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार 50 फीसदी व अधिकतम 25 हजार रुपये प्रति इकाई सब्सिडी मिली. इसमें रूफटॉप गार्डनिंग’ के लिए छत पर शेड नेट का भी निमार्ण कराना था. रूफटॉप गार्डन बहुत ही आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए विकसित किया जाना था. छत पर प्लास्टिक शीट बिछानी थी. इसमें खरीफ, रबी व जायद मौसम के लिए सब्जी के बीज व पौध लगते हैं. इनमें औषधीय एवं सुगंधित पौधे भी लगाये जा सकते हैं. फूल, ऑरनामेंटल इंडोर व आउटडोर प्लांट लगाये जा सकते हैं.
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केस वन
मानिक सरकार घाट रोड में निकुज नीलिमा ने अपने घर के छत पर इस योजना का लाभ लिया. निकुंज नीलिमा का कहना है कि विभाग की ओर से योजना का लाभ मिला, लेकिन कंपनी वाले एक-दो बार ही आये. देखरेख के अभाव में फलन ठीक नहीं हुआ, जिससे बागवानी उजड़ गयी. अब इसमें दिलचस्पी नहीं है.
केस दो
आदमपुर चौक समीप स्थित समरेंद्र शंकर ने बताया कि छत पर बागवानी व हरियाली का शौक था, इसलिए इस योजना का लाभ लिया, लेकिन कंपनी वाले एक बार व्यवस्था करके चले गये. फिर कभी नहीं आये. बंदर की परेशानी के कारण फिर साहस नहीं हुआ कि बागवानी कर सकें.
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जानें क्या कहते है उद्यान विभाग के सहायक निदेशक
उद्यान विभाग के सहायक निदेशक विकास कुमार ने बताया कि सरकार की इस योजना का लाभ लोगों को नहीं मिलने में कई कारण हैं. इसमें कम से कम लोगों की दिलचस्पी थी, जो कंपनी आयी, उन्हें अधिक लोगों का समूह नहीं मिला, जिससे बार-बार यहां आने में दिक्कत हुई. उनका खर्च नहीं निकल पाया. इसमें जिनको इस योजना का लाभ मिला था, उन्हें खुद बंदर से बचाव के लिए नेट लगाना था. नेट नहीं लगाया. फिर कोरोना काल भी आ गया.