Agriculture News: आम के पेड़ों पर लगे अधिक मंजर से बेहतर उत्पादन होने की आशंका जताई जा रही है. पिछले साल की तुलना में इस साल आम के पेड़ों पर ज्यादा मंजर लगे हैं. वैशाली में प्रखंड कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक ने जानकारी दी है. उन्होंने कहा है कि जिले में पिछले कुछ वर्षों से आम की व्यवसायिक खेती शुरु हुई है. आम का पेड़ प्रत्येक वर्ष एक सामान उपज नहीं देती है. सामान्यतः जिले में प्रति वर्ष 30-35 लाख रुपये के आम का उत्पादन होता है. इस वर्ष आम के पेड़ों में मंजर अन्य वर्षों की तुलना में ज्यादा लगे हैं. इससे आम के उत्पादन में भी निश्चित तौर पर बढ़ोतरी होगी. कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को आम के पेड़ की नियमित देखभाल करने व आवश्यकतानुसार दवाओं का उपयोग करने की सलाह दी.
आवश्यकतानुसार दवाओं का उपयोग करने से आम का उत्पादन बेहतर होता है. वैशाली जिला धीरे-धीरे मैंगो हब के रूप में विकसित हो रहा है. जिले के कई प्रखंडों के गांवों की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार आम की फसल बन गयी है. जिले में स्थित गोरौल प्रखंड के कटरमाला, पीरापुर मथूरा, बेलवर, सोंधो, पिरोई छीतरौली, बथना, चेहराखुर्द, मंजिया, बकसामा आदि गांवों में आम का व्यवसायिक उत्पादन शुरू हो चुका है. इधर आम के पेड़ों में अधिक मंजर आने से मधुमक्खी पालक भी काफी उत्साहित है.
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आम बागवानी मिशन से जुड़े कार्यकर्ता बलवंत कुमार सुमन, निखिल कुमार ने बताया कि देसी मधुमक्खी के साथ इटालियन मधुमक्खी का पालन किया जा रहा है. आम के पेड़ों में अधिक मंजर आने से मधु का उत्पादन भी बढ़ जाता है. आम के मंजर से बनने वाला मधु की गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है. बाजार में इसकी कीमत भी अधिक मिलती है. सामान्य दिनों में इटालियन मधुमक्खी के एक बक्से से महीने में औसतन पांच किलोग्राम मधु का उत्पादन होता है. वहीं आम के पेड़ों में अधिक मंजर आने पर 15 से 20 किलो तक मधु उत्पादन होने लगता है. इससे किसान काफी खुश है. किसानों को भारी मुनाफा होगा. साथ ही लोगों को अच्छी गुणवत्ता का मधु भी मिलेगा.