Agriculture News: फागुन का महीना आते ही प्रकृति के सौंदर्य में चार चांद लग जाता है. यह वो दिन होते हैं, जब आम का मंजर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. इन दिनों शहर में कुछ ऐसा ही खूबसूरत दृश्य देखने को मिल रहा है. घर के बगानों, बगीचों और छत पर लगे गमले में आम के पेड़ों की टहनियां मंजरों से लदने लगी हैं, जो अपनी खुशबू से हर किसी को आकर्षित कर रही हैं. लोगों को इस बार आम के बेहतर उत्पादन की उम्मीद है, हालांकि यह समय मंजरों को कीटाणुओं और गर्मी से बचाने का है. ऐसे में इसकी देखभाल करना बहुत जरुरी है.
आम के पेड़ों पर मंजर आ चुके हैं. मंजर से लदे आम के पेड़ों से निकलने वाली खुशबू शहर से लेकर गांव-गांव तक में बिखरी हुई है. पटना, दानापुर, पटना सिटी सहित कई घरों में और नर्सरी में कई प्रजाति के आम के पेड़ बहुतायत में हैं. लोगों का कहना है कि इस साल आम के पेड़ों में अच्छी बौर लगी है. इसे देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार आम की बंपर पैदावार होगी, जिसका लाभ क्षेत्र के लोगों को मिलेगा. एक नर्सरी संचालक का कहना है कि पिछले तीन साल से क्षेत्र में आम की फसल अच्छी नहीं थी, लेकिन इस साल आम पेड़ों में लगे बौर से अच्छी फसल की आस लगी हुई है. इस दौरान पौधों के लिए ज्यादा रखरखाव की जरूरत नहीं पड़ती है. लेकिन, यदि आप इसे गमले में उगा रहे हैं, तो आप इसे किसी भी मौसम में लगा सकते हैं.
डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर में मुख्य वैज्ञानिक और सह निदेशक अनुसंधान प्रो डॉ एसके सिंह ने आम के पेड़ों में होने वाली बीमारियों पर विस्तृत शोध किया है. इनका कहना है कि अधिकांश बागों में मंजर आ गये है, इस समय कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. फल के मटर के बराबर होने तक रुक जाएं, इसके बाद आप कीटनाशकों का प्रयोग कर सकते हैं. इन दिनों आपके बाग में इस समय भारी संख्या में मधुमक्खी एवं सिरफिड मक्खी आई हुई है, जब आप बाग के पास से गुजरेंगे, तो मधुमक्खियों द्वारा उत्पन्न मधुर संगीत सुनने को मिलेगा जो बहुत ही अच्छा लगता है. जब तक यह संगीत आपको सुनाई दे तब तक उन मधुमक्खियों को हमें परेशान नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह बाग में परागण का कार्य कर रही होती हैं. यदि आप किसी भी प्रकार की कोई भी दवा छिड़कते हैं, तो इससे मधुमक्खियों को नुकसान पहुंचेगा और वे आपके बाग से बाहर चली जायेगी तथा फूल के कोमल हिस्सों को भी नुकसान पहुंचने की आशंका रहती है.
Published By: Sakshi Shiva