खेती-किसानी : बिहार में धान रोपनी की धीमी रफ्तार, 36 लाख में मात्र 8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही हुई रोपनी
बिहार में अब तक ओवरऑल लगभग 22.22 प्रतिशत धान की रोपनी हुई है. भागलपुर प्रमंडल में सबसे कम 1.5 फीसदी धान की रोपनी हो सकी है. वहीं पूर्णिया में सबसे अधिक 55 फीसदी धान की रोपनी हुई है. कृषि विभाग के अनुसार, 31 जुलाई तक धान की रोपनी का आदर्श समय है.
पूरे बिहार में 36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान के बिचड़े डाले गये हैं. इसमें अब तक आठ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही धान की रोपनी हुई है. राज्य में अब तक ओवरऑल लगभग 22.22% धान की रोपनी हुई है. भागलपुर प्रमंडल में सबसे कम 1.5% धान की रोपनी हो सकी है. मगध व मुंगेर प्रमंडल में 3-3%, पटना प्रमंडल में 9%, सारण प्रमंडल में 27%, तिरहुत में 50% दरभंगा में 15%, सहरसा में 45% और पूर्णिया में सबसे अधिक 55% धान की रोपनी हुई है.
90% से अधिक बिचड़े डाले गये
राज्य के सभी प्रमंडलों में निर्धारित एरिया में धान के बिचड़े डाल दिये गये हैं. पटना प्रमंडल में 97%, मगध में 89, सारण में 99, तिरहुत में 98, दरभंगा में 97, मुंगेर में 95, भागलपुर में 95, सहरसा में 98 तथा पूर्णिया में 97 फीसदी खेतों में धान के बिचड़े डाले जा चुके हैं.
पिछले साल से चार फीसदी अधिक हुई रोपनी
कृषि विभाग के अनुसार, इस साल अब तक पिछले साल से चार फीसदी अधिक धान की रोपनी हुई है. वहीं, इस साल पिछले साल से बारिश भी ठीक बतायी गयी है. पिछले साल इस समय तक 40 फीसदी बारिश हुई थी. इस साल अब तक 33 प्रतिशत कम बारिश हुई है.
आने वाला एक सप्ताह होगा निर्णायक
विभागीय आंकड़ों में फिलहाल राज्य में सूखे की संभावना नहीं है. मगर, धान की खेती के लिए आने वाला एक सप्ताह निर्णायक होगा. आगामी सात दिनों तक अच्छी बारिश नहीं हुई तो धान की खेती प्रभावित होगी. कृषि विभाग के अनुसार, 31 जुलाई तक धान की रोपनी का आदर्श समय है. बीते वर्ष 15 अगस्त तक धान की रोपनी हुई थी. इस कारण धान की खेती में सुधार की काफी गुंजाइश है.
औसत से कम बारिश होने से धान रोकने के लिए पंपसेट का सहारा ले रहे हैं किसान
खगड़िया जिले के गोगरी प्रखंड में औसत से कम बारिश होने के बावजूद धान रोपनी में तेजी आ गयी है. सिंचाई की कमी को लेकर पंप सेट से भरपाई करते हुए किसान अपने-अपने खेतों में धान रोपनी करने में लग गये हैं. सामान्य से कम बारिश होने के बावजूद किसान जैसे-तैसे कर खेतों में धान की रोपनी करने में जुटे हैं. दियारा के किसान रंजीत सिंह, संजीत सिंह, सकलदेव सिंह ने बताया कि धान का बिचड़ा तैयार हो जाने के चलते मजबूरन किसान खेतों में पानी कम रहने के कारण पंपसेट सहित दूसरे साधनों से रोपनी के लायक पानी डालकर धान के पौधे खेतों में लगाने का प्रयास कर रहे हैं. ताकि बिचड़ा के अधिक दिन होने के चलते धान का उत्पादन प्रभावित नहीं हो.
गोगरी अनुमंडल क्षेत्र में औसत से कम हुई है बारिश
खगड़िया जिला कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार खरीफ फसल के लिए जुलाई महीने में 448 एमएम बारिश की जरूरत है. लेकिन एक पखवाड़े बीत जाने के बाद भी 150 एमएम ही बारिश हुई है. ऐसे में औसतन बारिश कम होने के चलते किसान परेशान हैं. प्रखंड कृषि पदाधिकारी रणधीर कुमार सिंह ने बताया कि जिले में बिचड़ा गिराने का कार्य शत-प्रतिशत पूरा हो गया है. जबकि आधी रोपनी अभी भी बाकी है.
औरंगाबाद जिले में सबसे अधिक हुई धान की रोपनी गोह में
औरंगाबाद जिले में धान रोपनी का वास्तविक अनुपात अभी तक काफी कम रहा है. इसके बावजूद गोह प्रखंड क्षेत्र में सबसे अधिक 1740 हेक्टेयर भूभाग में धान की रोपनी हुई है. वहीं, देव प्रखंड में सबसे कम मात्र 1.6 हेक्टयर भूभाग में धान की फसल लगी है. इसी तरह से सदर प्रखंड में 141 हेक्टेयर, बारुण में 255 हेक्टेयर, दाउदनगर में 94 हेक्टेयर, हसपुरा में 74.50 हेक्टेयर, कुटुंबा में 55.900 हेक्टेयर, मदनपुर में 12 हेक्टेयर, नवीनगर में 25 हेक्टेयर, ओबरा में 807.530 हेक्टेयर व रफीगंज प्रखंड में 32.406 हेक्टेयर यानी पूरे जिले में अभी तक मात्र 3238.936 हेक्टेयर भूभाग में धान की रोपनी हुई है.
ओबरा में हुई अधिक बारिश, रफीगंज में कम
औरंगाबाद जिले में औसत से भी कम बारिश हुई है. इसका असर खेती पर देखा जा रहा है. जून महीने में औसत 136.1 एमएम बारिश होनी चाहिए थी, जबकि मात्र 37.5 एमएम बारिश हुई है. इसी तरह से जुलाई में औसत 323.3 एमएम बारिश होनी चाहिए थी, जबकि अब तक इस महीने की औसत बारिश 178.7 एमएम ही हुई है. यदि बारिश की यही स्थिति रही तो किसानों को धान की रोपनी में परेशानी हो सकती है. किसान आसमान निहार रहे हैं. हालंकि इस माह में ओबरा प्रखंड क्षेत्र में औसत से अधिक 354.6 एमएम बारिश हुई है. वहीं रफीगंज प्रखंड में सबसे कम 86.4 एमएम ही बारिश हुई है. जिला सांख्यिकी विभाग से प्राप्त आकड़ों के अनुसार सदर प्रखंड में 199 एमएम, बारुण में 138.6 एमएम, दाउदनगर में 270.2 एमएम, देव में 167.2 एमएम, गोह में 160.8 एमएम, हसपुरा में 137 एमएम, कुटुंबा में 156.8 एमएम, मदनपुर में 136 एमएम तथा नवीनगर प्रखंड में 158.8 एमएम बारिश हुई है.
क्या बताते हैं मौसम वैज्ञानिक
सिरिस विज्ञान के वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने बताया कि रविवार 16 जुलाई तक वर्षा होने की उम्मीद नहीं है. इसके बाद 17 जुलाई से आसमान में बादल छाये रहेंगे. मौसम पूर्वानुमान के अनुसार मेघ गर्जन के साथ वर्षा होने की संभावना जतायी गयी है. लंबी अवधि वाले धान की रोपाई करने का उपयुक्त समय समाप्त हो गया है. अब जुलाई के तीसरे सप्ताह तक मध्यम अवधि के धान की रोपाई हो जानी चाहिए. लेट होने पर पौधे से टिलैजे नहीं विकसित होगें. उत्पादन पर असर पड़ेगा. रबी की खेती प्रभावित होगी.