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खुलासा: बिहार में बटाई पर खेत देने से हो रहा बड़ा नुकसान, इस गलती से बंजर हो सकती है आपकी जमीन…

बिहार के एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि बटाई व लीज पर अपना खेत देने वालों को भारी नुकसान हो रहा है.बटाई और लीज लेनेवाले अधिक फसल की चाह में खेतों की ताकत भी खत्म कर रहे हैं. बांका व कटिहार जिले के 240 किसानों के बीच टीएमबीयू ने सर्वे कराया है.

Agriculture Survey: अगर आप अपने खेत को बटेदार के हाथों में सौंप रहे हैं तो सतर्क हो जाइये. कुछ अहम बातों पर आपका ध्यान जाना बेहद जरूरी है. बटाई व लीज पर दी गयी खेतों का पोषक तत्व लगातार कम हो रहा है. खेतों को बटाई या लीज पर लेनेवाले किसान को उस खेत के प्रति उतना मोह नहीं होता, जितना कि खेत के मालिक को. इस कारण वे अधिक फसल उपजाने की चाह में असीमित रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. यही स्थिति बनी रही, तो एक समय ऐसी खेत बंजर हो जायेगी.

सर्वे में हुआ खुलासा

यह खुलासा तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय द्वारा कराये गये सर्वे में हुआ है. यह सर्वे विश्वविद्यालय का एग्रो इकोनॉमिक्स रिसर्च सेंटर (बिहार-झारखंड) ने किया है. सर्वे बांका व कटिहार जिले के किसानों के बीच कराया गया था. इसमें दोनों जिला के 240 किसानों पर अध्ययन किया गया. इसमें अपनी खेत में खेती करनेवाले 180 और बटाई व लीज पर खेत लेकर खेती करनेवाले 60 किसानों को शामिल किया गया था. अध्ययन से सामने आया कि अपनी खेतों पर खेती करनेवाले किसानों की तुलना में उन खेतों में अधिक उत्पादन हो रहा है, जिसे बटाई या लीज पर ली गयी है. इससे खेतों की उत्पादन शक्ति कम होती जा रही है.

लगातार हो रहा दोहन, खतरे का संकेत

एग्रो इकोनॉमिक्स रिसर्च सेंटर ने इसे खतरे का संकेत बताया है कि खेतों में रासायनिक उर्वरकों को अधिक उपयोग किया जा रहा है. सेंटर का मानना है कि लगातार रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से खेतों का दोहन होता है. उसकी पोषक क्षमता क्षीण होती जाती है. आखिरकार संबंधित खेतों में फसल उपजाने की ताकत ही समाप्त हो जायेगी. सेंटर ने सर्वे में पाया है कि बटाई वाली खेतों (अनक्लियर्ड लैंड) में रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल अपेक्षाकृत अधिक हो रहा है.

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बोले एक्सपर्ट – सरकार को योजना बनाना चाहिए

एग्रो इकोनोमिक्स रिसर्च सेंटर बिहार-झारखंड के रिसर्च एसोसिएट डाॅ राजीव कुमार सिन्हा ने बताया कि बटाई पर खेती करनेवाले किसान जमीन की उर्वरा शक्ति का अधिक से अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं. नतीजा है कि जमीन की उर्वरा शक्ति दिनोंदिन कम होती जा रही है. ऐसे ही सब कुछ चलता रहा, तो खेती करने लायक जमीन नहीं रह जायेगी. सरकार को इस दिशा में गंभीरता से काम करने की जरूरत है. सरकार को अन क्लीयर लैंड पर खेती करनेवाले किसानों के लिए जल्द से जल्द बेहतर योजना बनाने की आवश्यकता है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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