अगुवानी घाट-सुलतानगंज पुल का काम तय समय से साढ़े तीन साल पीछे, फिर क्यों नहीं डिबार हुई ठेका एजेंसी ?
काम अधूरा रहने की स्थिति में भी एजेंसी को डिबार नहीं करने को लेकर सवाल उठने लगे हैं. यही नहीं, सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर एजेंसी को डिबार कर दिया गया रहता, तो आगे एजेंसी पर ब्लैक लिस्टेड की कार्रवाई हो सकती थी. तब दूसरी एजेंसी को अधूरे पुल को पूरा करने का ठेका मिल सकता था.
भागलपुर: अगुवानी घाट-सुलतानगंज पुल का निर्माण तय समय से साढ़े तीन साल पीछे चल रहा है. काम अधूरा रहने की स्थिति में भी एजेंसी को डिबार नहीं करने को लेकर सवाल उठने लगे हैं. यही नहीं, सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर एजेंसी को डिबार कर दिया गया रहता, तो आगे एजेंसी पर ब्लैक लिस्टेड की कार्रवाई हो सकती थी. तब दूसरी एजेंसी को अधूरे पुल को पूरा करने का ठेका मिल सकता था. ऐसा अगर होता, तो यह नौबत नहीं आती. वहीं, भागलपुर में उनके हाथों बनने जा रहे समानांतर पुल के टिकाऊ को लेकर भी लोगों के बीच संशय नहीं बनती. सुलतानगंज में निर्माणाधीन पुल दूसरी बार गिरा है. संबंधित ठेका एजेंसी पर कार्रवाई करने के बजाय टाइम एक्सटेंशन दिया जाता रहा. एजेंसी को एक-दो बार नहीं, पूरे सात बार टाइम एक्सटेंशन मिला है. साढ़े चार साल में बनने वाला यह पुल साढ़े सात-आठ साल बाद भी अधूरा है. ज्ञात हो कि छोटे प्रोजेक्ट में तय समय पर काम पूरा नहीं होने पर संबंधित कार्य एजेंसी को डिबार घोषित कर दिया जाता है और दूसरी किसी भी टेंडर में भाग लेने से वंचित हो जाता है.
जानें डिबार के बारे में
कोई भी प्रोजेक्ट तय समय पर पूरा नहीं होता है, तो संबंधित ठेका एजेंसी को डिबार घोषित कर दिया जाता है. वह तब तक डिबार पीरियड में रहता है, जबतक उस काम को पूरा नहीं कर लेता है. डिबार रहने की स्थिति में दूसरे टेंडर में भी वह भाग नहीं ले सकती है.
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डिबार होता तो नहीं मिलता समानांतर पुल का ठेका
अगुवानी घाट-सुलतानगंज पुल को तय समय पर नहीं बनाने से अगर संबंधित कार्य एजेंसी को डिबार कर दिया गया रहता, तो वह भागलपुर के समानांतर पुल के ठेका में न तो भाग ले पाती और न ही काम मिलता. इससे संशय भी नहीं बनती कि अब अगर वह बनायेगा तो टिकाऊ होगा या नहीं.
दोबारा गिरे सुपर स्ट्रक्चर का अलग से नहीं होगी जांच
दोबारा गिरे सुपर स्ट्रक्चर की अलग से जांच नहीं होगी, बल्कि पहले से चल रही जांच में इसे शामिल कर जारी रखा जायेगा. पुल निर्माण निगम, पटना के अधिकारी के अनुसार जांच चल ही रही है. हालांकि, जांच रिपोर्ट सब्मिट हो गयी है. मगर, पी-5 का जांच अभी पूरी नहीं हुई है. पूरे पुल के डिजाइन का ऑडिट भी चल रहा है. उसी जांच में शामिल कर इसको जारी रखा जायेगा.
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क्या कहते हैं अधिकारी
पुल निर्माण निगम पटना के डिप्टी चीफ इंजीनियर सुनील कुमार ने कहा कि अगुवानी घाट-सुलतानगंज पुल की कार्य एजेंसी को डिबार नहीं करने के कई कारण हैं. यह हमारे स्तर का निर्णय नहीं है. सरकारी स्तर का निर्णय है. दोबारा में गिरे सुपर स्ट्रक्चर की अलग से जांच नहीं होगी, बल्कि पहले की जांच में इसको शामिल कर जारी रखा जायेगा. ऐसे तो जांच रिपोर्ट आ गयी है, लेकिन पी-5 की जांच अभी जारी है. पूरे ब्रिज के डिजाइन की ऑडिट भी चल रही है.