पटना. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान राज्य में पाये जा रहे ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए पटना के एम्स और आइजीआइएमएस को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया गया है. इन दोनों सेंटरों पर कोरोना के दौरान जिन मरीजों में ब्लैक फंगस हुआ है, उनको भर्ती कर इलाज किया जायेगा.
उन्होंने बताया कि अभी तक राज्य में इस तरह के कुल 56 केस पाये गये हैं, जिनमें से 24 मामलों के मरीज एम्स में भर्ती हैं. उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस के इलाज के लिए राज्य में गठित एक्सपर्ट कमेटी द्वारा कालाजार में इस्तेमाल की जानेवाली दवा एम्फोटेरिसिन-बी के इस्तेमाल की अनुशंसा की गयी है.
ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज में इस दवा के उपयोग को लेकर 14 मई को केंद्र सरकार को पत्र भेज कर अनुमति मांगी गयी है. साथ ही एम्स, पटना और आइजीआइएमएस को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने की अनुमति के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को पत्र भेजा गया है.
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि जिनोमिक सर्विलांस के लिए देश में कुल 10 मॉलीक्युलर जिनोमिक लेबोरेट्री, इंडियन सार्स कोविड-2 जेनोमिक कंटोर्टिया (आइएनएसएसीओ) स्थापित किये गये हैं. यहां पर जिनोमिक सर्विलांस और अनुसंधान किया जाता है.
इस तरह के लैब स्थापित करने के लिए आइजीआइएमएस की ओर से प्रस्ताव आया है. भारत सरकार से अनुरोध किया गया है कि बिहार में आइजीआइएमएस, पटना में भी मॉलीक्युलर जिनोमिक लैब की स्थापना की जाये. इससे बिहार में कोरोना के मरीजों के जांच और इलाज में सहूलियत होगी.
कोविड अस्पताल नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अब ब्लैक फंगस के संक्रमित मरीज को भी भर्ती कर उपचार किया जायेगा. इसके लिए अस्पताल के इएनटी विभाग में 12 बेड की व्यवस्था अस्पताल प्रशासन की ओर से की गयी है, ताकि मरीजों को भर्ती कर उपचार किया जा सके. अस्पताल के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह व उपाधीक्षक डॉ सरोज कुमार ने बताया कि ब्लैक फंगस के मामले में अस्पताल प्रशासन की ओर से यह निर्णय लिया गया है कि अस्पताल में बीमारी पीड़ित मरीज आते है, तो उनके लिए 12 बेड पर उपचार की व्यवस्था होगी.
उपचार में उपयोग आने वाले इंडोस्कोपी सेट व डेबराइडर मशीन की व्यवस्था की जा रही है. इसके उपयोग में आने वाली दवाओं की व्यवस्था हो गयी है. अधीक्षक ने बताया कि अस्पताल में इसी बीमारी से जुड़े उपचार की व्यवस्था को लेकर बैठक हुई है. फिलहाल अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है. इस मामले में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ रामचंद्र कुमार ने अस्पताल प्रशासन से ब्लैक फंगस संक्रमित मरीजों के उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की थी.
Posted by Ashish Jha