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बिहार: आनंद मोहन एम्स की मांग को लेकर सहरसा बंद कराने सड़क पर उतरे, भाजपा से भी मिला साथ

एम्स की मांग को लेकर सहरसा बंद कराने भारी तादाद में लोग सड़क पर उतरे. पूर्व सांसद आनंद मोहन के नेतृत्व में बंद कराया गया. वहीं इस दौरान भाजपा व वामदलों व हम पार्टी के अलावे कई अन्य पार्टी के नेता व कार्यकर्ता साथ दिखे. आनंद मोहन ने कोसी क्षेत्र की उपेक्षा की बात कही.

By ThakurShaktilochan Sandilya | July 31, 2023 2:40 PM

सहरसा में एम्स की मांग को लेकर आज सोमवार को बंद का आह्वान किया गया था. पूर्व सांसद आनंद मोहन के नेतृत्व में आज भारी तादाद में लोग जुटे और बंद को सफल बनाने में लगे रहे. आनंद मोहन का साथ भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं ने भी दिया और पार्टी का झंडा लेकर सड़क पर उतरे दिखे. आनंद मोहन ने कहा कि सहरसा का हक छीनकर लेंगे और पार्टी व राजनीति से उपर उठकर इसके लिए सब एक रहेंगे. आनंद मोहन ने कहा कि हमारे पुरखों की विरासत को छीना गया. उन्होंने जो सौंपा वो दूसरे जगह दे दिया गया. अब लड़कर अपना हक लेंगे. एम्स, ओवरब्रिज, एयरपोर्ट, विश्विद्यालय व मेडिकल कॉलेज निर्माण की मांग उन्होंने की.

कई पार्टियों ने मिलकर दिया साथ

सहरसा में बंद को लेकर कोई दबाव नहीं बनाता नहीं देखा गया. कई संगठनों ने इस बंद को अपना समर्थन दिया था. पूर्व सांसद लवली आनंद, भाजपा के विधायक आलोक रंजन, भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष लाजवंती झा व जिलाध्यक्ष दिवाकर सिंह भी इस दौरान आनंद मोहन के साथ इस मुहिम में दिखे. हम पार्टी व वामदलों के नेता व कार्यकर्ता भी इस बंद को सफल बनाने उतरे थे. वहीं पुलिस प्रशासन ने पहले ही सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था कर रखी थी.

पूर्व सांसद आनंद मोहन ने तैयार किया बंद का मंच

इस बंद को राजनीतिक दलों, व्यापार संगठन, बस ऑनर्स एसोसिएशन, चिल्ड्रेन स्कूल एसोसिएशन सहित सभी सामाजिक संगठनों व आम लोगों ने अपना पूर्ण समर्थन दिया. बंद को व्यापक रूप से सफल बनाने को लेकर पूरी तैयारी की गयी थी. जिले के सर्वांगीण विकास व प्रमंडलीय मुख्यालय सहरसा की हो रही उपेक्षा की बात कहकर लोग नाराज दिखे और इस बार लोग पूर्ण रूप से एकजुट दिखे. सभी आपातकालीन सेवा छोड़कर सरकारी कार्यालय, रेल, बस सेवा, बाजार बंद रखने की रणनीति तैयार की गयी थी. बंद को सफल बनाने को लेकर पिछले लगभग एक महीने से पूर्व सांसद आनंद मोहन ने जिले के लगभग सभी क्षेत्रों में जाकर सभी संगठनों, आम नागरिकों से बंद में अपना पूर्ण समर्थन का आह्वान किया था. बंद को लेकर बीएनएमयू द्वारा संचालित परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गयी.

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एम्स को लेकर आंदोलन क्यों?

बता दें कि पिछले कई वर्षों से प्रमंडलीय मुख्यालय सहरसा में एम्स निर्माण की मांग को लेकर स्थानीय लोग लगातार धरना-प्रदर्शन व पत्र लिखते आ रहे थे. लेकिन लोग इस मांग को अनसुना करने का आरोप लगाते रहे हैं. सूबे में पटना के बाद दूसरा एम्स अन्य जिले में बनना है. दरभंगा में इसकी कवायद तेज है. जबकि सहरसा का दावा रहा है कि जिले से सबसे पहले एम्स निर्माण को लेकर जमीन उपलब्ध करायी गयी थी. एम्स को लेकर एम्स निर्माण संघर्ष समिति द्वारा उच्च न्यायालय तक में मामला दायर किया गया. लेकिन सरकार सहरसा की उपेक्षा करती रही.

बाहर से भेजे गये सुरक्षाबल

सहरसा में एम्स को लेकर स्थानीय लोगों व जनप्रतिनिधियों की दलील है कि प्रमंडलीय मुख्यालय सहरसा बीमारियों का गढ़ है. यहां इलाज के अभाव में कोसी पीड़ित आम लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं. कैंसर सहित अन्य बीमारियां यहां अपना पांव पसारे है. लेकिन राज्य सरकार जिले वासियों की मांग को अनसुनी करती रही है. बता दें कि रेल चक्का जाम को लेकर आरपीएफ और जीआरपी पहले से अलर्ट है. सुरक्षा को लेकर समस्तीपुर से आरपीएफ की टीम भेजी गयी है. वहीं खगड़िया से सहरसा के लिए जीआरपी की टीम भी भेजी गयी है.

भाजपा ने खुलकर दिया साथ

जिला मुख्यालय में एम्स निर्माण को लेकर सोमवार को होनेवाले महाबंद को लेकर पूर्व मंत्री सह भाजपा विधायक डॉ आलोक रंजन ने मीडिया प्रतिनिधियों से वार्ता की थी. उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति द्वारा तीन जुलाई को जिले में आयोजित सर्वदलीय बैठक में सभी लोगों ने 31 जुलाई को शांतिपूर्ण सहरसा बंद का निर्णय लिया था. वे अपने पार्टी के साथ शांतिपूर्ण सर्वदलीय सहरसा बंद का समर्थन करते हैं.

भाजपा का सवाल..

भाजपा विधायक ने कहा कि पूर्व में ही जब केंद्र सरकार ने बिहार में दूसरे एम्स की घोषणा की थी. उस समय तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मिलकर एम्स सहरसा में हो, इसके लिए आग्रह किया था. केंद्र सरकार की तरफ से राज्य को सहरसा में जमीन उपलब्ध कराने के लिए पत्र भी भेजा गया था. राज्य सरकार ने तत्कालीन जिलाधिकारी से जमीन संबंधित प्रतिवेदन भी मांगा गया था. जिलाधिकारी द्वारा जमीन उपलब्धता से संबंधित सभी कागजात राज्य सरकार को भेजा गया. बावजूद सहरसा को छोड़कर दरभंगा में एम्स की घोषणा राज्य सरकार ने कर दी.

वामदलों का भी मिला साथ

मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष दिवाकर सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता इस आंदोलन में साथ होकर सहरसा के हक की लड़ाई लड़ता रहेगा. एम्स निर्माण संघर्ष समिति सहित विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने पूर्व घोषित एम्स निर्माण की मांग को लेकर सोमवार को होनेवाली सहरसा बंद को भाकपा माले जिला इकाई ने सक्रिय समर्थन दिया.

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