बिहार में ओवैसी (AIMIM) के चार विधायकों को अपने साथ जोड़कर राजद (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद ने सीमांचल में अपना जनाधार बढ़ाने का जरुर प्रयास किया है, लेकिन आरजेडी अभी भी यहां एनडीए (NDA) से पीछे है.कभी सीमांचाल का क्षेत्र लालू प्रसाद के वोट बैंकों का गढ़ हुआ करता था. लेकिन, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) की 2020 में इंट्री के बाद राजद को यहां पर बड़ा झटका लगा था.
आरजेडी ने ओवैसी के पांच में से चार विधायकों को तोड़कर अपने साथ मिलाकर एक बार फिर से सीमांचल में अपनी जमीन मजबूत करने का प्रयास जरुर किया है. लेकिन अभी भी उसे सीमांचल में अपनी किला मजबूत करने के लिए कई और क्षेत्रों में जनाधार बढ़ाना पड़ेगा. AIMIM के विधायकों के राजद में शामिल होने की वजह से पार्टी को पूर्णिया और अररिया से संख्या बल में बढ़ोतरी के साथ विधायक तो मिल गए हैं, लेकिन अभी भी उनके सामने कई चुनौती है. क्योंकि सीमांचल के चारों जिलों में एनडीए के विधायकों की संख्या ज्यादा हैं.बिहार में करीब तीन दशक से राजनीति की ध्रुरी रही है एनडीए और महागठबंधन. दोनों के बीच जीत हार का फासला भी कुछ सीटों का ही रहा था. ऐसे में 2020 में सीमांचल की 24 सीटों में पांच सीटों पर जीतकर AIMIM ने सभी को अचंभित कर दिया था. AIMIM ने वर्ष 2020 में अमौर, बहादुरगंज, बायसी और कोचाधान में एनडीए को हराकर जीत अपने नाम किया था. जबकि जोकिहाट पर AIMIM के उम्मीदवार ने आरजेडी प्रत्याशी को हराया था.
जिन छह सीटों पर AIMIM के उम्मीदवार मैदान में थे वहां एनडीए की जीत हुई. ये सीट थे नरपतगंज, बरारी, प्राणपुर, साहेबगंज, रानीगंज और छातापुर. इनमें एक सीट रानीगंज में आरजेडी और AIMIM के वोट को जोड़ने पर रिजल्ट बदल जाता है. शेष पांच जगहों पर एनडीए जितने वोटों से जीता है, उससे कम वोट AIMIM उम्मीदवार को मिले थे. रानीगंज में जेडीयू को 81901 और आरजेडी को 79597 वोट मिले. इस तरह यहां जीत का अंतर 2304 था. यहां AIMIM उम्मीदवार को 2412 वोट ही मिले, जो जीत के अंतर से ज्यादा हैं.