अनुपम कुमार, पटना: बीते एक पखवाड़े से प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बहुत तेजी से बढ़ा है. प्रदेश के 28 में से 19 शहर गंभीर प्रदूषण के शिकार हैं और देश के 10 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में आठ-नौ हर दिन बिहार के ही शामिल रहते हैं. कई दिन तो ऐसा भी गुजरा है जब देश के सर्वाधिक 10 प्रदूषित शहरों में सभी के सभी बिहार के ही रहे हैं. 400 के पार एक्यूआइ देखने से कई शहरों की स्थिति बेहद गंभीर दिखती है.
हलांकि विशेषज्ञाें का मानना है कि धूल की अधिकता के कारण एक्यूआइ स्तर बढ़ा है और धुएं व कार्बन की तुलनात्मक रूप में कम मौजूदगी के कारण यह उतना खतरनाक नहीं है जितना देखने से लगता है. वस्तुत: बाहर से आने वाली धूलभरी हवा और प्रदेश की बेहद हल्की दोमट मिट्टी यहां प्रदूषण की प्रमुख वजह है. हिमालय का निकट होना भी एक बड़ी वजह है जो अफगानिस्तान और उत्तरप्रदेश की ओर से आने वाली प्रदूषणयुक्त हवाओं को रोक लेती है. इसके कारण हर वर्ष एक नवंबर से 15 फरवरी तक प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ा रहता है.
बीते छह माह में प्रदेश के 22 जिलो में 25 मॉनिटरिंग स्टेशनों की स्थापना की गयी है. इन नये मॉनिटरिंग स्टेशनों की स्थापना से पहले तक यह माना जाता था कि पटना, मुजफ्फरपुर और गया जैसे बड़े शहर ही प्रदूषित हैं जहां अधिक आबादी होने की वजह से बड़ी संख्या में वाहन दौड़ते हैं. वहां पेट्रोल, डीजल जैसे जीवाश्म ईंधनों के जलने से निकलने वाली कार्बन मोनाडाइक्साइड, कार्बनडाइक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि के कारण हवा का एक्यूआइ बढ़ा है. लेकिन जब माॅनिटरिंग स्टेशनों की स्थापना के बाद बेतिया, पूर्णिया, छपरा और मोतिहारी जैसे शहरों में 400 के ऊपर एक्यूआइ दिखने लगा तो इसके वजह का गहन अनुसंधान शुरू किया गया. उसके बाद इसके मूल में गंगा के मैदानी क्षेत्र की विशिष्ट भाैगोलिक स्थिति और यहां के मिट्टी की विशिष्ट प्रकृति सामने आयी.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के द्वारा प्रदेश में प्रदूषण को रोकने के लिए एक ग्रेडेड एक्शन प्लान तैयार किया गया है. इसके अंतर्गत 100 से अधिक एक्यूआइ वाले प्रदूषित शहरों में प्रदूषण फैलाने वाली कार्रवाई पर रोक होगी. यह छह माह बाद प्रदेश के उन सभी 25 शहरों में लागू होगा जहां एयर क्वालिटी नापने के लिए बीते दिनों नये मॉनिटरिंग स्टेशन बनाये गये हैं. छह माह का इंतजार इसलिए किया जा रहा है कि पर्यावरण संबंधी पहले से बने कानून के अनुसार किसी भी जगह पर इस तरह के एक्शन प्लान को लागू करने के लिए एक वर्ष के आंकड़े होना जरुरी है. ग्रेडेड एक्शन प्लान के अनुसार किसी शहर में प्रदूषण फैलाने वाले गतिविधियों पर रोक प्रदूषण स्तर की गंभीरता के अनुसार बढ़ती जायेगी. इसके क्रियान्वयन का जिम्मा संबंधित जिलों के डीएम और संबंधित विभागों पर होगा.
100 से 300 तक एक्यूआइ
-
लैंड फिल में कचरा जलाना और ऐसा करने वालों पर कड़ा जुर्माना- ईट भट्टो व अन्य उद्योगों से सख्ती से प्रदूषण मानकों का पालन करवाना
-
अधिक धुआं उउ़ाने वाले वाहनों पर कड़ा जुर्माना- निर्माण गतिविधि में धूल उड़ाने पर रोक – पटाखे पर सख्ती से रोक
-
ट्रैफिक जाम लगने से रोकने की व्यवस्था- सोशल मीडिया, मोबाइल एप आदि के माध्यम से लोगों में जागृति
300 से 400 एक्यूआइ
-
ट्रकों के शहर में प्रवेश पर रोक
-
डीजल सेट के जलाने पर रोक- पार्किंग शुल्क को तीन-चार गुना तक बढ़ाना
-
पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधाओं को बढ़ाना- कोयला और लकड़ी को होटलों और ढाबों में खुले में इस्तेमाल करने पर रोक
-
आवासीय सोसाइटी और अपार्टमेंट में रखे जाने वाले गार्ड को हीटर मुहैया करवाना ताकि उन्हें हानिकारक कचरे को जला कर रात में आग तापना नहीं पड़े- प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सांस रोग और ह्रदय रोग से पीड़ित व्यक्ति को प्रदूषित स्थानों पर या घर से बाहर खुले में कम जाने का सुझाव देना
401 से 405 एक्यूआइ
-
पब्लिक ट्रांसपोर्ट को इस तरह से रेगुलेट करना कि पिक आवर से ऑफ आवर में वाहनों का प्रेशर शिफ्ट हो
-
शहर का मशीनों से सफाई और पानी का छिड़काव बढ़ानाऑड और ईवन नंबर पर वाहनों को आने जाने का आदेश देना
450 से अधिक एक्यूआइ
-
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा वायु प्रदूषण स्वास्थ्य इमरजेंसी घोषित करना
-
राष्ट्रीय वायु शुद्धता कार्यक्रम के अंतर्गत डीएम के नेतृत्व में जिला स्तरीय क्रियान्वयन समिति का गठन जो स्कूलों को बंद करने समेत अन्य अतिरिक्त कदम उठाने पर निर्णय लेगा.
बीते 15 दिनों से पटना की हवा लगातार बेहद खराब बनी रही है और एक्यूआइ 300 के पार रहा है. शनिवार को भी दोपहर 11 बजे पटना का एक्यूआइ 347 था. समनपुरा और उसके आसपास इसका प्रदूषण का स्तर काफी ऊंचा रहता है और कई दिन तो यह 400 के खतरनाक स्तर को पार भी कर चुका है.
माॅनिटरिंग स्टेशन-एक्यूआइ
-
समनपुरा-392
-
तारामंडल-318
-
मुरादपुर-341
-
राजबंशी नगर-358
*आंकड़े शनिवार दोपहर 11 बजे के हैं. स्रोत – सीपीसीबी साइट
पटना की प्रदूषण की बड़ी वजह 15 वर्ष पुराने वाहनों का सड़क पर चलना भी है. इनमें नगर सेवा में चलने वाली 300 सिटीराइड बसें और स्कूल बसों के रुप में चलने वाले 200 मिनी बसें प्रमुख है. लगभग दो हजार स्कूल वैन और ऑटो भी ऐसे हैं जो 15 वर्ष से अधिक पुराने हो चुके हैं. इसके बावजूद सड़़कों पर दौड़ रहे हैं. एक बार पटना डीटीओ ने 15 साल पुरानी पीली सिटीराइड बसों के शहर में परिचालन पर रोक भी लगायी थी, लेकिन न्यायालय से पक्ष में निर्णय लेकर ये फिर से सड़कों पर आ गये.
शहर-एक्यूआइ
-
बेगूसराय- 406
-
कल्याण- 394
-
पूर्णिया- 386
-
बेतिया- 375
-
ग्रेटर नोएडा- 374
-
सिवान- 373
-
दरभंगा-360
-
कटिहार-358
-
सासाराम -358
-
औरंगाबाद- 358
*आंकड़े शुक्रवार शाम चार बजे के हैं. स्रोत – सीपीसीबी साइट
प्रदूषक-पटना-मुजफ्फरपुर-गया
-
बाहरी धूल- 28.3-43.3-36
-
बाहरी धुआं- 1.0-1.1-1.0
-
सड़क और निर्माण कार्य से उड़ने वाली धूल – 9.7-6-1
-
घरों की साफ सफाई से उड़ने वाली धूल- 23.8-3.2-2
-
वाहनों से निकलने वाला धुआं -13.2-21.5-23
-
ईंट भट्टा से निकलने वाला धुआं-5.6-5.8-6
-
खुले में कचरा जलाने से निकलने वाला धुआं – 8.7-10.9-10
-
उद्योगों से निकलने वाला धुआं- 5.8-2.9-3
-
डीजल जेनरेटर से निकलने वाला धुआं- 3.8-11.3-13