मेडिकल कचरे से जहरीली हो रही बिहार के इस शहर की हवा, संक्रमण का बढ़ा खतरा
उचित प्रक्रिया के पालन किये बगैर नर्सिंग होम से निकलने वाले मेडिकल कचरे को शहर में सड़क के किनारे खुले जगहों पर फेंका जा रहा है.
बिहारशरीफ : नर्सिंग होम से निकलने वाले मेडिकल कचरे गंभीर बीमारी के सबब बन सकते हैं. उचित प्रक्रिया के पालन किये बगैर नर्सिंग होम से निकलने वाले मेडिकल कचरे को शहर में सड़क के किनारे खुले जगहों पर फेंका जा रहा है.
इस पर किसी तरह का रोकटोक नहीं है. मेडिकल कचरे पर आवारा किस्म के जानवर भी भोजन की तलाश में मंडराते रहते हैं. मेडिकल कचरे में बीमारियों के वाहक कीटाणु होते हैं, जिसके संपर्क में आने से कोई भी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकता है.
इस कचरों में सिरिंज, बोतलें, मानव अंग, रक्त मवाद, प्लास्टर, खून से सने कपड़े, रूई व एक्सपायर हो चुकी दवाएं शामिल होती हैं. इसे हिंदी में जैव चिकित्सकीय कचरा व अंग्रेजी में बायो मेडिकल वेस्ट कहा जाता है.
चिकित्सक बताते हैं कि इस कचरे का 15 प्रतिशत हिस्सा बेहद खतरनाक होता है. अस्पताल प्रशासन से लेकर निजी नर्सिंग होम व पैथोलॉजी संचालक कचरे के निस्तारण को लेकर गंभीर नहीं हैं.
सरकार के निर्देशों के अनुसार बायोमेडिकल वेस्ट को छांट कर अलग-अलग रंग के डिब्बों में रखा जाना चाहिए. फिर इस छंटे हुए कचरे को अपने नजदीकी संयंत्र में भेजा जाना चाहिए, जहां इसका निस्तारण किया जाता है.
प्रत्येक नर्सिंग होम संचालक को इस आदेश को पालन करना चाहिए. हालांकि शहर के कुछ नर्सिंग होम हैं, जो इसका पालन करते हैं. लेकिन ऐसे नर्सिंग होम की संख्या काफी कम है. शहर में बने नर्सिंग होम निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं.
नर्सिंग होम के सामने सड़क किनारे पड़े घरेलू कचरे में मेडिकल कचरा फेंक जा रहे हैं. नगर निगम प्रशासन भी जैव चिकित्सकीय कचरे को कूड़े के ढेर के साथ शहर के बाहरी क्षेत्रों में फेंक रहा है.
शहर के बाइपास रोड स्थित नगर परिवहन कार्यालय के समीप व हिरण्य पर्वत के पीछे मेडिकल कचरे निगम प्रशासन द्वारा फेंके जा रहे हैं.
गौरतलब है कि अस्पताल प्रशासन भी मेडिकल कचरे को अस्पताल परिसर में ही जला देता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. इससे शहर की हवा जहरीली होती जा रही है. नतीजा सदर अस्पताल के आसपास रहने वाले लोग काफी नाराज हैं.
Posted by Ashish Jha