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रोहतास का अकबरपुर कहने ओडीएफ घोषित, लेकिन यहां 20 प्रतिशत शौचालय का ही हो रहा उपयोग

2015 में रोहतास प्रखंड को कर दिया गया. मगर अकबरपुर में आज तक शौचालय की प्रक्रिया बनाने की और प्रोत्साहन राशि लेने की और आधे अधूरे शौचालय रहने की सब कुछ वही रवायत चालू है. ऐसे में सरकार की यह योजना धरातल पर बिल्कुल फेल है.

सासाराम. बिहार सरकार की ओर से लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत 2014 में जब शौचालय बनाने की योजना चलायी गयी. इस दौरान घर-घर जाकर लोगों को जागरूक किया जाता था. अलग से एक टीम बनाकर आंगनबाडी सेविका, सहायिका, टोला सेवक, समूह की महिलाएं लोगों को जागरूक करती थी. शाम होते ही भीसील बजने लगती थी. भीसील की आवाज सुनते ही लोगों को डर पैदा हो जाती थी और चाह कर के भी लोगों को बाहर शौच के लिए निकलना मुश्किल हो जाता था.

यह योजना धरातल पर बिल्कुल फेल

इस काम में बिहार सरकार के द्वारा एक समय में निगरानी के लिए शिक्षकों को भी लगाया गया शाम होते ही अपने अपने टोलों पर बस्ती में गश्ती किया करती थी और कई ऐसे बेरोजगार नौजवान भी लग गये और लोगों को जागरूक किया. धीरे-धीरे यह अभियान एक साल में धरातल पर देखने को मिला और आनंन फानन में जिलाधिकारी के द्वारा प्रखंड को ओडिएफ घोषित 2015 में रोहतास प्रखंड को कर दिया गया. मगर अकबरपुर में आज तक शौचालय की प्रक्रिया बनाने की और प्रोत्साहन राशि लेने की और आधे अधूरे शौचालय रहने की सब कुछ वही रवायत चालू है. ऐसे में सरकार की यह योजना धरातल पर बिल्कुल फेल है.

शौचालय स्टोर बन गया या गोदाम बन गया या फिर ढह गया

अगर किसी गरीब ने शौचालय बनाया तो उसके अंदर जाना मुनासिब नहीं समझा, और वह स्टोर बन गया या गोदाम बन गया या फिर ढह गया. सरकार के द्वारा करोड़ों की राशि पानी में बहाई गयी, मगर इसका फायदा मात्र 20% लोग ही उठाये और इस्तेमाल कर रहे हैं, और बाकी जगहों पर इसी तरह गंदगी फैली हुई नजर आ रही है. सुबह हो शाम हो पहले की तरह पुरुष महिलाएं बच्चे बाहर जा रही है और अब दिल में कोई डर भी नहीं या कोई भीसील की आवाज भी नहीं या कोई उन्हें रोकने वाला टोकने वाला सरकारी महकामा भी नहीं. लेकिन कागज पर देखा जाए तो एक-एक व्यक्ति को चुन चुन कर शौचालय बनवाने की प्रक्रिया की गई है और उन्हें राशि भी प्रोत्साहन के रूप में बुला बुला कर दी जा रही है.

मुख्य बातें

  • अब नहीं बजती भीसिल, लोगों के अंदर से खत्म है डर

  • 2015 में ही ओडीएफ घोषित कर अधिकारियों को खूब मिली थी वाहवाही

  • शौचालय घर की बनी शोभा की वस्तु, तो किसी का बना गोदाम

  • चारों तरफ फिर वही गंदगी अब नहीं कोई लेता सूद

लोगों को जागरूक होने की जरूरत

रसूलपुर पंचायत की मुखिया अनुराधा देवी ने कहा कि यह बिल्कुल सत्य है कि देहात में अभी भी लोग शौच करने अधिक संख्या में बाहर निकल रहे हैं, जबकि सरकार के द्वारा जो लोहिया स्वच्छता अभियान चलाया गया. इसका लाभ अधिकतर लोग उठा चुके हैं, और प्रोत्साहन राशि भी ले चुके हैं. मगर अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि सड़कों पर गंदगी या शौच के लिए लोग बाहर निकल ही रहे हैं और गंदगी फैला ही रहे हैं. हम सब को एक बार फिर जागरूक होना होगा और एक टीम बनाकर सरकार की इस योजना को सफल बनाना होगा.

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लोगों को जागरूक करने में हो रही परेशानी

रोहतास गढ़ पंचायत के मुखिया नागेंद्र यादव ने कहा कि जंगल में रहने वाले लोगों को तो आदत सी हो जाती है और हमारा पंचायत पहाड़ी की तलहटी से लेकर पहाड़ के ऊपर तक है. इसका क्षेत्रफल काफि लम्बी दूरी में फैला हुआ है, जिसकी वजह से जागरूक करना काफी कठिन है. मगर मैं यह चाहूंगा कि सभी को इस बात का ज्ञान दिया जाए की बाहर में गंदगी फैलाने से अपना ही नुकसान होता है और सफाई बहुत ही जरूरी है. रह गई बात शौचालय की तो सरकार के द्वारा जितना शौचालय तैयार किया गया है. उसका राशि लोगों को खाते में दिया जा रहा है, और कुछ लोगों का अभी भी बन रहा है, जिसका नहीं मिल पाया है.

एक एक व्यक्ति के घर में शौचालय होना आवश्यक

प्रखंड स्वच्छता पदाधिकारी उपाध्याय जी ने कहा कि सरकार की योजना 2014 से अब तक जो चलाई जा रही है उसके तहत एक एक व्यक्ति के घर में शौचालय होना आवश्यक है. और हम लोग इसका सर्वे कर सभी का शौचालय निर्माण करवाते हैं और उसे प्रोत्साहन राशि दी जाती है. 2022-23 में 1160 शौचालय का चयन किया गया था और 240 को बनाना बाकी है. लोगों का भुगतान प्रोत्साहन राशि के हिसाब से कर दिया गया है.

एक नजर :- 2022/23 में शौचालय निर्माण

  • कुल :- 1160

  • पुर्ण :- 821

  • शेष :- 239

  • भुगतान प्रोत्साहन राशि:-725 लाभार्थी

  • कुल आठ पंचायत

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