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अक्षय आनंद सन्नी को मैथिली कविता संग्रह के लिए मिला साहित्य अकादमी का बाल पुरस्कार

साहित्य अकादमी नयी दिल्ली द्वारा प्रति वर्ष दिए जाने वाले प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी बाल पुरस्कार इस वर्ष मैथिली में युवा साहित्यकार अक्षय आनंद सन्नी को दिये जाने की घोषणा की गई है. यह घोषणा साहित्य अकादमी द्वारा शुक्रवार को किया गया.

पटना. साहित्य अकादमी नयी दिल्ली द्वारा प्रति वर्ष दिए जाने वाले प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी बाल पुरस्कार इस वर्ष मैथिली में युवा साहित्यकार अक्षय आनंद सन्नी को दिये जाने की घोषणा की गई है. यह घोषणा साहित्य अकादमी द्वारा शुक्रवार को किया गया. घोषणा के अनुसार मैथिलीक समकालीन साहित्य के एक प्रमुख नाम अक्षय को उनके बाल कविता संग्रह ‘ओल कतरा झोल कतरा’ के लिए वर्ष 2023 का बाल साहित्य पुरस्कार दिए जाने का निर्णय हुआ है और यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया है.

कई पुस्तकें हो चुकी हैं प्रकाशित

मधुबनी जिला के बेनीपट्टी प्रखंड क्षेत्राधीन शिवनगर गांव निवासी जीतेंद्र नाथ झा एवं सुधीरा झा के पुत्र अक्षय मैथिली साहित्य में लगातार सक्रिय हैं. अब तक इनका दो बाल कविता संग्रह एवं एक कविता संग्रह सहित तीन पुस्तकें प्रकाशित है. इनमें ‘ओल कतरा झोल कतरा’ वर्ष 2017 में तो ‘आम छू अमरोड़ा छू’ वर्ष 2020 में प्रकाशित है. इसी प्रकार इनकी तीसरी पुस्तक ‘औनाइत आखर’ का प्रकाशन वर्ष 2021 है. इसके अतिरिक्त अक्षय गीत और गजल लेखन में भी विशेष दखल रखते हैं. इनके द्वारा लिखे गये दर्जनों गीत खूब लोकप्रिय है. इससे पहले वर्ष 2018 में अक्षय को इसी बाल कविता संग्रह ‘ओल कतरा झोल कतरा’ के लिए मैथिली साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समिति, मधुबनी द्वारा नव हस्ताक्षर पुरस्कार एवं वर्ष 2020 में मैथिली साहित्य महासभा, नयी दिल्ली द्वारा मैसाम युवा सम्मान प्राप्त है. साहित्य के जानकार एवं सजग पाठकों की मानें तो अक्षय की बाल कविताएं बाल मनोविज्ञान को पकड़ नैतिक शिक्षा, चरित्र निर्माण एवं गतिशीलता पर केंद्रित रहता है, जो बच्चों के मानसिक एवं बौद्धिक विकास में सहायक होता है.

सम्मान या पुरस्कार आपकी चुनौतियों को बढ़ा देता है

पुरस्कार की घोषणा के बाद खुशी व्यक्त करते हुए अक्षय ने कहा कि सम्मान या पुरस्कार आपकी चुनौतियों को बढ़ा देता है. कारण, सम्मानित होने बाद से आपसे लोगों की उम्मीदें पहले के अपेक्षा कई गुना बढ़ जाती है, उत्तरदायित्व बढ़ा देता है. जिसपर खड़ा उतरना इतना आसान नहीं है. इसके लिए धैर्य और साहस दोनों की आवश्यकता होती है. जो मुझे मेरे पाठक और साहित्यिक अभिभावकों से मिलती है. निस्संदेह यह पुरस्कार मेरे अंदर की ऊर्जा को कई गुना बढ़ा दिया है, आह्लादित हूं. अक्षय आज कल एक मैथिली अखबार के कार्यकारी संपादक हैं और मैथिली मीडिया के उत्थान को ले निरंतर प्रयास कर रहे हैं. अक्षय को पुरस्कार दिए जाने की घोषणा के बाद से साहित्य जगत में हर्ष व्याप्त है, उन्हें लगातार बधाईयां मिल रही हैं.

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