कोरोना के नये वेरिएंट को लेकर बिहार में अलर्ट, पटना में 41 प्रतिशत लोगों ने लिया बूस्टर डोज
एमसीएच भवन में 106 बेड कोरोना के मरीजों के लिए रिजर्व रखा गया है. सभी बेड पर ऑक्सीजन गैस पाइप लाइन लगी है. अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगने से ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. मरीजों के लिए दवा भी उपलब्ध है.
पटना सिटी. नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना के नये वेरिएंट को लेकर अलर्ट किया गया. इसको लेकर बुधवार को अस्पताल के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई. अस्पताल अधीक्षक व एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ मुकुल कुमार सिंह ने बताया कि एमसीएच भवन में 106 बेड कोरोना के मरीजों के लिए रिजर्व रखा गया है. सभी बेड पर ऑक्सीजन गैस पाइप लाइन लगी है. अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगने से ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. मरीजों के लिए दवा भी उपलब्ध है.
कोरोना के 12 एक्टिव केस
कोविड मरीज के आते ही उनको उपचार की व्यवस्था आरंभ हो जायेगी. अधीक्षक ने बताया कि माइक्रो बायोलॉजी लैब में कोविड जांच की हो रही है. जांच रिपोर्ट विभाग को भेजा जा रहा है. विभाग में वैशाली, सीतामढ़ी समेत एनएमसीएच से मरीजों का नमूना संग्रह कर जांच कराया जा रहा है. प्रतिदिन लगभग पांच से छह सौ नमूने जांच के लिए आ रहे हैं. हालांकि मंगलवार तक प्रदेश में कोरोना के 12 एक्टिव केस थे.
जिले में 41% लोगों ने ही लिया बूस्टर डोज
पटना जिले में बूस्टर डोज लेने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा नहीं हो रहा है. जानकारी के मुताबिक हेल्थ केयर वर्कर, फ्रंट लाइन वर्कर और 60 प्लस के लोगों में से जिन्हें बूस्टर डोज लेने का समय हो चुका है उनमें से मात्र करीब 41 प्रतिशत ने ही बुस्टर डोज लिया है. करीब 59 प्रतिशत अब भी बुस्टर डोज से बचे हैं.
नौ माह बीतने के बाद कम हो जाती है एंटीबॉडी की मात्रा
जिले में अभी करीब 95 हजार लोगों को ही कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया गया है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक जिन लोगों का भी नाम बूस्टर डोज के लिए आ चुका है उन्हें यह ले लेना चाहिए. ऐसा इसलिए कि नौ माह बीतने के बाद शरीर से एंटीबॉडी की मात्रा भी कम होने लगती है. ऐसे में लोगों को कोरोना से बचने के लिए बूस्टर डोज जरूर लेना चाहिए.