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बिहार में कागजों पर ही हो गया 4.5 लाख टन अनाज का आवंटन, एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

एसोसिएशन का आरोप है कि कोरोना काल के दौरान जनवितरण दुकानों में अनाज का वास्तविक रूप से आवंटन हुआ नहीं, लेकिन पदाधिकारियों व तकनीकी कर्मी की मिलीभगत से कागजों पर सिमट कर रह गया.

पटना. जन वितरण दुकानों में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबों को मुफ्त में मिलने वाले अनाज का बंदरबांट कर दिया गया. गड़बड़ी के आरोप को लेकर फेयर प्राइस डीलर्स एसोसिएशन के महामंत्री गौरव लाभ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में अनाज आवंटन में हुई गड़बड़ी की जांच केंद्रीय एजेंसियों से कराने की मांग की है.

क्या है एसोसिएशन का आरोप

एसोसिएशन का आरोप है कि कोरोना काल के दौरान जनवितरण दुकानों में अनाज का वास्तविक रूप से आवंटन हुआ नहीं, लेकिन पदाधिकारियों व तकनीकी कर्मी की मिलीभगत से कागजों पर सिमट कर रह गया. हैरत की बात है कि कुछ जगहों पर मृत जनवितरण दुकानदारों को भी अनाज आवंटित किया गया. जब इसे लेकर खुलासा हुआ, तो बचने के लिए मृत दुकानदार के परिजन को टैग कर आवंटित अनाज को दिखाया गया. आरोप के अनुसार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत राज्य भर में लगभग साढ़े चार लाख टन अनाज की हेराफेरी का अनुमान है. इसका मूल्य बाजार में लगभग 250 करोड़ के आसपास लगाया जा रहा है.

कोरोना काल में अनाज आवंटन में हुई गड़बड़ी

एसोसिएशन के महामंत्री ने बताया कि कोरोना काल वर्ष 2020 व 2021 में जन वितरण दुकानों में अनाज आवंटन में गड़बड़ी हुई है. 70 से 80 प्रतिशत दुकानों में अनाज आवंटित नहीं हुआ, लेकिन कृत्रिम रूप से विभाग ने दिखा दिया गया. वर्ष 2021 में जनवरी व मार्च का आवंटन वेबसाइट पर अपलोड ही नहीं किया गया. मामले का खुलासा होने पर वेबसाइट पर डेटा का मैनुपुलेट कर आनन-फानन में तैयार किया गया. इसमें अनाज आवंटन में गड़बड़ी पायी गयी. इसके बाद भी यह खेल जारी रहा. अपलोड अनाज में बैलेंस व वितरण में कोई तालमेल नहीं मिला. दुकानों को अनाज आवंटन के दौरान बीच-बीच में आवंटन शून्य रहा, जबकि उसके अगले माह बैलेंस व वितरण अनाज में अंतर दिखा. अनाज आवंटन में गड़बड़ी को लेकर जन वितरण दुकानदारों ने शिकायत भी दर्ज करायी.

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अधिकारियों व तकनीकी कर्मी शामिल

सूत्र ने बताया कि अनाज आवंटन में गड़बड़ी करने में अधिकारी व तकनीकी कर्मी शामिल है. पटना जिले में एमओ स्तर के एक अधिकारी आठ साल से तैनात हैं. मात्र एक माह के लिए उनका स्थानांतरण जिले से बाहर हुआ. मामले में खाद्य व उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव विनय कुमार के मोबाइल पर लगातार संपर्क करने के कोशिश की गई, इसके बावजूद फोन रिसीव नहीं हुआ.

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