पटना. नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री आलोक मेहता ने पिछले दिनों समाज के 10 प्रतिशत सवर्णों को लेकर दिये अपने बयान को सही बताया है. अपने विवादित बयान पर अड़े आलोक मेहता ने कहा कि शहीद जगदेव प्रसाद ने जिन 10 प्रतिशत लोगों के बारे में बताया था, वो अंग्रेजों के गुलाम ही थे और अंग्रेज के जाने के बाद अंग्रेजों की जगह वो शोषक बन गये. रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए आलोक मेहता ने कहा कि शहीद जगदेव प्रसाद ने यह बात कही थी कि जो अंग्रेजों के दलाल थे. अंग्रेजों ने भारत से जाने से पहले अपनी सत्ता उन्हें सौंपी थी. वह शोषक हो गये और यह वहीं दस प्रतिशत हैं, जो रूप बदल-बदलकर लोगों का शोषण करते रहते हैं.
आलोक मेहता ने कहा कि वो किसी जाति या धर्म के लोगों की बात नहीं की है. शोषक एक वर्ग है, जिसकी संख्या 10 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि आजकल जो शोषक वर्ग हैं, वो नागपुर से संचालित होते हैं. नागपुर के संचालन से ही शोषक वर्ग काम कर रहा है. आरएसएस के लोग अंग्रेजों के दलाल थे. अंग्रेजों की मुखबिरी करते थे. आज स्थिति यह हो गयी है कि सरकारी एजेंसियां बिक रही हैं. रेलवे, एयरपोर्ट सब बिक गये. समय में कुछ बदलाव जरूर हुए, लालू यादव-नीतीश कुमार के समय बदलाव हुए, लेकिन घूम फिर कर वह दलाल वर्ग और शोषक वर्ग अत्याचार करते रहें.
धर्म के मुद्दे पर नीतीश के मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि धर्म पर किसी एक का अधिकार नहीं है. धर्म मानने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं. राम नाम एक मात्र प्रतीक नहीं हैं. राम सिर्फ मूर्ति में नहीं हैं. राम की पूजा मन में होनी चाहिए. ‘रोम-रोम में राम’ हम भूल जाते हैं. धर्म के नाम पर पोंगापंथी व्यवस्था का विरोध होना चाहिए. वहीं, रामचरितमानस के विरोध पर उन्होंने कहा कि रामचरितमानस का विरोध नहीं हो रहा है. विश्लेषण का विरोध हो रहा है. लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी है, आप उसको रोक नहीं सकते हैं. उदय नारायण चौधरी के ‘लंगड़ी सरकार’ वाले बयान पर उन्होंने कहा कि बयान देने के लिए पार्टी की तरफ से वो अधिकृत नहीं हैं.