बिहार में कल अमित शाह झंझारपुर की रैली से कितने लोकसभा को साधेंगे? जानिए क्या है इस सीट का इतिहास..
Amit Shah Jhanjharpur Rally: गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को मधुबनी के झंझारपुर आ रहे हैं. जहां वो जनसभा को संबोधित करेंगे. अमित शाह झंझारपुर से कितने लोकसभा को साधेंगे और क्या होगा इस रैली का असर, रैली की तैयारी पर भी जानिए क्या है अपडेट..
Amit Shah Jhanjharpur Rally: गृह मंत्री अमित शाह एकबार फिर बिहार आ रहे हैं. इस बार अमित शाह झंझारपुर में जनसभा को संबोधित करेंगे. भाजपा की ओर से इसे लेकर पूरी तैयारी की गयी है. भाजपा नेताओं ने लाख से अधिक समर्थकों का इस रैली में शामिल होने का दावा किया है. इस साल की बात करें तो इससे पहले अमित शाह पांच बार बिहार आ चुके हैं. मधुबनी जिले के झंझारपुर से अमित शाह जब संबोधित करेंगे तो आस-पास के कितने जिलों को वो साधेंगे आइये जानते हैं.
झंझारपुर पर क्यों है भाजपा का निशाना..
बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. इन 40 सीटों में एक झंझारपुर लोकसभा भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. सियासी मामलों के जानकारों की मानें तो आजतक पिछड़ों और अति पिछड़ों के बीच यहां की राजनीति घूमती रही. 1972 में यह सीट मधुबनी से अलग होकर अलग लोकसभा बना. तब से 12 बार के परिणाम देखें तो 10 बार का प्रतिनिधित्व पिछड़े या अति पिछड़े वर्ग के नेता ने किया. इस सीट को उन 10 टारगेट सीटों में एक बताया जाता है जिसपर भाजपा उम्मीदवार नहीं उतारती थी लेकिन अब उन सीटों पर उम्मीदवार उतारकर जीत दर्ज करने के लिए पूरी रणनीति बनायी जा रही है. बता दें कि झंझारपुर से ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा भी चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज की थी. कांग्रेस यहां से दो बार जीत दर्ज कर सकी है. भाजपा ने एक बार इस सीट पर जीत दर्ज की है.
झंझारपुर से कब कौन जीता..?
नरेंद्र मोदी को जब भाजपा ने प्रधानमंत्री चेहरा बनाया तो 2014 में झंझारपुर से भाजपा के बीरेंद्र कुमार चौधरी उम्मीदवार बने थे और जीत हासिल की थी. उसके बाद 2019 में एनडीए में यह सीट जदयू के खाते में चली गयी थी और रामप्रीत मंडल जदयू के उम्मीदवार बने थे. एनडीए की जीत हुई थी. 2 लाख 23 हजार वोटों के अंतर से जदयू के उम्मीदवार जीते थे. अब बिहार में सियासी समीकरण बदल गया है और जदयू व भाजपा एक दूसरे की विरोधी पार्टी है. इस सीट पर यादव जाति से आने वाले देवेंद्र प्रसाद ने जीत की हैट्रिक लगायी है. 1989 से 1998 तक वो जनता दल के टिकट पर यहां से जीतकर संसद गए. 1999 और 2004 में वो राजद के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते. एनडीए के लिए 2004 में जदयू की ओर से मंगनी लाल मंडल ने जीत दर्ज की थी. 2014 में भाजपा और जदयू अलग हो गए तो मुकाबला त्रिकोणीय हो गया था. जीत भाजपा उम्मीदवार की हुई थी. बता दें कि जगन्नाथ मिश्रा के बेटे व भाजपा विधायक नीतीश मिश्रा झंझारपुर विधानसभा क्षेत्र से 4 बार चुनाव जीत चुके हैं.
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भाजपा सांसद का दावा..
अमित शाह के कार्यक्रम को लेकर झंझारपुर में भाजपा पूरी तैयारी कर रही है. गुरुवार को प्रेस वार्ता करते हुए भाजपा सांसद डा. अशोक कुमार यादव ने कहा कि आगामी 16 सितंबर को गृह मंत्री अमित शाह का झंझारपुर में आयोजित होने वाली रैली ऐतिहासिक होगी. इसमें नये मतदाता, युवाओं की संख्या काफी अधिक होगी. साथ ही बड़े बुजुर्ग भी काफी संख्या में आयेंगे. एक प्रकार से यह युवा एवं बुजुर्ग लोगों का समागम होगा. बिहार के जिस- जिस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के सांसद नही हैं, उस क्षेत्र में गृह मंत्री का लोकसभा प्रवास कार्यक्रम चल रहा है. प्राय: हर माह बिहार के किसी न किसी क्षेत्र में वे रैली कर रहे हैं.
झंझारपुर से अमित शाह कितनी सीटों पर साधेंगे निशाना..
सांसद ने कहा कि अमित साह के इस रैली का दूरगामी असर पड़ेगा. आने वाले लोकसभा चुनाव में दरभंगा, झंझारपुर, सुपौल, मधुबनी में आसानी से हमारी जीत सुनिश्चित हो जायेगी. इस रैली को लेकर आम लोगों में उत्साह है. आम लोग अपने अपने संसाधन से गृह मंत्री के रैली में शामिल होने को उत्सुक हैं. कार्यकर्ताओं के साथ लगातार बैठक चल रहा है. कार्यकर्ता अपनी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं. साथ ही प्रदेश व देश स्तर के पार्टी के अधिकारी भी यहां पर लोगों के बीच जाकर अमित साह के कार्यक्रम में शामिल होने के लिये आमंत्रण दे रहे हैं. सांसद ने कहा कि गृह मंत्री के आगमन को लेकर पूरे मिथिलांचल में उत्साह है.
झंझारपुर लोकसभा सीट का गणित
झंझारपुर लोकसभा सीट में 6 विधानसभा है. यहां ब्राह्मण, यादव और अति पिछड़ा वोट भी मायने रखता है. मुस्लिम वोट करीब 15 प्रतिशत को अन्य जातियों का भी मिला-जुला हिसाब किताब है. सबसे अधिक अति पिछड़ा वोट इस लोकसभा में है. बताते चलें कि अररिया के जोगबनी में भी अमित शाह कार्यकर्ताओं से चुनावी मुद्दों पर बातचीत करेंगे.