Explainer: Amit Shah की Rally से पहले जमकर हुआ शंखनाद, आप भी अगर बजाते हैं शंख तो जानें इसके फायदे
Amit Shah Bihar Visit: अमित शाह आज बिहार दौरे पर हैं. पूर्णिया में उनका शंखनाद से स्वागत किया गया. पांच महिलाओं ने समवेत स्वर में तीन बार शंखनाद कर उनका स्वागत किया. अमित शाह ने सीमांचल से मिशन 2024 की शुरुआत की. आइये जानते हैं किसी काम की शुरुआत के समय शंखनाद के क्या फायदे होते हैं.
पटना. अमित शाह आज बिहार दौरे पर हैं. उन्होंने सीमांचल से मिशन 2024 की शुरुआत की. पूर्णिया के रंगभूमि मैदान पहुंचने पर उनका शंखनाद से स्वागत किया गया. पांच महिलाओं ने समवेत स्वर में तीन बार शंखनाद किया. ऐसी मान्यता है कि सनातन धर्म में किसी मेहमान के आगमन पर या किसी नये कार्य के प्रारंभ के समय समय शंखनाद किया जाता है. ये परंपरा बहुत आदि काल से किया जाता है.
शंखनाद करने से वहां के अशुद्धियां खत्म हो जाती है
शंखनाद करने से वहां के अशुद्धियां खत्म हो जाती है. हिंदू रीति रिवाज में शंखनाद का बहुत पुराना नियम है, जब कोई हिंदू नेता या हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करता हो उनके आगमन पर शंखनाद किया जाता है. शंखनाद पुरुष और महिलाएं दोनों करती हैं. कहीं कहीं तो शंखनाद करनेवाले पुरुष को लक्ष्मी जी का भाई भी मानते हैं. कहते हैं जहाँ शंख होता है, वहां लक्ष्मी जरूर होती हैं. मंगल कार्यों के अवसर पर और धार्मिक उत्सवों में भी इसको बजाना शुभ माना जाता है.
भगवान को विष्णु को शंख बेहद प्रिय है
सनातन परंपरा में शंख का बहुत महत्व है. भगवान को विष्णु को शंख बेहद प्रिय है. मान्यता है कि जिस स्थान या घर में शंख की ध्वनि होती है उस स्थान पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी वास करती है. कहा जाता है कि महाभारत काल में भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुए थे, तो उनके पास पांचजन्य नामक शंख था. माना जाता है कि शंख समुद्र मंथन के दौरान निकले 14 रत्नों में से एक थी, इसीलिए इसे रत्न भी कहा जाता है. चूंकि समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था. इस लिए शंख को माता लक्ष्मी का भाई माना जाता है. मूल रूप से शंख दो प्रकार की होती हैं.
इतने प्रकार के होते हैं शंख
शंख कई प्रकार के होते हैं. दक्षिणावर्ती शंख का घर में होना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस शंख को घर में बजाने से पॉजिटिव एनर्जी आती है. दक्षिणावर्ती शंख को दाएं हाथ से पकड़ा जाता है. इस शंख को देवस्वरूप माना गया है और इसके पूजन से लक्ष्मी प्राप्ति के साथ-साथ संपत्ति भी बढ़ती है. वामवर्ती शंख को बांए हाथ से बजाया जाता है. इसके बजाने के लिए एक छिद्र होता है.
नकारात्मक ऊर्जा को घर से बाहर निकालने में सक्षम
यह शंख नकारात्मक ऊर्जा को घर से बाहर निकालने में सक्षम होता है. इसके घर पर रहने से हमेशा सुख-शांति का वास होता है. यह शंख आसानी से मिल जाता है. इसी प्रकार कौरी शंख बेहद दुर्लभ पाया जाता है. इस शंख को घर में रखने से भाग्य की वृद्धि होती है और सभी कार्य बनने लगते हैं. कौरी को कई जगह कौड़ी भी कहा जाता है और पीली कौड़ियां घर में रखने से धन वृद्धि होती है. इस शंख का प्राचीनकाल में गहनों में प्रयोग किया जाता था.
ये शंख भी हैं महत्वपूर्ण
कामधेनु शंख को गौमुखी भी कहा जाता है. यह शंख कामधेनु गाय के मुख जैसी रूपाकृति का होने की वजह से इसे गोमुखी कामधेनु शंख कहा जाता है. कहते हैं इस शंख की पूजा करने से तर्कशक्ति प्रबल होती है. इसे कलयुग में मनोकामना पूर्ति का साधन बताया गया है. हीरा शंख को पहाड़ी शंख भी कहा जाता है, तांत्रिक लोग महालक्ष्मी की पूजा के लिए इस शंख का प्रयोग करते हैं. यह बहुमूल्य माना जाता है और पहाड़ों पर पाया जाता है.
यह हृदय रोगनाशक भी माना गया है
यह शंख दक्षिणावर्ती शंख की तरह ही खुलता है. मोती शंख को घर में स्थापित करने पर सुख-शांति का वास होता है. साथ ही यह हृदय रोगनाशक भी माना गया है. इसकी हर रोज पूजा करने पर आर्थिक उन्नति होती है. अगर इस शंख को कारखाना, दुकान या ऑफिस में रखेंगे तो कभी भी आपको व्यापार घाटा नहीं होगा. इस शंख को श्रीयंत्र भी कहा जाता है क्योंकि इसका नाम महालक्ष्मी शंख है. मान्यता है कि यह महालक्ष्मी का प्रतीक है. इसकी आवाज सुरीली होती है.
शंख बजाने के लाभ
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जिस घर में भूत प्रेत की बाधा हो तो वहां प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा करने के उपरांत शंख बजाने से भूत-प्रेत आदि की बाधाएं दूर हो जाती हैं.
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शंख बजाने से फेफड़े हमेशा मजबूत बने रहते हैं और वाणी का दोष भी दूर होता है. मन शांति रहता है.
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शंख बजाने से सूक्ष्म जीवाणुओं व कीटाणुओं का नाश हो जाता है.
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शंख को सदैव जल भर कर रखना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि इससे घर परिवार में शांति और शीतलता बनी रहती है.
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शंखनाद से घर में नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है.