Bihar: अमित शाह मुस्लिम बाहुल्य सीमांचल में अल्पसंख्यकों के खिलाफ एक शब्द नहीं बोले, जानिये चुनावी मायने
Bihar Politics: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे से पहले भाजपा के दिग्गज नेताओं ने ध्रुवीकरण के लिए कई बयान दिये. लेकिन अमित शाह का भाषण इससे बिल्कुल विपरीत था. मुस्लिम बाहुल्य सीमांचल में उनके भाषण ने कई संदेश दे दिये हैं. जानिये बीजेपी की रणनीति के बारे में...
Bihar Politics: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) अपने दो दिवसीय दौरे पर बिहार आए. बिहार में जदयू के भाजपा से अलग होने के बाद ये अमित शाह का पहला दौरा था. गृह मंत्री का कार्यक्रम सीमांचल में हुआ. पूर्णिया में अमित शाह की जनभावना रैली हुई जिसमें उन्होंने संबोधित भी किया. रैली की तैयारी में जुटे भाजपा के दिग्गज नेताओं ने अमित शाह की छवि के हिसाब से ही बयानबाजी की लेकिन जब मंच पर गृह मंत्री ने हुंकार भरी तो एक मुद्दा बिल्कुल गौण था. मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में गृह मंत्री अमित शाह का संबोधन बहुत कुछ बता जाता है.
अल्पसंख्यकों के गढ़ में भी शांत रहे अमित शाह
सीमांचल में 40 से 70 फीसदी अल्पसंख्यक आबादी है. अमित शाह के आगमन से पहले भाजपा के दिग्गज और फायरब्रांड नेताओं के निशाने पर बांग्लादेशी घुसपैठिये और सीमांचल क्षेत्र में बढ़ती अल्पसंख्यक आबादी ही थी. मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में जब अमित शाह जैसे नेता आ रहे हों तो उम्मीद भी ऐसी ही रहती है कि ध्रुवीकरण वाले तीर तरकश से निकाले जाएंगे. लेकिन सीमावर्ती क्षेत्र होने के बाद भी सीमांचल में ऐसा कुछ नहीं हुआ.
अमित शाह के भाषण का सार…
अमित शाह ने अपने संबोधन को लालू यादव व नीतीश कुमार के ही इर्द-गिर्द रखा. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू का एनडीए से बाहर होना और राजद के साथ महागठबंधन की सरकार में जाना ही अमित शाह के भाषण में निशाना बनाया गया. अमित शाह ने आगामी लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत देने की अपील भाषण में की. जंगलराज का जिक्र करके जनता को सावधान किया. लेकिन अल्पसंख्यकों को मुद्दा एक भी बार भाषण में नहीं बनाया. प्रभात खबर से विशेष बातचीत में अमित शाह ने इसका जिक्र भी किया कि मेरे भाषण में न हिंदु था न मुसलमान.
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मुस्लिम वोटरों पर भाजपा की नजर?
मुस्लिम बाहुल्य सीमांचल में अमित शाह के भाषण के बदले तेवर ये संदेश देता है कि भाजपा आगामी चुनाव में मुस्लिम वोटरों में भी सेंधमारी की कोशिश करेगी. सीमांचल महागठबंधन का गढ़ माना जाता है. और अब जदयू जब अलग है तो भाजपा के लिए यह चुनौती होगी कि अपने उम्मीदवार के हिस्से मुस्लिम वोट कैसे समेटे. पार्टी आने वाले दिनों में अल्पसंख्यकों को जोड़ने में भी बल लगाएगी. महिला वोटरों को भाजपा खासतौर पर अपने साथ जोड़ने का प्रयास कर सकती है. राजनीतिक मामलों के जानकारों का मानना है कि शायद इसी वजह से अमित शाह ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ कुछ नहीं बोला.
Posted By: Thakur Shaktilochan