पटना. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह देश के तीसरे सबसे सुरक्षित व्यक्ति है. भारत में अब तक के सबसे ताकतवर गृहमंत्री अमित शाह को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बाद सबसे मजबूत सुरक्षा घेरा मिला हुआ है. बिहार प्रवास के दौरान अमित शाह की सुरक्षा का पुख्ता इंतेजाम किया गया हैं. पिछले दिनों मुंबई दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा में हुई चूक के बाद बिहार दौरे पर सुरक्षा एजेंसियां चौकस हैं. एसएसबी, बिहार पुलिस, सीआरपीएफ, एनएसजी, बीएमपी व सीआईएसएफ उनकी सुरक्षा में होते हैं. इस प्रकार गृहमंत्री के लिए सात सुरक्षा एजेंसियों के जवान तैनात होते हैं, ताकि एक परिंदा भी पर नहीं मार सके.
बिहार प्रवास के दौरान केंद्रीय मंत्री अमित शाह की सुरक्षा में करीब साढ़े तीन हजार पुलिस बल तैनात किये गये हैं. इसके अलावा एक दर्जन थानों की पुलिस को लगातार गश्त लगाने का निर्देश दिया गया है. सैन्य हवाई अड्डे से इंदिरा गांधी स्टेडियम तक करीब 80 ड्रॉप गेट लगाये गये हैं. संवेदनशील जगहों पर बैरिकेडिंग की गयी है. पूर्णिया एसपी ने बताया कि सादे लिबास में भी कई पुलिसकर्मी तैनात किये गये हैं. रैली मैदान में ड्रोन से भी निगरानी की जाएगी. वहां जिन जिन स्थानों पर जाएंगे, उसकी चप्पे-चप्पे की जांच की जा रही है. इसके अलावा होटलों और धर्मशालाओं की चेकिंग की गई है. बस स्टेंड और रेलवे स्टेशन पर बाहर से आने वाले लोगों की तलाशी ली जा रही है.
पूर्णिया में गृह मंत्री की सुरक्षा को तीन घेरों में बांटा गया है. पहले में गृहमंत्री के पास कमांडो और एनएसजी की टीम रहेगी. दूसरे में सीआरपीएफ के 200 जवान अत्याधुनिक हथियारों से लैस रहेंगे. तीसरे लेयर में बिहार पुलिस के करीब 3000 जवान सैन्य हवाई अड्डा से लेकर स्टेडियम के बाहर और शहर के सभी चौक-चौराहों पर तैनात रहेंगे.
भारत में वीआईपी की सुरक्षा में ‘जेड प्लस’ सिक्योरिटी सबसे बेहतरीन मानी जाती है. अमित शाह की सुरक्षा में खास बात यह है कि उनको प्रधानमंत्री के सुरक्षा की तरह उनके कमांडो को ब्रीफकेस बैलिस्टिक शील्ड दिया हुआ है. ब्रीफकेस बैलिस्टिक शील्ड पोर्टेबल बुलेट प्रूफ शील्ड होती है, जो कि ब्रीफकेस खोलते ही ढाल की तरह काम करने लगता है. आमौतर पर गृहमंत्री को एडवांस सिक्योरिटी लायजन एएसएल के साथ यही सुरक्षा दी जाती है.
‘जेड प्लस’ सिक्योरिटी के तहत वीआईपी को करीब दो दर्जन सुरक्षा कमांडो चारों ओर से कवर करते हैं, इसके अलावा आवास पर अलग से सिक्योरिटी कवर दिया जाता है. जेड प्लस’ प्रोटेक्टी को एक बूलेट-प्रूफ कार मिलती है और इसके अलावा सुरक्षा व्यवस्था के प्रबंधन के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी की भी तैनाती की जाती है. एडवांस सिक्योरिटी लायजन (एएसएल) वीआईपी सुरक्षा व्यवस्था की एक खास व्यवस्था है, जिसके तहत प्रोटेक्टी की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों की एक टीम उस स्थान पर 48 घंटे पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का मुआयना करती है और फिर उसके अनुसार आगे के फैसले लेती है. जरूरत के हिसाब से इस सुरक्षा को और भी मजबूत किया जा सकता है.
भारत में मुख्य रूप से 4 प्रकार की सुरक्षा श्रेणियाँ हैं
एक्स (X), वाई (Y), जेड (Z) और जेड प्लस (Z Plus). इसके अतिरिक्त SPG सुरक्षा भी है जो केवल प्रधानमंत्री और उसके परिवार के लिए होती है, जबकि अन्य सुरक्षा श्रेणियों के तहत किसी भी ऐसे व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान की जा सकती है, जिस पर खतरे की आशंका के संबंध में केंद्र या राज्य सरकारों के पास खतरे से जुड़ी कोई जानकारी हो.
X सुरक्षा श्रेणी
इस सुरक्षा श्रेणी में व्यक्ति की सुरक्षा के लिए 2 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें कोई भी कमांडो शामिल नहीं होता.
Y सुरक्षा श्रेणी
इस सुरक्षा श्रेणी में व्यक्ति की सुरक्षा के लिए 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें 2 कमांडो भी होते हैं.
Z सुरक्षा श्रेणी
Z सुरक्षा श्रेणी में लगभग 4 से 5 राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के कमांडो सहित 22 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं. इसमें दिल्ली पुलिस सहित CRPF के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी शामिल होते हैं.
Z Plus सुरक्षा श्रेणी
इस प्रकार की सुरक्षा श्रेणी में 55 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें से 10 से अधिक NSG कमांडो होते हैं एवं इसके अतिरिक्त CRPF के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं.
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गृह मंत्रालय सुरक्षा श्रेणी से संबंधित यह निर्णय इंटेलिजेंस ब्यूरो और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग जैसे खुफिया विभागों द्वारा दिये गए इनपुट के आधार पर लेता है.
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ये दोनों खुफिया विभाग अपने स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर मंत्रालय को बताते हैं कि किसी व्यक्ति को आतंकवादियों या अन्य आसामजिक तत्त्वों से किस प्रकार का खतरा है, जिसके बाद गृह मंत्रालय इस पर निर्णय लेता है.
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इसके अलावा कुछ लोग अपने उच्च स्तरीय पदों के कारण स्वतः ही सुरक्षा के हकदार हो जाते हैं. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैसे पदों पर कार्यरत लोगों को उनके पदों के कारण स्वतः ही सुरक्षा मिलती है.
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चूँकि कोई भी खुफिया विभाग किसी वैधानिक निकाय के प्रति जवाबदेह नहीं होता, इसलिए कई बार यह माना जाता है VIP सुरक्षा में राजनीतिक कारणों से फेरबदल संभव है.
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SPG विशेष रूप से प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिये स्थापित एक विशेष दल है.
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वर्तमान में इस दल में लगभग 3000 सिपाही शामिल हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुरक्षा प्रदान करते हैं.
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SPG को शारीरिक दक्षता और सुरक्षा रणनीति में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त होता है एवं निर्धारित व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये इन्हें केंद्र व राज्य के अन्य सुरक्षा विभागों द्वारा भी सहायता प्रदान की जाती है.
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प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात SPG कमांडो काले रंग के चश्मे के साथ पश्चिमी शैली का औपचारिक सूट पहनते हैं और हमेशा अपने साथ एक हैंडगन भी रखते हैं। ये विशेष अवसरों पर सफारी सूट भी पहनते हैं.
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इसके अतिरिक्त SPG में विशेष ऑपरेशन कमांडो भी होते हैं, जिनके पास अल्ट्रा-मॉडर्न असॉल्ट राइफल्स सहित इनबिल्ट कम्युनिकेशन ईयरपीस होते हैं तथा ये विशेष प्रकार के चश्मे पहनते हैं.
इसकी परिकल्पना वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान भारतीय सेना को पहुँची क्षति के बाद की गयी थी. NSG का गठन देश के भीतर संगठित आतंकवादी हमलों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिये एक विशेष कमांडो यूनिट के रूप में किया गया था. यह विशिष्ट परिस्थितियों से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित और सुसज्जित होती है तथा इसका उपयोग केवल असाधारण परिस्थितियों में आतंकवाद के गंभीर कृत्यों को विफल करने के लिये किया जाता है.
स्पेशल एक्शन ग्रुप और स्पेशल रेंजर ग्रुप. SAG का कार्य आतंकवाद विरोधी गतिविधियों को अंजाम देना है, वहीं SRG का प्रयोग VIP सुरक्षा के लिए किया जाता है.