भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लखीसराय के पिपरिया प्रखंड अंतर्गत रामचंद्रपुर के 95 वर्षीय रामदेव सिंह आज भी गांव के युवाओं को आजादी के संघर्ष की कहानी सुनाते हैं. वो बताते हैं कि आज के युवाओं को अच्छे से पता होना चाहिए कि देश को आजादी कितनी मुश्किल से मिली. बच्चे समझेंगे तो देश की आजादी की कद्र करेंगे. रामदेव सिंह को राष्ट्रपति ने भी सम्मानित किया था. उन्होंने बताया कि आजादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के आवाह्न पर हजारों की संख्या सत्याग्रह के रास्ते पर चल पड़ते थे. मैंने पटना में उन्हें देखा था उनकी बातों में गजब का आकर्षण था.
रामदेव सिंह बताते हैं कि महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदेलन का जोश पूरे देश में था. लखीसराय में भी अंग्रेजी के खिलाफ बड़े जुलूस निकाले जा रहे थे. 13 अगस्त 1947 को युवाओं की बड़ी टोली शांति से लखीसराय स्टेशन पर प्रदर्शन कर रही थी. हालांकि टोली अंग्रेजों के खिलाफ नारेबाजी कर रही थी. टोली में सैंकड़ों की संख्या में लोग शामिल थे. वो अंग्रेजी शासन की बर्बरता को याद करते हुए बताते हैं कि अंग्रेज अफसर के आदेश पर लखीसराय रेलवे स्टेशन पर फायरिंग की गयी. इसमें आठ स्वतंत्रता सेनानी शहीद हो गए. रामदेव सिंह बताते हैं कि उस वक्त हर किसी के पास रेडियो नहीं होता था. ऐसे में 15 अगस्त को देश के आजाद होने की खबर भी गांव में लखीसराय से लोगों को मिली.
वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी रामदेव सिंह बताते हैं कि हिंदुस्तानियों पर अंग्रेजों ने बड़ा जुल्म किया. मगर उन्हें कभी अंग्रेजों से डर नहीं लगता था. महात्मा गांधी की अगुआई में गांव के युवा धैर्य के साथ आजादी की लड़ाई लड़े. मुझे खुशी है कि देश की आजादी के बाद भारत में लोकतंत्र मजबूत हुआ है. गांव में खुशहाली आयी है. उन्होंने कहा कि आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. मगर लखीसराय रेलवे स्टेशन पर मारे गए आठ साथियों की स्मृति में शहीद द्वार के पास स्मृति भवन बनाने के लिए शासन और प्रशासन को कोई चिंता नहीं है. मैं चाहता हूं कि मेरा भारत विश्व में सबसे अग्रणी राष्ट्र बन दुनिया का मार्गदर्शन करे.