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बिहार में औसतन 400 कॉलेज शिक्षक बिना बताये रहते हैं गायब, इन पांच विश्वविद्यालयों में रहती अनुपस्थित सर्वाधिक

अनुपस्थित शिक्षकों की औसतन संख्या लगभग 400 के आसपास बनी हुई है. ऐसे में इनका अकादमिक सत्र किस तरह किस तरह संचालित होगा, इसे सहज ही समझा जा सकता है. यह स्थिति जय प्रकाश विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र और पूर्णिया विश्वविद्यालय की है.

रिपोर्ट: राजदेव पांडेय

पटना. प्रदेश के 15 पारंपरिक विश्वविद्यालयों में से पांच विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक अनुशासन में उसके संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों की अनुपस्थिति बड़ी चुनौती बन गयी है. शिक्षा विभाग के तमाम जतन के बाद भी पांच विश्वविद्यालयों के संबद्ध कॉलेजों में अनुपस्थित शिक्षकों की औसतन संख्या लगभग 400 के आसपास बनी हुई है. ऐसे में इनका अकादमिक सत्र किस तरह किस तरह संचालित होगा, इसे सहज ही समझा जा सकता है. यह स्थिति जय प्रकाश विश्वविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र और पूर्णिया विश्वविद्यालय की है.

आधिकारिक रिपोर्ट से हुआ खुलासा

शिक्षा विभाग को उपस्थिति से संबंधित विश्वविद्यालयों की आधिकारिक रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है. दो अगस्त की रिपोर्ट में सभी 15 विश्वविद्यालयों के संबद्ध कॉलेजों में बिना बताए गैर हाजिर रहने वाले कुल 443 शिक्षकों में 92 फीसदी (406) शिक्षक इन्हीं पांचों विश्वविद्यालयों के हैं. शेष दस विश्वविद्यालयों के संबद्ध कॉलेजों में गैर हाजिर शिक्षकों की संख्या केवल आठ फीसदी रही.

गैर हाजिर शिक्षकों की संख्या 87 फीसदी

इसी तरह चार अगस्त को इन पांचों विश्वविद्यालयों के संबद्ध कॉलेजों में बिना बताये गैर हाजिर रहने वाले शिक्षकों की संख्या कुल गैर हाजिर शिक्षकों की 90 फीसदी (426) , पांच अगस्त को 88.31 प्रतिशत (393), सात अगस्त को 88 फीसदी (398), आठ अगस्त को 88 फीसदी (407) नौ अगस्त को 88 फीसदी (427) और दस अगस्त को इन पांच विश्वविद्यालयों के संबद्ध कॉलेजों में कुल अनुपस्थित में गैर हाजिर शिक्षकों की संख्या 87 फीसदी (391) रही है.

पढ़ाई के दिन औसतन सौ से अधिक शिक्षक बिना बताये अनुपस्थित

इन पांच विश्वविद्यालयों में भी सबसे अधिक मगध विश्वविद्यालय और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालयों के संबद्ध कॉलेजों के शिक्षक बिना बताये गैर हाजिर रहते हैं. इन विश्वविद्यालयों के संबद्ध कॉलेजों में पढ़ाई के दिन औसतन सौ से अधिक शिक्षक बिना बताये अनुपस्थित रहे हैं.

विश्वविद्यालय एवं अंगीभूत कॉलेजों के अनुपस्थित शिक्षकों की संख्या में हुआ सुधार

  • दो अगस्त को विश्वविद्यालयों में केवल एक शिक्षक और अंगीभूत कॉलेजों में अनुपस्थित अनुपस्थित शिक्षक की संख्या रही केवल- 54

  • चार अगस्त को अंगीभूत कॉलेजों में अनुपस्थित शिक्षकों की संख्या केवल -55

  • पांच अगस्त को अंगीभूत कॉलेजों में अनुपस्थित शिक्षकों की संख्या- 50

  • सात अगस्त को अंगीभूत कॉलेजों में अनुपस्थित शिक्षकों की संख्या- 53

  • आठ अगस्त को विवि में एक और अंगीभूत कॉलेजों में अनुपस्थित शिक्षकों की संख्या- 48

  • नौ अगस्त को विवि में दो और अंगीभूत कॉलेजों में अनुपस्थित शिक्षकों की संख्या- 46

  • 10 अगस्त को विवि में एक और अंगीभूत कॉलेजों में अनुपस्थित शिक्षकों की संख्या- 60

क्या कहते हैं अधिकारी

शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव विश्वविद्यालय के अंगीभूत और संबद्ध कॉलेजों में शिक्षकों और विद्यार्थियों की उपस्थिति पर नजर रखी जा रही है. क्लास संचालित होने लगी हैं. हालांकि कॉलेजों में बच्चों की उपस्थिति कम देखी जा रही है. शिक्षकों की उपस्थिति एवं अन्य मसलों पर कुलपतियों की रिपोर्ट आने वाली है. इसके बाद विभाग जरूरी कदम उठायेगा.

50 फीसदी से कम उपस्थिति वाले विद्यालयों की संख्या होगी शून्य

इधर, शिक्षा विभाग ने प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में भी उपस्थिति को लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश जारी कर दिया है. वर्तमान में 50 फीसदी से कम बच्चों की उपस्थित वाले स्कूलों की संख्या अच्छी खासी है. इसलिए उपस्थिति बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाये जा रहे हैं. विभाग ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं डीपीओ साक्षरता को दो टूक कहा है कि अगस्त के अंत तक 50 फीसदी से कम उपस्थिति वाले विद्यालयों की संख्या शून्य हो जानी चाहिए. ऐसे स्कूलों में बच्चों की उपस्थित हर हाल में 75 फीसदी से अधिक होनी चाहिए. दरअसल बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए एक एक्शन प्लान शिक्षा विभाग ने तैयार किया है. इस प्लान में शिक्षा सेवक और तालिमी मरकज को शामिल किया गया है. हालांकि विभाग को भेजे गये पत्र में बताया गया है कि विद्यालयों में आदर्श स्थित 90 फीसदी मानी जायेगी. चूंकि प्रथम चरण में 75 फीसदी उपस्थित का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

26521 शिक्षा सेवकों को मिले सख्त निर्देश

शिक्षा विभाग की तरफ से जारी आधिकारिक पत्र में कहा गया है कि महादलित ,दलित एवं अल्पसंख्यक अति पिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के तहत राज्य में काम कर रहे 26521 शिक्षा सेवकों को प्रतिदिन शाम चार बजे अपने प्रखंड के संसाधन केंद्रों पर इकठ्ठा होना है. इस दौरान वह सुनिश्चित करेंगे उन्होंने कितने विद्यार्थियों को विद्यालय पहुंचाया. साथ ही उन्हें यह रिपोर्ट भी देनी होगी कि विद्यालय में उस दिन कितने शिक्षक उपस्थित रहे. अनुपस्थित शिक्षक की सूचना उन्हें प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को देनी है. निर्देश में कहा गया है कि अगर विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति 50 फीसदी से कम है तो अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों की सूची उस विद्यालय से संबंध शिक्षक सेवक बनायेंगे. प्रत्येक शिक्षा सेवक अनुपस्थित रहने वाले कम से कम पचास विद्यार्थियों के माता-पिता / अभिभावकों से संपर्क करेंगे. इसके प्रमाण के स्वरूप तैयार किये गये रजिस्टर में अभिभावकों के हस्ताक्षर लिये जाने हैं.

लापरवाह सेवक की मानदेय में होगी कटौती

अभिभावकों को समझाया जाये कि बच्चे को स्कूल भेजना जरूरी है. ऐसे स्कूल जहां उपस्थित कम है, वहां स्कूल खुलने के एक घंटे पहले गांव में घूम घूम कर बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित कया जाये. अभिभावकों से सप्ताह में कम से कम एक संपर्क जरूर किया जाये. एक संपर्क रजिस्टर तैयार किया जाये. जिसमें संपर्क गतिविधियों की जानकारी दर्ज की जाये. अगर शिक्षा सेवक अपने कर्तव्य में लापरवाह पाये जाते हैं और नोटिस के बाद भी सुधार नहीं होता है तो नियमानुसार मानदेय कटौती का आदेश दिया जायेगा.

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