VIDEO: आनंद कुमार से सुनिए सुपर-30 चलाने की बड़ी वजह, पापड़ बेचने से लेकर पद्मश्री तक का तय किया सफर
Padma shri award: सुपर 30 के संस्थापक गणितज्ञ आनंद कुमार को पद्मश्री पुरस्कार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सौंपा. आनंद कुमार ने बताया कि उन्हें किस तरह सुपर 30 का ख्याल आया और वो किस तरह संघर्ष के दौर से गुजरे.
Anand Kumar Super 30 Patna: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को पद्म पुरस्कार (Padma shri award 2023 )से विजेताओं को सम्मानित किया. कुल 53 विजेताओं में बिहार के तीन चेहरे भी शामिल थे. जिनमें एक हैं सुपर 30 संस्था के संस्थापक गणितज्ञ आनंद कुमार. शिक्षाविद व गणितज्ञ आनंद कुमार को पद्मश्री से सम्मानित किया गया. सम्मान लेने के बाद उन्होंने सुपर 30 चलाने की बड़ी वजह और बचपन से लेकर पद्म श्री तक के सफर को लेकर कुछ बातें कही..
पद्मश्री से सम्मानित हुए गणितज्ञ आनंद कुमार
शिक्षाविद व गणितज्ञ आनंद कुमार को पद्मश्री से सम्मानित किया गया. समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में आनंद कुमार ने बताया कि किस तरह उनका जीवन संर्घषों के बीच बढ़ा और अपने प्रण को उन्होंने सच साबित करके दिखाया. आनंद कुमार ने बताया कि गणित में उनकी बेहद दिलचस्पी थी. कैंब्रिज में उनका सेलेक्शन भी हो गया. लेकिन पिता के पास उतने पैसे नहीं थे जो इसके पीछे होने वाले खर्च का वहन कर सके.आनंद कुमार ने बताया कि उनके पिता सरकारी कर्मी थे. डाक विभाग में वो काम करते थे.
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पिता के देहांत के बाद पापड़ बेचने की आई नौबत
आनंद कुमार ने बताया कि परिवार के ऊपर कैसे एक विपत्ति आई और जो पिता पूरे घर को किसी तरह थामे रहते थे उनका देहांत हो गया. घर की रीढ़ टूटने के बाद सबकुछ लगभग बिखर सा गया. संघर्ष के उन दिनों को याद करते हुए आनंद कुमार बताते हैं कि अचानक घर की जिम्मेवारी उनके ही कंधे पर आ गयी. जिसके बाद दो पैसे के लिए उन्होंने पापड़ बेचने का काम शुरू कर दिया.
#WATCH पिता जी के देहांत के बाद मैंने पापड़ बेचना शुरू किया, तब मुझे ऐसा लगा कि देश में मुझसे भी ज्यादा प्रतिभाशाली बच्चे हैं लेकिन सुविधा न मिलने के कारण वे पढ़ नहीं पाते तब मैंने सुपर 30 की शुरूआत की, जिसमें 30 बच्चों को हर साल घर में रखकर खिला-पिला कर पढ़ाने की व्यवस्था की:… pic.twitter.com/kaFA7nnPlu
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 5, 2023
सुपर 30 का कॉन्सेप्ट ऐसे आया..
आनंद कुमार बताते हैं कि उनकी मां पापड़ बनाती थी और दोनों भाई पापड़ लेकर उसे बेचने जाते थे. बताया कि कुछ कोचिंग सेंटर ने तब उनसे संपर्क किया. उन्होंने पढ़ाने का प्रयास किया. इस दौरान आनंद कुमार को लगा कि ऐसे अनेकों बच्चे हैं जिनमें उनसे अधिक टैलेंट है लेकिन वो लाचार हैं.आनंद कुमार बताते हैं कि इसी विचार ने सुपर 30 का कॉन्सेप्ट पैदा किया और उसमें मां ने बहुत मदद की. मां खाना पकाने के लिए तैयार हो गयीं और 30 बच्चों को हर साल अपने घर में रखकर हमने उन्हें तैयार करना शुरू कर दिया. सबके खाने-पीने की भी व्यवस्था की.
किससे चंदा लेते हैं, बताया..
आनंद कुमार ने कहा कि हमने किसी से कोई चंदा इसके लिए नहीं लिया. प्रधानमंत्री जी की ओर से कई लोगों ने बोला. मुख्यमंत्री जी व अंबानी सर जैसे लोगों ने ऑफर किया लेकिन हमलोग खुद कहीं कुछ पढ़ाकर पैसा अर्जित करते हैं और इसी से बच्चों को पढ़ाते हैं.
Published By: Thakur Shaktilochan