DM कृष्णैया हत्याकांड: ड्राइवर दीपक की जुबानी पढ़िए आखिरी पल की पूरी कहानी…
G Krishnaiah Murder Eye Witness डीएम जी कृष्णैया की बर्बर हत्या के तीन अहम गवाह थे. तीनों उनकी गाड़ी में ही मौजूद थे.पहला उनका बॉडीगार्ड टी एम हेम्ब्रम. दूसरा फोटोग्राफर पी एल टांगरी और तीसरा उनका ड्राइवर दीपक कुमार
आनंद मोहन (Bahubali Anand Mohan) की रिहाई की चर्चा के साथ ही 5 दिसंबर 1994 की चर्चा भी तेज हो गई है. यही वह दिन था जिस दिन डीएम जी कृष्णैया (G Krishnaiah Murder Eye Witness) की बर्बर हत्या की गई थी. पहले पत्थर से उनके सिर को कुचल दिया गया फिर मौत को पुख्ता करने के लिए आक्रोशित भीड़ ने उनके सिर में गोलियां उतार दी. डीएम जी कृष्णैया (Dm g krishnaiah) की हत्या के तीन में से एक गवाह उनके ड्राइव दीपक ने न्यूज वेबसाइट द प्रिंट को इंटरव्यू दिए हैं उस खौफनाक शाम की चर्चा किया है. आइए पढ़ते हैं उसने क्या कुछ घटना को लेकर अपने इंटरव्यू में कहा है.
डीएम जी कृष्णैया की बर्बर हत्या के तीन अहम गवाह थे. तीनों उनकी गाड़ी में ही मौजूद थे.पहला उनका बॉडीगार्ड टी एम हेम्ब्रम. दूसरा फोटोग्राफर पी एल टांगरी और तीसरा उनका ड्राइवर दीपक कुमार. दीपक कुमार ने न्यूज वेबसाइट द प्रिंट से बातचीत की है. उसने बताया कि उस दिन वो खौफनाक शाम कैसा था.अपने इंटरव्यू में उसने हर एक पल की चर्चा किया है. वो घटना की चर्चा करते हुए आज भी सिहर उठता है. वो कहता है कि ड्रइवर के रूप में मेरा काम कलेक्टर साहब (डीएम जी कृष्णैया) को बाहरी बैठकों में ले जाना और ले आना हुआ करता था.
कृष्णय्या की ही जो भी जिले के डीएम हुए उनको लाना और ले जाना होता है.वो कहता है कि कृष्णय्या की मौत के बाद से अभी तक 35 डीएम को वो शहर से बाहर का दौरा कराया है. वह हमेशा सुनिश्चित करते हैं कि वे सुरक्षित घर पहुंचें. लेकिन वो कहता है कि मैं जब भी बाहर की यात्रा करता हूं तो मुझे वह घटना जरुर याद आ जाती है. 1994 की उस शाम क्या हुआ था ? इसका जवाब देते हुए दीपक ने कहा कि ‘शायद मुझे उस दिन साहेब की बात नहीं माननी चाहिए थी.’
क्या हुआ था उस शाम
फिर वो उस दिन चर्चा करते हुए कहता है कि 5 दिसंबर 1994 को मैं डीएम जी कृष्णैया के साथ लौट रहा था. मेरी कार भीड़ के बीच फंस गई. इसके साथ ही मैं समझ गया कि काल करीब आ पहुंचा है. यही कारण था कि उसने BHQ777 नंबर एंबेसडर कार पर सवार तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया से गुहार लगाई कि ‘साहब, बाहर मत जाना, बाहर मत जाइए.’ यह कहते हुए ड्राइवर दीपक कुमार ने गोपालगंज के जिला मजिस्ट्रेट जी कृष्णैया की गाड़ी को बैक गियर में ले लिया. और फिर पीछे की तरफ ले जाने लगा.
उसने कहा कि उस वक्त मुजफ्फरपुर में NH-28 पर करीब 5 हजार से भी ज्याया लोगों की भड़की भीड़ उनकी तरफ बढ़ी चली आ रही थी. ड्राइवर दीपक के मुताबिक 36 वर्षीय आईएएस अधिकारी ने दीपक को निर्देश दिया कि कार रोको और बॉडीगार्ड का इंतजार करो. लेकिन तब तक बॉडीगार्ड को बाहर घसीट लिया गया. दीपक के मुताबिक ‘भीड़ मेरी कान, नाक और सिर पर इस प्रकार से हमला किया कि मुझे सुनाई देना बंद हो गया था. जब मैं होश में आया तो कार की तरफ भागा. वहां देखा कि साहब दूर लेटे हुए थे, चारों तरफ खून ही खून था. उनके चेहरे पर कई बार पत्थर मारे गए थे और उनके सिर में गोलियां भी मारी गई थीं.’