आनंद मोहन ने तोड़ी चुप्पी, कहा- मेरे और मृतक डीएम के परिवार ने काफी दुख झेला, जल्द होगा राजनीतिक सफर पर फैसला
बिहार के बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की जेल से रिहाई पर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. इस बीच उन्होंने अपनी रिहाई को लेकर चुप्पी तोड़ी है. आनंद मोहन ने कहा कि कहने के लिए लोग बहुत कह रहे हैं. इस पूरे हत्याकांड में लवली आनंद और मृतक डीएम के परिवार ने सबसे ज्यादा दुख झेला है.
बिहार के बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की जेल से रिहाई पर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. इस बीच उन्होंने अपनी रिहाई को लेकर चुप्पी तोड़ी है. आनंद मोहन ने कहा कि कहने के लिए लोग बहुत कह रहे हैं. इस पूरे हत्याकांड में लवली आनंद और मृतक डीएम के परिवार ने सबसे ज्यादा दुख झेला है. बता दें कि आनंद मोहन फिलहाल अपने बेटे की सगाई के लिए 15 दिनों के पेरोल पर बाहर आए हैं. उन्होंने कहा कि मांगलिक कार्य के लिए आया हूं. इसके बाद जेल जाउंगा. फिर रिहाई का आदेश आने के बाद आप लोगों से फिर मुलाकात होगी.
‘मायावती कौन मैं नहीं जानता’
आनंद मोहन ने उनके रिहाई पर मायावती की आपत्ति का जवाब देते हुए कहा कि मायावती कौन हैं वो नहीं जानते हैं. उन्होंने बसपा सुप्रीमो पर तीखा हमला करते हुए कहा कि सत्यनारायण भगवान की पूजा में कलावती का नाम सुना था. उन्होंने कहा कि देश में एक मजबूत सरकार के सामने एक मजबूत विपक्ष होना चाहिए. उन्होंने अपने नए राजनीतिक सफर के बारे में बोलते हुए कहा कि जेल से लौटने के बाद वो फिर अपने दुख के दिनों के साथियों के साथ बैठकर फैसला लेंगे की आगे क्या करना है.
#WATCH | Bihar's Anand Mohan Singh, former MP & murder convict, who is out on 15-day parole for his son's wedding says, "I will return to jail after the ceremonies here and when release orders come, then I will call you all." pic.twitter.com/jTVANvh9f9
— ANI (@ANI) April 25, 2023
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ललन सिंह ने भी मायावती पर किया हमला
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने आनंद मोहन की रिहाई पर मायावती के हमले का जवाब देते उन्हें भाजपा की बी पार्टी बता दिया. उन्होंने ट्वीट करके कहा कि आनंद मोहन की रिहाई पर अब भाजपा खुलकर आई है. पहले तो यू पी की अपनी बी टीम से विरोध करवा रही थी. बीजेपी को यह पता होना चाहिए कि नीतीश कुमार जी के सुशासन में आम व्यक्ति और खास व्यक्ति में कोई अंतर नही किया जाता है. आनंद मोहन जी ने पूरी सजा काट ली और जो छूट किसी भी सजायाफ्ता को मिलती है वह छूट उन्हें नहीं मिल पा रही थी क्योंकि खास लोगो के लिए नियम में प्रावधान किया हुआ था. नीतीश कुमार जी ने आम और खास के अंतर को समाप्त किया और एकरूपता लाई तब उनकी रिहाई का रास्ता प्रशस्त हुआ.