बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) की परेशानी अब कम होती नहीं दिख रही है. मृतक डीएम स्व. जी. कृष्णैया (G Krishnaiah Murder) की पत्नी टी. उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने याचिका में बिहार सरकार के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है जिसके माध्यम से उनके पति के हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन जेल से बाहर आ गए थे. बता दें कि पहले भी उमा देवी ने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन का जेल से छोड़ने का फैसला काफी गलत है. जी. कृष्णैया की हत्या 5 दिसंबर 1994 को हुई थी.
उमा देवी के द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि कानूनी तौर पर ये स्पष्ट है कि आजीवन कारावास का मतलब है कि दोषी को पूरे जीवन जेल के अंदर रहना होगा. इसे 14 वर्ष की सजा के रुप में नहीं देखा जा सकता है. कानून के अनुसार आजीवन कारावास का अर्थ आखिरी सांस तक जेल में रहना होता है. किसी की हत्या के दोषी को अगर मौत की सजा दी गयी है तो उसे अलग-तरह से देखा जाना चाहिए. वह सामान्य आजीवन कारावास की सजा नहीं है. उसे सख्ती से लागू किया जाना चाहिए, न की किसी तरह की छूट दी जानी चाहिए.
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जी. कृष्णैया की पत्नी की एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड तान्या श्री ने बताया कि उन्होंने उमा देवी की तरफ से याचिका दायर की है. याचिका में स्व. जी. कृष्णैया की पत्नी ने अपने पति की हत्या के दोषी आनंद मोहन को छूट देने के आदेश का विरोध करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है. आनंद मोहन की रिहाई सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ है और रिहाई का फैसला गलत तथ्यों के आधार पर लिया गया है.