Anant Chaturdashi 2022:अनंत चतुर्दशी का समय, पूजा विधि और लाभ सब कुछ जानें, इस दिन मिलेगा कार्य में सफलता

हिंदू पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdarshi 2022 ) पर्व हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है.इस साल अनंत चतुर्दशी पर बेहद शुभ योग का संयोग बन रहा है, जो इस दिन के महत्व में बढ़ोत्तरी करेगा. इस दिन सुकर्मा और रवि योग बन रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2022 6:28 PM

पटना. हिंदू मान्यता के अनुसार अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdarshi 2022 Puja and Visarjan) के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. शास्त्र के अनुसार के अनुसार इस व्रत की शुरुआत महाभारत काल से ही हुई थी. इस बार अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022 को है. 10 दिन तक चलने वाले गणपति महोत्सव का ये आखिरी दिन होता है. इस बार अनंत चतुर्दशी पर बेहद शुभ योग बन रहा है, जिससे श्रीहरि की पूजा और गणपति जी के विसर्जन से शुभ फल की प्राप्ति होगी. आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त और योग.

इस बार शुभ योग का संयोग बन रहा है

अनंत चतुर्दशी का पर्व हर बार गणेशोत्सव विसर्जन के दिन मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. इस साल अनंत चतुर्दशी पर बेहद शुभ योग का संयोग बन रहा है, जो इस दिन के महत्व में बढ़ोत्तरी करेगा. इस दिन सुकर्मा और रवि योग बन रहे हैं. मान्यता है कि सुकर्मा योग में किए गए शुभ कार्य में सफलता जरूर मिलती है. साथ ही रवि योग में श्रीहरि की पूजा करने से पाप नष्ट हो जाते हैं.यदि आप भी इस व्रत को करते है, तो यहां आप अनंत चतुर्दशी का डेट, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त जान सकते हैं.

अनंत चतुर्दशी 2022 शुभ मुहूर्त-

अनंत चतुर्दशी तिथि 08 सितंबर 2022 को रात 09 बजकर 02 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 09 सितंबर को शाम 06 बजकर 07 मिनट तक रहेगी. पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 10 मिनट से शाम 06 बजकर 07 मिनट तक रहेगा.

अनंत चतुर्दशी पर कैसे दें बप्पा को विदाई (Anant Chaturdarshi)

अनंत चतुर्दशी पर विधिवत गणपति की पूजा करें. गौरी पुत्र को धूप, दीप, भोग लगाएं. गणपति जी को विदा करने से पहले उनसे भूल चूक की माफी मांगें. अगले बरस जल्द आने की कामना करें. इस दिन नदी, तालाब, या घर में जल में गणपति प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है. ध्यान रहे गणपति को पूजा में चढ़ाई चीजों को जल में प्रवाहित न करें. इससे दोष लगता है.

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