आंध्रप्रदेश के हार्डकोर नक्सली तुषारकांत भट्टाचार्या पटना कोर्ट से रिहा, गवाही देने नहीं आये कोई पुलिसकर्मी
पुलिस ने 14 दिसंबर 2007 को कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दिया था. बताया जाता है कि इस मामले में बुद्धा कॉलोनी थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष रमेश कुमार सहित 11 पुलिसकर्मी गवाह बनाये गये थे. कोर्ट के बार-बार निर्देश के बावजूद कोई भी गवाह कोर्ट में गवाही देने नहीं आया.
पटना. पटना के एडीजे तीन विनय प्रकाश तिवारी ने साक्ष्य के अभाव में आंध्रप्रदेश के हार्डकोर नक्सली व माओवादी सीपीआइएम पीपुल्स वार ग्रुप के तुषारकांत भट्टाचार्या उर्फ रघु उर्फ श्याम उर्फ प्रकाश उर्फ श्रीकांत उर्फ जेआर साहू को रिहा कर दिया. तुषारकांत मूल रूप से आंध्रप्रदेश के आदिलबाद के एपीएस कॉलोनी कागज नगर के रहने वाले हैं. उन्हें 18 सितंबर 2007 को बुद्धा कॉलोनी थाने के दूजरा मछली बाजार स्थित एक मकान से ब्रजमोहन के साथ गिरफ्तार किया गया था.
14 दिसंबर 2007 को कोर्ट में दायर हुई थी चार्जशीट
तुषारकांत भट्टाचार्या उस मकान में किराये का फ्लैट लेकर रह रहे थे. इनके पास से कुछ कागजात व एक लैपटॉप मिला था. इसके बाद जांच में यह बात सामने आयी थी कि वे लोग गुप्त बैठक कर घातक हथियार एकत्र कर सरकारी तंत्र को विफल करने वाले थे. इसके बाद पुलिस ने 14 दिसंबर 2007 को कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दिया था. बताया जाता है कि इस मामले में बुद्धा कॉलोनी थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष रमेश कुमार सहित 11 पुलिसकर्मी गवाह बनाये गये थे. कोर्ट के बार-बार निर्देश के बावजूद कोई भी गवाह कोर्ट में गवाही देने नहीं आया और फिर कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में सोमवार को रिहा कर दिया.
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गिरफ्तारी के बाद ऑपरेशन ट्रिपल यू का हुआ था खुलासा
तुषारकांत की गिरफ्तारी के बाद उनके पास से एक लैपटॉप व कुछ कागजात बरामद किये गये थे. इस दौरान ही इस बात का खुलासा हुआ था कि तुषारकांत आंध्रप्रदेश से ऑपरेशन ट्रिपल यू को सफल बनाने की योजना के लिए आये थे. ऑपरेशन ट्रिपल यू का मतलब था कि उत्तरप्रदेश, उत्तरी बिहार व उत्तराखंड में नक्सलियों के संगठन का विस्तार करना था. क्योंकि इन जगहों पर नक्सलियों का संगठन उस समय मजबूत नहीं था. उत्तर बिहार में नक्सलियों ने संगठन का विस्तार करने की कोशिश ही की थी कि तुषारकांत की गिरफ्तारी हो गयी. उस समय नक्सली संगठन को इनकी गिरफ्तारी से जोरदार झटका लगा था.
पटना पुलिस ने बतायी थी अपनी बड़ी कामयाबी
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार 20 सितंबर 2007 को बिहार पुलिस ने इस शीर्ष नक्सली नेता तुषार कांत भट्टाचार्य को पटना के दुजरा इलाके में एक किराए के मकान से गिरफ्तार किया था. एक खुफिया इनपुट पर काम करते हुए, विशेष कार्य बल के डीएसपी विनोद कुमार के नेतृत्व में एक टीम ने तुषार के एक अन्य साथी उमेशजी को भी गिरफ्तार किया था. इन दोनों की गिरफ्तारी को पटना पुलिस ने अपनी बड़ी कामयाबी बतायी थी.
कई राज्यों की पुलिस थानों में दर्ज हैं मामले
बताया जाता है कि ये लोग जुलाई माह से ही पटना में रह रहे थे. तुषार के पास से पुलिस ने भारी मात्रा में नक्सली साहित्य, विस्फोटक, पेनड्राइव और ट्रेनिंग उपकरण बरामद किए थे. 1974 और 1980 के बीच आंध्र प्रदेश के नक्सल प्रभावित करीमनगर, प्रकाशम और आदिलाबाद जिलों में कई हत्या के मामलों में आरोपी तुषार के बारे में बताया जाता है कि वह सीपीआई (माओवादी) उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तर बिहार का प्रमुख था.
साक्ष्य के अभाव में आपराधिक मामले में अनंत सिंह की रिहाई
एक अन्य मामले में भी पटना के एमपी-एमएल के विशेष जज विनय प्रकाश तिवारी ने विधायक अनंत कुमार सिंह को पीरबहोर थाना कांड संख्या 55/2003 के मामले में साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया. उक्त मामला महेंद्रू घाट स्थित रेलवे कार्यालय में ठेका को लेकर अनंत सिंह व सुरजभान सिंह के समर्थकों के बीच गोलीबारी हुई थी. इसमें कुछ लोग घायल हो गये थे. इस संबंध में पीरबहोर थाने में हत्या के प्रयास के तहत मामला दर्ज किया गया था. लेकिन इस मामले में एक भी गवाह के नहीं आने के कारण साक्ष्य के अभाव में अनंत सिंह को कोर्ट ने रिहा कर दिया.