बिहार के पूर्वी चंपारण में नील गायों का आतंक काफी ज्यादा बढ़ गया है. खासकर मधुबन क्षेत्र में हजारों की संख्या में मौजूद नील गाय किसानों के लिए मुसीबत बन गया है. पिछले वर्ष आंध्रप्रदेश से आये शूटर के द्वारा काफी संख्या नील गायों को मारा गया था. विगत एक वर्ष में नील गायों की संख्या में गुणात्मक वृद्धि के कारण नील गाय से फसलों को काफी नुकसान पहुंच रहा है. इस समस्या से निबटने के लिए एक बार प्रशासन के द्वारा प्रशिक्षित शूटर को बुलाया गया है. आध्रप्रदेश के चंदन रेड्डी को सरकार ने हायर किया है, जो प्रशासन के द्वारा तैयार शिड्यूल के अनुसार नील गायों को मार गिरायेंगे. इस कार्य के लिये सभी मुखिया को जगह चिन्हित करने का निर्देश दिया गया है.
बीडीओ रजनीश कुमार ने बताया कि सभी पंचायतों में नील गायों को शूटर मारेंगे. नील गायों की संख्या काफी बढ़ गयी है. इससे किसानों का काफी ज्यादा नुकसान हो रहा है. नील गायों का झुंड खेतों में चरने के साथ फसलों को बर्बाद कर रहे हैं. इससे बड़ी बात ये है कि नील गायों की संख्या इतनी ज्यादा है कि इन्हें काबू करना संभव नहीं है. इनकी संख्या को देखते हुए पिछले वर्ष भी शूटरों को बुलाया गया था. इस वर्ष आध्रप्रदेश के चंदन रेड्डी को हायर किया गया है. इस काम में हर पंचायत के मुखिया मदद करेंगे.
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मधुबन क्षेत्र के किसान बबलू कुमार ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने अपने खेत में मकई की फसल लगायी थी. फसल काफी अच्छी थी. कई बार पानी पटाने और खाद पर खर्च किया था. पौधों में मकई लगनी शुरू हुई थी. मगर नील गायों ने पूरा खेत ही तबाह कर दिया. खेत में मकई के पौधे इस लायक भी नहीं हैं कि उन्हें काटकर जानवरों को खिलाया जा सकें. इसी तरह इलाके में कई किसानों की पूरी फसल खराब हुई है.