बिहार में कम हो रहे एनीमिया के मरीज, इस जिले में पीड़ित गर्भवतियों की संख्या में आयी 16.2 फीसदी की कमी

गर्भावस्था में एनीमिक महिलाओं में 16.2 प्रतिशत की कमी आना सरकार की विभिन्न योजनाओं का बड़ा योगदान माना जा सकता है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 22, 2020 12:21 PM

सासाराम . बच्चों, महिलाओं एवं पुरुषों में होने वाली एनीमिया बीमारी को लेकर केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा अनेकों योजनाएं चलायी जाती हैं, ताकि एनीमिया से ग्रसित लोगों को जागरूक एवं सही उपचार कर एनीमिया जैसी बीमारी से उन्हें बचाया जा सके.

सरकार के इस अभियान से लोगों को कहीं न कहीं फायदा पहुंच रहा है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांच के ताजा जारी आंकड़ों के अनुसार, रोहतास जिले में गर्भावस्था के दौरान एनीमिया से पीड़ित होने वाली महिलाओं में 16.2 प्रतिशत की कमी आयी है.

गर्भावस्था में एनीमिक महिलाओं में 16.2 प्रतिशत की कमी आना सरकार की विभिन्न योजनाओं का बड़ा योगदान माना जा सकता है.

गर्भवती महिलाओं में एनीमिया दर 67.2 % से घट कर पहुंची 51%

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5(2019- 20) के ताजा आंकड़ों के अनुसार रोहतास जिले में गर्भावस्था के दौरान एनीमिया से पीड़ित महिलाओं में 16.2 प्रतिशत की कमी आयी है.

एनएफएचएस 4 वर्ष 2015 -16 के आंकड़ों के अनुसार, जिले की गर्भवती महिलाओं में एनीमिया दर 67.2 प्रतिशत था, जो वर्ष 2019- 20 के आंकड़ों के अनुसार यह घटकर 51% तक पहुंच गया है.

एनीमिया दर में कमी आना बेहतर संकेत

गर्भवती महिलाओं में एनीमिया में आयी कमी को लेकर रोहतास आइसीडीएस डीपीओ श्रीमती सुनीता ने प्रसन्नता व्यक्त किया है. डीपीओ ने कहा कि सरकार की ओर से संचालित सभी योजनाओं को आइसीडीएस ने बखूबी अंजाम दिया है, जिसमें आंगनबाड़ी केंद्रों की भूमिका काफी अहम रही है.

आंगनबाड़ी केंद्रों पर हमेशा गोदभराई एवं मुंह जुठाई जैसे कार्यक्रमों को संचालित कराया जाता है, जिसमें गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार के बारे में जानकारी दी जाती है, ताकि जच्चा और बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ रहें.

उन्होंने कहा पोषण से भरे पौष्टिक आहार, जिसमें हरी साग सब्जियां, चना, दूध, मछली जैसे चीजों को खाने पर बल दिया जाता है. एनीमिया जैसी रोग को दूर करने के भी उपाय बताये जाते हैं.

जागरूक होकर दें एनीमिया को मात

डीपीओ ने बताया जारी सर्वेक्षण आंकड़ों में जो कमी आयी है ज्यादा तो नहीं है, परंतु विभाग की कोशिश रही है कि इसमें और कमी लाया जाये. इसके लिए लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर चलाये जा रहे हैं.

इस अभियान को लोगों में पालन कराना महत्वपूर्ण है. यदि लोग पूर्ण रूप से पालन करेंगे, तो एनीमिया जैसी बीमारी में और कमी आयेगी. घरेलू चीजों का उपयोग कर कुपोषण पर लगाम लगाना संभव है. इसके लिए महिलाओं के साथ उनके परिवारजनों को भी जागरूक होकर अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी.

Posted by Ashish Jha

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