पटना. बिहार में वैसे आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करने का फैसला लिया गया है, जहां बच्चों की संख्या कम है. वैसे सरकार ने उन जगहों पर नये केंद्र खोलने का भी फैसला लिया है जहां आंगनबाड़ी केंद्रों की जरूरत है. बुधवार को समाज कल्याण विभाग ने इस विषय पर समीक्षा की. समीक्षा बैठक में निर्णय लिया है कि राज्य के वैसे जिलों में 1200 नये आंगनबाड़ी केंद्र खोले जायेंगे, जहां अभी केंद्रों की संख्या कम है. वहीं, वर्तमान में राज्य में एक लाख 10 हजार केंद्रों का संचालन हो रहा है, जहां बच्चों को पोषाहार सहित अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाता है.नये केंद्र संचालन के लिए विभाग ने जिलों को दिशा-निर्देश भेज दिया है.
उत्तर बिहार में खोले जायेंगे अधिक आंगनबाड़ी केंद्र
विभाग के मुताबिक उत्तर बिहार के जिलों में नये आंगनबाड़ी केंद्र खोलने पर चर्चा हुई है, जिलों से विभाग को मिली जानकारी में पाया गया है कि यहां के कई ब्लॉक अब भी ऐसे हैं, जहां केंद्र की संख्या कम है. साथ ही, शहरी क्षेत्रों में केंद्रों की संख्या अधिक होने पर भी वहां बच्चों की संख्या कम है. इस कारण नये केंद्र का संचालन करने से पूर्व में वहां बच्चों का आकलन करने का निर्देश दिया गया है. आंगनबाड़ी केंद्र का मुख्य उद्देश्य बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास करना है. जिससे वह प्राथमिक स्कूल में और बेहतर तरीके से शिक्षा प्राप्त कर सकें. इसके लिए आंगनबाड़ी सेविका द्वारा तीन से छह साल के बच्चों को खेले खेल में शिक्षा दी जाती है.
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सरकारी भवन में होंगे नये केंद्र
अधिकारियों के मुताबिक 1200 नये आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन सरकारी भवनों में होगा. इसको लेकर जिलों को निर्देश दिया गया है. इसके लिए स्कूल परिसर की भी खोज की जायेगी, जिसमें केंद्र का संचालन होगा. नये केंद्रों में पोषाहार के साथ बच्चों को खेलने के लिए जगह भी होगा. मालूम हो कि मधुबनी जिले में जमीन के अभाव में आंगनबाड़ी केंद्र का अपना भवन नहीं बन पा रहा है. जिले में 5 हजार 145 आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत है. इनमें से 4 हजार 954 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहा है. जहां बच्चों को सही तरीके से पढ़ाई नहीं हो पाता है. विडंबना है कि अधिकांश भवनहीन आंगनबाड़ी केंद्र सेविका या सहायिका का खुद के भवन या किसी संबंधित के भवन में संचालित होता है.