पटना. महापुरुषों को सम्मान देने व युवा पीढ़ी को उनकी जीवनी से अवगत कराने के लिए राज्य सरकार की ओर से हर साल जयंती व पुण्यतिथि मनायी जाती है. पटना में राज्य स्तर पर मनाये जानेवाले 78 राष्ट्रीय/राजकीय समारोह मनाये जाते हैं. इन समारोहों में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस व 15 अगस्त को मनाये जाने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह भी शामिल हैं. जिले में इन महापुरुषों की जयंती से लेकर पुण्यतिथि मनाने में जानकारों के अनुसार राष्ट्रीय/राजकीय समारोह पर होनेवाले कार्यक्रमों पर सालाना लगभग एक करोड़ खर्च होता है. जिला प्रशासन की ओर से इसके लिए हर साल लगभग 80 लाख बजट का प्रावधान है. सूत्र के अनुसार अतिरिक्त खर्च होनेवाली राशि की व्यवस्था दूसरे मद से की जाती है.
महापुरुषों के लिए समारोह का आयोजन श्रीकृष्ण स्मारक भवन परिसर के अलावा विभिन्न गोलंबरों या पार्कों में होता है. इसके साथ ही विधानमंडल परिसरों के अलावा विभिन्न संग्रहालयों में भी समारोह का आयोजन होता है. श्रीकृष्ण स्मारक भवन परिसर में आयोजित कार्यक्रम पर लगभग 20 से 22 हजार, जबकि पार्कों में होनेवाले कार्यक्रमों में लगभग 32 से 35 हजार खर्च होते हैं. गांधी मैदान में स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के अलावा किसी बड़े कार्यक्रम में लाखों में खर्च किये जाते हैं. बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित होते हैं. इस पर काफी खर्च किया जाता है. देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेदकर, शहीद जुब्बा साहनी, भगत सिंह, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, देश को आजाद कराने में शहीद होनेवाले स्वतंत्रता सेनानियों, संपूर्ण क्रांति के प्रणेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, चंद्रशेखर आजाद, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों, नामी कवियों की जयंती-पुण्यतिथि समारोह आयोजित होता है. गांधी मैदान के दक्षिणी छोर पर मॉरिशस के राष्ट्रपिता स्व सर शिव सागर राम गुलाम की प्रतिमा अवस्थित है.
महापुरुषों की जयंती-पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम अलग-अलग जगहों पर आयोजित होते हैं. श्रीकृष्ण स्मारक भवन परिसर में कार्यक्रम आयोजित होते हैं. यहां चित्रों पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किये जाते हैं. समारोह के दिन सूचना जन संपर्क विभाग के कलाकार अपनी प्रस्तुति देते हैं. इसके अलावा शहर के विभिन्न गोलंबरों व पार्कों में लगे प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है. इन सभी कार्यक्रमों में सरकार के प्रतिनिधि शामिल होते हैं. महापुरुषों की जयंती के बहाने सियासी गोटी बिठाने का काम भी राजनीतिक दलों द्वारा होता है. जाति विशेष पर महापुरुषों के समारोह आयोजित करने को लेकर राजनीतिक दलों में होड़ मची रहती है.