वायरल बुखार से पटना में एक और बच्चे की मौत, बिहार में अब तक 8482 बीमार बच्चे पहुंचे अस्पताल
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग में भर्ती एक और नवजात की मौत सोमवार को हो गयी है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह ने बताया कि वह निमोनिया व अन्य बीमारियों से पीड़ित था.
पटना सिटी. नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग में भर्ती एक और नवजात की मौत सोमवार को हो गयी है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ विनोद कुमार सिंह ने बताया कि वह निमोनिया व अन्य बीमारियों से पीड़ित था.
अधीक्षक ने बताया कि परिजनों ने गंभीर स्थिति में अस्पताल में शिशु रोग विभाग में भर्ती कराया था. सोमवार को निमोनिया पीड़ित चार बच्चों को भर्ती किया गया है. निमोनिया पीड़ित 23 मरीजों का उपचार चल रहा है. ओपीडी में 110 बच्चे पहुंचे. इनमें 21 निमोनिया से पीड़ित थे.
बुखार से पीड़ित 8482 बच्चे आये ओपीडी में
राज्य में मौसमी बुखार से पीड़ित होकर अस्पतालों में इलाज के लिए आनेवाले बच्चों का सिलसिला जारी है. सोमवार को राज्य के सरकारी अस्पतालों में बुखार की शिकायत लेकर 8482 बच्चे ओपीडी में इलाज के लिए आये.
इनमें से सिर्फ 67 बच्चों को भर्ती कराया गया जबकि 93 बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया. स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जांच में किसी भी बच्चे में डेंगू, कोरोना या स्वाइन फ्लू के लक्षण नहीं पाये गये हैं.
35 नमूनों की जांच एक में मिला इन्फ्लुएंजा बी टाइप विषाणु
मुजफ्फरपुर के 35 बीमार बच्चों में से एक में इन्फ्लुएंजा बी विषाणु मिला है. इसके अलावे 34 में मौसमी फ्लू के लक्षण मिले हैं. मुजफ्फपुर में कई बच्चों के बीमार होने की सूचना मिलने के बाद अगमकुआं स्थित राजेंद्र स्मारक चिकित्सा विज्ञान अनुसंधान संस्थान से वैज्ञानिक डॉ गणेश चंद्र साहू के नेतृत्व में डॉ देवजानी राम पुरकायस्था व डॉ मेजर मधुकर की एक टीम मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच में 15 व 16 सितंबर को गयी थी.
संस्थान के निदेशक डॉ कृष्णा पांडे ने बताया कि वहां से बुखार पीड़ित 35 बच्चों के स्बाव को जांच के लिए लाया गया था. यहां पर वायरोलॉजी लैब में श्वसन संबंधी वायरस की जांच की गयी. इसमें एक नमूने में इन्फ्लुएंजा बी टाइप विषाणु मिला, जबकि सभी में मौसमी फ्लू के लक्षण पाये गये.
निदेशक ने बताया कि यह मौसमी जनित रोग है. सावधानी बरतने की आवश्यकता है. पटना एम्स के डॉक्टर विनय कुमार ने बताया कि इन्फ्लुएंजा बी टाइप विषाणु का इलाज सही समय पर शुरू कर दें, अन्यथा यह खतरनाक हो सकती है.
Posted by Ashish Jha