मनीष कुमार, पटना/ मुंबई
अनुपमा फेम अस्मि देव अब एक नये शो ‘जागृति: एक नयी सुबह’ में लीड रोल में नजर आयेंगी. यह शो जी टीवी पर 16 सितंबर से शुरू हो रहा है. मुंबई में हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी गयी. इस धारावाहिक में अस्मि देव फियरलेस और पावरफुल लड़की का रोल प्ले कर रही हैं. वहीं आर्य बब्बर इस शो से आठ साल बाद टीवी पर वापसी कर रहे हैं. वो विलेन कालीकांत ठाकुर के रोल में दिखेंगे.
प्रभात खबर के साथ बातचीत करते हुए ‘जागृति: एक नयी सुबह’ के कलाकारों ने कहा, गुरुदेव भल्ला प्रोडक्शंस के निर्माण में बना‘ जागृति: एक नयी सुबह’, सात साल की बच्ची जागृति का हिम्मत से भरे सफर को दिखाता है. चित्ता समुदाय में पैदा होने के बावजूद वो आंख बंद करके खुद पर थोपे गये गुमनाम भविष्य को मानने से इनकार कर देती है. बेहद तेज तर्रार और उम्मीदों एवं हौसलों से भरी जागृति अपने लोगों को अपराधी करार देने के नाजायज रिवाज पर सवाल उठाती है. अपने मासूम मगर दमदार सवालों के साथ जागृति एक ऐसी चिंगारी भड़काती है, जो उसकी बिरादरी की इज्जत और हक की लड़ाई में बदल जाती है.
इस शो से आठ साल बाद टेलीविजन पर वापसी करने जा रहे पॉपुलर एक्टर आर्य बब्बर ने प्रभात खबर से विशेष बातचीत करते हुए इस शो में अपनी भूमिका के बारे में कई बातें शेयर कीं. उन्होंने बताया कि ‘जागृति: एक नयी सुबह’ में मैं कालीकांत ठाकुर के रोल में नजर आऊंगा. कालीकांत अपने गांव का सबसे अमीर और सबसे ताकतवर व्यक्ति होता है. पर वह बेहद जालिम, भ्रष्ट और औरतों से नफरत करने वाला इंसान है. जो अपने अवैध धंधे को बे-रोकटोक चलाने के लिए पुलिस और जंगल के अधिकारियों को रिश्वत देता है. जब भी अधिकारी उसका तस्करी का माल पकड़ते हैं, तो चित्ता समुदाय के किसी निर्दोश आदमी को इसका इल्जाम खुद पर लेना पड़ता है. कालीकांत की दबंगई और बेरहमी से चित्ता समुदाय का शोषण उस अंधेरी और क्रूर दुनिया का चेहरा दिखाती है, जिसे जागृति चुनौती देने की ठान लेती है. उन्होंने दर्शकों से कहा कि आप 16 सितंबर से हर रोज रात 8:30 बजे हमसे रूबरू हो सकते हैं.
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वहीं प्रोड्यूसर गुरुदेव भल्ला ने बताया कि ‘जागृति: एक नयी सुबह’ कमजोर और बेसहारा लोगों पर अत्याचार करने की बरसों से चली आ रही प्रथा पर रोशनी डालती है. झारखंड के जामताड़ा जिले के एक काल्पनिक गांव मोक्षगढ़ में रची-बसी कहानी जागृति – एक नयी सुबह, व्यवस्था की जड़ों में समाया अन्याय दिखाती है, जिसने चित्ता समुदाय के लोगों को दरकिनार करके उन्हें हमेशा के लिए गुमनामी के अंधेरे में धकेल दिया है. यहां बच्चों के पैदा होते ही उन पर अपराधियों का ठप्पा लगा दिया जाता है, उन्हें शिक्षा से दूर रखा जाता है और शिकार जैसे पेशे तक सीमित कर दिया जाता है. और इस इलाके में अपनी हुकूमत चलाने वाले दबंग जमींदार उनका शोषण करते हैं.
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