Loading election data...

नल जल कनेक्शन के लिए कोई भी फोटो आइडी हो मान्य, बिहार ने केंद्र को भेजा प्रस्ताव

कनेक्शन लेने वाले पीएचइडी अधिकारियों को अपना आधार नंबर नहीं दे रहे हैं. इस कारण से केंद्र व राज्य सरकार के आंकड़ों में लगभग 30 प्रतिशत तक काम में अंतर है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 14, 2021 9:13 AM

प्रह्लाद कुमार, प्रटना. मुख्यमंत्री हर घर नल का जल योजन के तहत सभी लाभुकों को आधार से जोड़ना अनिवार्य है, लेकिन कनेक्शन लेने वाले पीएचइडी अधिकारियों को अपना आधार नंबर नहीं दे रहे हैं. इस कारण से केंद्र व राज्य सरकार के आंकड़ों में लगभग 30 प्रतिशत तक काम में अंतर है.

इसके बाद पीएचइडी ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है कि उन्हें लाभुकों से आधार की जगह अन्य कोई फोटो पहचान लेने की अनुमति दी जाये, ताकि केंद्र -राज्य के आंकड़ों में कोई अंतर नहीं रहे.

प्रस्ताव में इस बात की अनुमति मांगी गयी है कि जिस तरह से वोट देते समय वोटरों को आधार के अलावा 10 तरह के फोटो पहचान दिखाने की सहूलियत मिली हुई है. उसी तरह से नल जल के लाभुकों को फोटो पहचान देने में दिया जाये.

आधार देने में डर रहे लोग

अधिकारियों के मुताबिक लोग आधार देने में कई तरह की भ्रांतियां हैं. उन्हें लगता है कि आधार देने के बाद उसका उपयोग योजना के अलावा अन्य कामों में हो सकता है. कई लोग इस डर से नहीं देते हैं कि आधार से कहीं उनका पैसा खाता से नहीं निकल जाये.

वार्डों में बनी है निबंधन कॉपी

वार्डों में डेटा रखने के लिए एक निबंधन कॉपी भी बनाया गया है, जो हर वार्ड में रखा गया है. इसमें लाभुकों का पूरा डेटाबेस रखा गया है. किस हाउस कनेक्शन से कितने लोग लाभ उठा रहे हैं.

किस वार्ड में कब योजना बंद हुई है.वह कितनी देर में दोबारा से चालू हुई है. इसका पूरा ब्योरा उस रजिस्टर में रहता है. इसमें काम होने के बाद लाभुक का हस्ताक्षर लिया जाता है.

करोड़ों परिवारों को मिल रहा है नल से जल

मुख्यमंत्री नल जल योजना में एक लाख 14 हजार 691 वार्डों के एक करोड़ 83 लाख से अधिक परिवारों तक शुद्ध जल पहुंचाने का लक्ष्य है.

अभी तक पीएचइडी व पंचायती राज विभाग ने एक करोड़ 76 लाख से अधिक परिवारों को कनेक्शन दिया गया है.

अब इन सभी कनेक्शन को नियमित चलाने के लिए विभाग तैयारी कर रहा पीएचइडी ने 56 हजार से अधिक वार्डों में काम किया है.

Posted by Ashish Jha

Next Article

Exit mobile version