पटना. बिहार में एक हजार से अधिक स्कूलों के वजूद खत्म होनेवाले हैं. बिना भूमि और भवन की व्यवस्था के खोल दिये गये उन तमाम स्कूलों को बंद करने का नीतिगत निर्णय लिया जा चुका है. सरकार ऐसे स्कूलों को पास के उन स्कूलों में मर्ज कर रही है जहां आधारभूत संरचना ठीक ठाक हैं. इन स्कूलों के शिक्षकों को भी नये सिरे से पदस्थापन का काम किया जा रहा है. बिहार में 70 हजार प्राथमिक और मध्य विद्यालय हैं. इनमें 1773 विद्यालयों के पास अपना भवन नहीं है. पटना जिले में ही 190 विद्यालय भवनहीन हैं, जो दूसरे विद्यालयों में चलाए जा रहे हैं. पटना क्षेत्र में 74 ऐसे विद्यालय हैं, जिनका अपना भवन नहीं है. इसमें 13 मध्य विद्यालय लड़कियों के हैं. ऐसे सभी विद्यालयों को मर्ज करने का निर्णय लिया गया है.
1999 से विभाग दिखा रहा था अपनी जमीन अपना भवन का सपना
अपनी जमीन अपना भवन का यह सपना शिक्षा विभाग 1999 से दिखा रहा है. इसके बाद भी भवनहीन विद्यालयों के लिए 23 साल से जमीन की तलाश पूरी पूरी नहीं कर सका है. 1999 में शिक्षा विभाग ने लोगों तक शिक्षा पहुंचा ने के लिए प्रदेश में लगभग 20 हजार विद्यालयों बनाए थे. यहां-वहां की तर्ज पर बनाए गए विद्यालयों का निर्माण किया गया था. योजना थी कि दो-तीन साल में अपनी जमीन खोज कर स्कूल को भवन उपलब्ध कराया जा सके. लेकिन, 23 साल खत्म हो चुके है इसके बाद भी 1773 स्कूलों को अपना भवन नहीं मिला है. बिहार में प्राथमिक और मध्य विद्यालयों की संख्या 70 हजार है. इनमें प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 38 हजार और मध्य विद्यालयों की संख्या 32 हजार है. पटना में 3339 प्राथमिक और मध्य विद्यालय हैं, जिसमें 2183 प्राथमिक और 1140 मध्य विद्यालय हैं.अल्पसंख्यकों के लिए 16 मध्य विद्यालयों और 12 प्रस्वीकृत विद्यालय है.
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मधेपुरा के कई स्कूलों के वजूद पर संकट
मधेपुरा जिले के कुमारखंड में दर्जनों विद्यालय अभी भी भूमि व भवनहीन है. अब इन विद्यालयों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है. जल्द ही ऐसे विद्यालयों की स्वीकृति रद्द कर विद्यालय में पदस्थापित शिक्षकों को अन्यत्र दूसरे विद्यालयों में पदस्थापित कर दिया जायेगा. ग्रामीण क्षेत्र के कई प्राथमिक व मध्य विद्यालय भूमिहीन व भवनहीन रहने के कारण अन्य प्राथमिक या मध्य विद्यालय में टैगकर एक ही विद्यालय परिसर में एक से अधिक विद्यालय संचालित किया जा रहा है. इन विद्यालयों को भूमि उपलब्ध कराने के प्रयासों के बावजूद इन्हें भूमि उपलब्ध नहीं करायी जा सकी है. इस कारण इन विद्यालयों का भवन निर्माण नहीं कराया जा सका है. ऐसी स्थिति में पठन-पाठन की वैकल्पिक व्यवस्था के तहत इन संचालित विद्यालयों को अन्य भवनयुक्त प्राथमिक या मध्य विद्यालय में संविलियन का प्रस्ताव विचाराधीन है. इस संबंध में शिक्षा विभाग द्वारा एक सप्ताह के अंदर सूची उपलब्ध कराने का आदेश जारी किया गया है.
दो-तीन किमी तक दूर हो जायेंगे छात्राओं के लिए स्कूल
अब नए नियम के तहत स्कूल मर्ज करने पर कहीं एक किलोमीटर में दो-तीन विद्यालय और कहीं पर तीन से चार में एक भी विद्यालय नहीं होंगे. पटना में लगभग 100 विद्यालयों को मर्ज किया जा चुका है. लगभग है 90 विद्यालयों को मर्ज किए जाने के लिए जमीन की तलाश की जा रही है. कई विद्यालय ऐसे हैं जहां पर भवन की अपेक्षा छात्र-छात्राओं संख्या काफी अधिक है. ऐसे में इनको मर्ज किए जाने पर शिक्षकों को संख्या कम पड़ जाएगी. इसको देखते हुए विद्यालयों के लिए जमीन की तलाश की जा रही है.
डीईओ से मांगी गयी थी सूची
इस संबंध में भी विभाग ने 11 अप्रैल 2022 को ही जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र लिखा था कि राज्य में वैसे दो या दो से अधिक विद्यालय जो एक ही विद्यालय के भवन में संचालित हैं, उन्हें एक विद्यालय में सामयोजित कर अतिरिक्त शिक्षकों को अन्यत्र स्थानांतरित कर दें. सरकार ने स्पष्ट रूप से समग्र शिक्षा अभियान के प्रोजेक्ट अप्रूवल प्रू बोर्ड की बैठक में 1885 विद्यालयों को बंद कर दूसरे विद्यालय में समाहित करने की बात कही थी. प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने भी इसी आशय में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को आदेश निर्गत किया है कि भवनहीन या भूमिहीन विद्यालयों को नजदीकी विद्यालय में समाहित करते हुए अतिरिक्त शिक्षकों को किसी अन्य विद्यालय में स्थानांतरित किया जाय.