अप्रैल फूल बनाया,
तो उनको गुस्सा आया…
तो मेरा क्या कसूर,
जमाने का कसूर…
जिसने दस्तूर बनाया,
अप्रैल फूल बनाया…
फिल्म ‘अप्रैल फूल’ के इस गाने को हर किसी ने सुना और गुनगुनाया होगा. इस गाने के बोल सुनकर भले ही हम खुश हो जाते हैं, लेकिन सच्चाई तो यह है कि मूर्ख बनना किसी को पसंद नहीं है. फिर भी एक अप्रैल के दिन को अप्रैल फूल दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन हम दूसरों को मूर्ख बनाकर भले ही खुश होते हैं, लेकिन आजकल हम सभी रोजाना फूल बन रहे होते हैं. मूर्ख बनाने वाले भी कई तरह के हथकंडे अपनाने लगे हैं. अप्रैल फूल डे पर पेश है अश्वनी कुमार राय की रिपोर्ट.
भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हर साल अप्रैल फूल डे मनाया जाता है. कई देशों में इस दिन छुट्टी भी होती है. इस दिन लोग एक-दूसरे से मजाक व मस्ती करते हैं. फिर चाहे वो मैसेज भेजकर हो या फिर प्रैंक कर के. इन मजाकों का लोग एंज्वॉय करते हैं. क्या आप जानते हैं कि इस दिन को कब से मनाया जा रहा है कैसे और क्यों इसकी शुरुआत हुई. आइए जानते हैं …
ऐसा कहा जाता है कि पहला अप्रैल फूल डे साल 1381 में मनाया गया था. दरअसल इसके पीछे एक मजेदार कहानी है. दरअसल, इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी ने सगाई का ऐलान किया था और इसमें कहा गया कि सगाई के लिए 32 मार्च 1381 का दिन चुना गया है. लोग बेहद खुश थे और जश्न मनाने में लगे थे. पर, बाद में उन्हें एहसास हुआ कि ये दिन तो साल में आता ही नहीं. 31 मार्च के बाद 1 अप्रैल को तभी से मूर्ख दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत हो गयी.
अलग-अलग देशों में अलग-अलग तरीकों से अप्रैल फूल डे मनाया जाता है. जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका और ब्रिटेन में अप्रैल फूल डे सिर्फ दोपहर तक मनाया जाता है. जबकि कुछ देशों- जापान, रूस, आयरलैंड, इटली और ब्राजील में पूरे दिन फूल डे मनाया जाता है.
Posted by Ashish Jha