चीतल मछली का अब जिले में होगा उत्पादन
मत्स्य पालकों को केवीके ने उपलब्ध कराया मछली के विशिष्ट प्रजाति का बीज दस हजार चीतल मछली बीज का हुआ वितरण अररिया : जिले में मछली की विशिष्ट प्रजाती चीतल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने दस हजार चीतल मछली का बीज स्थानीय मत्स्य पालक किसानों के वितरित किया है. […]
मत्स्य पालकों को केवीके ने उपलब्ध कराया मछली के विशिष्ट प्रजाति का बीज
दस हजार चीतल मछली बीज का हुआ वितरण
अररिया : जिले में मछली की विशिष्ट प्रजाती चीतल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने दस हजार चीतल मछली का बीज स्थानीय मत्स्य पालक किसानों के वितरित किया है. मंगलवार को केवीके में एक खास कार्यक्रम के दौरान किसानों के बीच बीज का वितरण किया गया. जानकारी मुताबिक केवीके के वैज्ञानिक ठहरे हुए निजी जल स्त्रोंतों में इसके उत्पादन को लेकर विशेष अध्ययन करेगा. सामान्यत: मछली की यह विशिष्ट प्रजाति नदियों में प्राकृतिक रूप से पाये जाते हैं. चीतल मछली की खासियत है कि उचित खुराक मिलने यह तेजी से विकास करता है. सामान्यत: एक साल में
इसके वजन में तीन से चार गुणा तक बढ़ जाता है. इसके अलावा बाजार में चीतल मछली की मांग काफी ज्यादा है. खुले बाजारों में मछली सात सौ से आठ सौ रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकते हैं. मत्स्य पालकों के लिए चीतल का उत्पादन फायदेमंद माना जाता है. ऐसा इसलिए कि चीतल मछली एक मीटर लंबी व 10 से 15 किलो का वजन बहुत तेजी से प्राप्त कर लेता है. केवीके के मत्स्य वैज्ञानिक रविंद्र जलज ने बताया कि मछली खाने वाले लोगों में चीतल को बेहद पसंद किया जाता है. इससे किसानों को दो से तीन लाख तक की आमदनी सालाना हो सकती है. मौके पर केवीके के वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार, डॉ बीके मिश्रा, आफताब आलम, मनीष कुमार, गौतम कुमार व मत्स्य पालक किसान प्रमोद झा, संतोष झा, मो तकजूल, मो परवेज व अन्य शामिल थे.