दस हजार से अधिक की शहरी आबादी जैसे-तैसे जीवन बसर करने को मजबूर

अररिया : जिले में अचानक आयी बाढ़ के बाद जिला मुख्यालय से होकर गुजारने वाली एचएच 57 लोगों के शरणस्थली में तब्दील हो चुका है. शहर के गोढ़ी चौक और जीरोमाईल के पास सैकड़ों की संख्या में झुग्गी झोपड़ी में दस हजार से अधिक की शहरी आबादी जैसे तैसे जीवन बसर कर रहा है. भूख […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 17, 2017 5:48 AM

अररिया : जिले में अचानक आयी बाढ़ के बाद जिला मुख्यालय से होकर गुजारने वाली एचएच 57 लोगों के शरणस्थली में तब्दील हो चुका है. शहर के गोढ़ी चौक और जीरोमाईल के पास सैकड़ों की संख्या में झुग्गी झोपड़ी में दस हजार से अधिक की शहरी आबादी जैसे तैसे जीवन बसर कर रहा है. भूख और प्यास से तड़पती सैकड़ों जिंदगियां तरस रहे हैं. प्रशासन द्वारा उपलब्ध करायी जा रही मदद महज कुछ लोगों तक सीमित हो कर रह जा रहा है. गोढ़ी चौक पर झोपड़ी में शरण लिये वार्ड संख्या 12 के मो तय्युब की मानें तो बीते चार दिनों में किसी वरीय अधिकारी व राजनेता ने उनकी कोई खोज-खबर नहीं ली. प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा राहत बेहद सीमित है. झोपड़ी में रह रही बीबी सहारू ने बताया कि भूख-प्यास से उनके बच्चों की हालत दयनीय होते जा रही है.

किसी तरह एक पॉलिथिन का जुगाड़ कर तीन बच्चे व परिवार के अन्य सदस्य के साथ वह यहां रह रही है. भूख और प्यास से बेहाल मधु देवी ने कहा कि उनके पति बाहर हैं. ऐसे में वह अकेली अपने बुजुर्ग सास-ससुर और दो छोटे बच्चों को जीवित रखने की जुगत में लगी है. उन्होंने कहा कि प्रशासन की तरफ से पानी के दो ट्रक भेजे गये लेकिन लंबी कतार में घंटों खड़े रहने के बाद भी पानी नसीब नहीं हो सका. झोपड़ी में शरण ले कर रह रही 80 वर्षीय बुजुर्ग कोकिला देवी ने कहा कि दो दिनों से वह तेज ज्वर व दस्त से परेशान है. दवा के लिए पैसे नहीं हैं. वार्ड संख्या 12 के मो इशाक ने कहा कि जरूरत मंद लोगों की मदद के लिए प्रशासन का यही रवैया अगर आगे भी कायम रहा तो कई लोगों को अपने जान से हाथ धोना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि झोपड़ी में रह रहे आधे से अधिक लोगों की सेहत किसी न किसी रूप में प्रभावित है.

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