अररिया :सीमांचल के गांधी कहे जानेवाले पार्टी के वरीय उपाध्यक्ष, स्वभाव से नाइंसाफी के खिलाफ बेबाक बोलनेवाले चाचा तसलीमउद्दीन के निधन से मर्माहत हूं. उन्होंने कहा वह हमसे सीनियर थे. उन्हें हम चाचा कहते थे. कभी-कभी तो हमें भी डांट देते थे. उन्हें डांटने का अधिकार भी था. स्वभाव से वे दानवीर कर्ण थे. उक्त बातें राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अररिया में कहीं. वह यहां तसलीमुद्दीन को श्रद्धासुमन अर्पित करने आये थे.
उन्होंने कहा कि ‘चाचा’ मेरे साथ व जननायक कर्पूरी ठाकुर के साथ लोकदल से जुड़े थे. सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता के पैरोकार, गरीबों-किसानों, दबे-कुचलों के हक की लड़ाई लड़नेवाले, सीमांचल के विकास के लिए हमेशा बोलते रहते थे. वे बड़े ही मर्माहत भाव से बोले कि बीमार होने के बाद से उनके साथ साया के तरह रहनेवाले पोलो झा, उनके पुत्र सरफराज आलम से संपर्क में थे. जब उनके निधन की सूचना मिली, तो मर्माहत हो गया. उनकी मौत से न सिर्फ पार्टी को नुकसान हुआ है, बल्कि इंसानियत के लिए लड़ने वाला एक जांबाज के चले जाने से सीमांचल में एक राजनैतिक शून्यता आ गयी है. इसकी भरपाई करना मुश्किल है.
लालू प्रसाद यादव ने कहा कि देश जब तानाशाही की ओर जा रहा है. संविधान पर खतरा उत्पन्न गया है. इसके विरुद्ध संघर्ष की जरूरत है. ऐसे में उनके निधन से अपूरणीय क्षति हुई है. ऐसे नेता तो विरले ही पैदा होते हैं. इस मौके पर पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी, पूर्व मंत्री चंद्रशेखर यादव, विधायक यदुवंश यादव, अनिल कुमार यादव, पूर्व विधायक जाकिर अनवर, दिलीप कुमार यादव सहित राजद जिलाध्यक्ष मो कमरूज्जमा सहित अन्य पदधारक मौजूद थे.