अररिया: कोरोना काल के बीच सनसनाती हुई खबर लोगों के जेहन तक तब पहुंची जब अररिया नप के मुख्य पार्षद रीतेश राय के विरुद्ध नगर परिषद के विभिन्न वार्डों के 11 पार्षदों के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. 30 जून 2020 को पार्षद अंजुमन आरा, मुशरर्फ जहां, स्वीटीदास गुप्ता, नारायण पासवान, रंजीत पासवान, फरीदा खातुन, श्याम कुमार मंडल, रोशन आरा सहित कुल 11 पार्षदों ने मुख्य पार्षद को आवेदन देकर तीन आरोप लगाते हुए अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करते हुए 15 दिनों के अंदर बैठक बुलाकर चर्चा करने की मांग की है.
उन्होंने आरोप लगाया है कि मुख्य पार्षद के कार्यकाल में बोर्ड की नियमित मासिक बैठक नहीं बुलायी जाती है, विगत चार-पांच माह से विकास कार्यों में मुख्य पार्षद के द्वारा रुचि नहीं लीया जा रहा है. ईईएसएस द्वारा नप क्षेत्र में पथ प्रकाश की समुचित व्यवस्था में रूचि नहीं लेने के पश्चात भी उसके विरुद्ध अब तक कोई भी विभागीय कार्रवाई नहीं किया जाना यह प्रतीत कराता है कि मुख्य पार्षद अपने दायित्वों के प्रति गंभीर नहीं है. अत: उन्हें 15 दिनों के अंदर इन बिंदुओं पर संतोषजनक जबाव देना होगा अन्यथा उन्हें अपने पद व दायित्वों से वंचित होना होगा. इधर विरोधी खेमा की मानें तो एक सोची समझी रणनीति के तहत अविश्वास का स्वांग रचा गया है.
अररिया नगर परिषद में पार्षदों की संख्या 29 है. इसलिए यह आवश्यक है कि अविश्वास को खारिज करने के लिए 15 पार्षदों का जादुई आंकड़ा चाहिए. सूत्रों की मानें तो अविश्वास को लेकर पार्षदों के द्वारा ही मोर्चा खोला गया है. मुख्य पार्षद के समर्थित पार्षद ही उनसे नाराज चल रहे थे. जिसे पाटने का प्रयास निरंतर किया जा रहा था. हालांकि विरोधियों की मानें तो अविश्वास का यह खेल मुख्य पार्षद के द्वारा खुद से ही रचा गया है. उनके ही कुछ निजी पार्षदों के द्वारा उन्हें खुद को सुरक्षित करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने की नसीहत दी गयी है. विश्वस्त सूत्रों की मानें तो 11 पार्षदों ने अविश्वास लाया है, लेकिन शहर के 21 पार्षद शहर से गायब हैं.