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प्रेम प्रसंग में घर से फरार होते हैं,दर्ज कराते हैं अपहरण की प्राथमिकी

बाद में कहा जाता है प्रेम प्रसंग में भागे, की शादी, केवल बालिग व नाबालिग होने तक कानूनी कार्रवाई का होता है फर्क अमूमन हर माह सभी थानों में दर्ज होते हैं इस तरह के अपहरण के मामले पिछले साल जिले भर में दर्ज हुए हैं लगभग 100 इस तरह के मामले अररिया : अमूमन […]

बाद में कहा जाता है प्रेम प्रसंग में भागे, की शादी, केवल बालिग व नाबालिग होने तक कानूनी कार्रवाई का होता है फर्क

अमूमन हर माह सभी थानों में दर्ज होते हैं इस तरह के अपहरण के मामले
पिछले साल जिले भर में दर्ज हुए हैं लगभग 100 इस तरह के मामले
अररिया : अमूमन हर माह जिले के सभी थानों में अपहरण का मामला अंकित होता है. यह अपहरण न तो फिरौती के लिए होता है और न ही अन्य किसी कारणों से दर्ज होता है, बल्कि लड़कियों के अपहरण में एक मात्र जुमला होता है कि अमुक-अमुक ने मेरी नाबालिग बिटिया को बहला-फुसला कर बुरी नीयत से अपहरण कर लिया है. कांड दर्ज होने के बाद पुलिस अपहृता की बरामदगी और अपहरणकर्ता की गिरफ्तारी के लिए जुट जाती है. फोन नंबर को खंगालने के लिए सर्विलांस पर रख कर लोकेशन की तलाश में दिन-रात एक कर देती है. इधर, कथित अपहृता के परिजन अनुसंधानकर्ता से लेकर वरीय पदाधिकारियों तक पहुंच कर अपनी पीड़ा बयां कर दबाव बनाने लगते हैं. जब पुलिस अपहृता को पकड़ लाती है, तो कहानी कुछ और हो जाती है.
अपहरण के आरोप को झुठला देती है. परिजनों द्वारा दर्ज करायी प्राथमिकी पर ही सवाल उठने लगता है. लगभग हर सप्ताह इस तरह का मामला नगर थाना में ही देखने सुनने को मिल जाता है. यह अलग बात है कि परिजनों की आंखें शायद उस समय बंद रह जाती हैं, जब अपनी बिटिया पर सख्त नजर रखनी चाहिए कि बिस्तर पर देर रात तक फोन पर किससे और क्यों बात करती है या फिर अमुक लड़का क्यों घर पर आता-जाता है. इसके बाद होता यह है कि प्रेम की डोर से खिंची चली गयी. बिटिया प्रेमी के साथ फरार हो जाती है. इसके बाद परिजन अपहरण का मामला दर्ज करता है. उसके निशाने पर पुलिस व उनकी बेटी का कथित प्रेमी होता है.
यह माजरा जिले के लिए एक किस्सागोई के तौर पर लिया जाने लगा है. अपहरण का कांड दर्ज होते ही कहा जाने लगता है कि मामला अपहरण का नहीं, प्रेम-प्रसंग का है. अंतत: सच भी यही होता है.
केस दर्ज होने के बाद वापस आते हैं प्रेमी युगल, कहते हैं अपनी इच्छा से गये थे
केस स्टडी-एक
तीन वर्ष से एक शादीशुदा व्यक्ति को प्यार करती थी. प्यार में उसे दिल दे बैठी. फिर उसके साथ घर-द्वार, नाते-रिश्तेदार की बिना परवाह किये अपने शादीशुदा प्रेमी के साथ चली जाती है. इधर, परिजन नगर थाना थाना में अपहरण को ले कांड संख्या 146/17 दर्ज कराते हैं. लगभग छह माह बाद लड़की वापस आती है. वह अपहरण के आरोप को नकार देती है. कहती है कि अपनी इच्छा से उसके साथ गयी थी. प्रेम-प्रसंग का मामला सच होता है. लड़की अपनी मायके चली गयी.
केस स्टडी-दो
लंबे समय से युवती का प्यार एक ऐसे युवक से चल रहा था, जो धर्म तो एक मगर दूसरी जाति का था. वर्षों से प्यार को मुकाम मिले, प्रेमी युगल की चाहत थी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. शादी किसी दूसरे लड़के से परिजनों ने कर दी. शादी के बाद लड़की मायूस रहने लगी. प्यार जोर मारा तो वह घर से निकल कर उस डगर पर चल पड़ी, जो डगर उसे चाहत की मुकाम तक ले जाती. परिजनों ने नगर थाना में अपहरण को ले कांड संख्या 816/17 दर्ज कराया. लड़की आयी. कागजी कोरम पूरा हुआ और वह प्यार के मुकाम को पाने में कामयाब रही. दोनों अभी खुशहाल जिंदगी गुजार रहे हैं. अपहरण का मामला झूठा निकला.
केस स्टडी- तीन
पिता ने अपनी लड़की के अपहरण को लेकर नगर थाना में कांड संख्या 882/17 दर्ज कराया. लड़की भाड़े के मकान में रहकर पढ़ाई करती थी. कथित प्रेमी के संपर्क में आयी. प्यार परवान चढ़ा तो वह चल पड़ी प्रेमी के साथ. इधर पुलिस पर दबाव बढ़ता गया. छानबीन जारी थी कि इस बीच लड़की स्वयं थाना आ पहुंची. कथित नामजद अभियुक्त प्रेमी से शादी कर लेने, नेपाल में शादी करने व अपहरण के आरोप को सिरे से खारिज करने की. मामले में भी अपहरण की बात गलत साबित हुआ.
केस स्टडी-चार
प्यार में जाति, ऊंच-नीच की दीवार कोई मायने नहीं रखता है. नगर थाना में दर्ज कांड संख्या 89/17 इसी ओर इशारा करता है. बेपनाह मोहब्बत में बावला हो चुकी कथित अपहृता स्वयं थाना पहुंच कर बयां करती है बालिग हूं. किसी ने मेरा अपहरण नहीं किया है. मैं स्वयं (प्रेमी) के साथ गयी थी. उसी के साथ जीवन बिताना चाहती हूं. अलग बात है कि लड़की इन दिनों रिमांड होम पटना में है.

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