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हरियाणा निर्मित रॉयल स्टैग है नकली, उत्पाद रसायन परीक्षक की जांच में खुलासा

अररिया : बिहार में शराबबंदी अभियान को कड़ाई से लागू किया गया है. इसके अनुश्रवण व जांच के लिए सीमावर्ती अररिया जिले में तीन स्तर पर निगरानी का दायित्व एसएसबी, बिहार पुलिस व उत्पाद विभाग के जिम्मे है. बावजूद शराब की तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है. रोजाना शराब तस्कर व अवैध शराब […]

अररिया : बिहार में शराबबंदी अभियान को कड़ाई से लागू किया गया है. इसके अनुश्रवण व जांच के लिए सीमावर्ती अररिया जिले में तीन स्तर पर निगरानी का दायित्व एसएसबी, बिहार पुलिस व उत्पाद विभाग के जिम्मे है. बावजूद शराब की तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है. रोजाना शराब तस्कर व अवैध शराब की खेप को एसएसबी, उत्पाद विभाग व पुलिस पकड़ रही है.
लेकिन, चोरी-छिपे हो रहे इस खेल का नाजायज फायदा और अधिक मुनाफा कमाने की नीयत से शराब कारोबारियों द्वारा जिले या फिर जिले से बाहर मधेपुरा, सुपौल, पूर्णिया आदि स्थानों पर नकली शराब पहुंचाने का खुलासा सामने आया है. यह खुलासा हाल के दिनों में पुलिस, उत्पाद व एसएसबी द्वारा पकड़ी गयी हरियाण निर्मित शराब की सैंपल की जांच कराने के बाद हुआ है.
उत्पाद रासायनिक परीक्षक बिहार पटना के सुबोध कुमार यादव ने विभिन्न जांच रिपोर्ट में यह बताया किइस नाम के सैंपल की जांच के बाद अल्कोहल के अलग-अलग परिणाम आये हैं. इसमें किसी में 37.34 प्रतिशत तो किसी में 37 प्रतिशत तो किसी में 30 प्रतिशत अल्कोहल की मात्रा पाया गयी है. जबकि, उत्पाद विभाग के अधिकारियों के अनुसार, अंग्रेजी शराब में स्टैंडर्ड अल्कोहल की मात्रा 42.8 प्रतिशत होनी चाहिए. यह एक शोधा हुआ मानक है. इससे कम स्ट्रेंग्थ वाले अल्कोहल की मात्रा वाले शराब किसी अनाधिकृत लोगों द्वारा चोरी-छिपे तैयार किये जा रहे हैं, जो कि पीने वाले के लिए जानलेवा साबित हो सकता है.
शराब के नाम पर तैयार हो रहा जहर : सवाल उठता है कि हरियाणा की शराब सीमावर्ती क्षेत्र अररिया से क्यों टपाया जा रहा है. क्या इस शराब का उत्पादन आसपास ही कहीं हो रहा है. सूत्रों से मिला जानकारी चौंकाने वाली है. बताया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार की आंख में धूल झोंककर पांजीपाड़ा में अवैध शराब का निर्माण कराये जाने की सूचना है, जो कि पुन: नेपाल या फिर ठाकुरगंज, किशनगंज के रास्ते बिहार के जिलों में खपाया जा रहा है.
यह शराब बन सकता है जानलेवा : हरियाणा निर्मित शराब के अल्कोहल में अलग-अलग स्ट्रैंग्थ ने उत्पाद विभाग के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है. 27 अक्तूबर, 17 को रोहतास में जहरीली शराब के कारण पांच लोगों की मौत व अगस्त, 2016 में गोपालगंज में जहरीली शराब से 13 लोगों की मौत हो चुकी है.
यह शराब स्पिरिट व डिनेचर स्पिरिट के प्रयोग की जानकारी नहीं होने के कारण बनायी जा रही शराब का खतरनाक रूप है. स्पिरिट व डिनेचर स्पिरिट के रंग, सुगंध या देखने में कोई अंतर नहीं होता है. लेकिन, इसके मिश्रण की सही जानकारी नहीं होना और पिये जाने पर जिंदगी को मौत के सामने डाल देना है. ट्रवे ड्राम से निकालकर धंधेबाजों के हाथों बेच देते हैं, जो कि शराब तैयार करते हैं. मिश्रण का सही अंदाजा नहीं होने के कारण इसके अल्कोहल के स्ट्रैंग्थ में कहीं 34, कहीं 37 तो 30 प्रतिशत पाया जा रहा है.
दो जांच रिपोर्टों के अलग-अलग परिणाम
कांड संख्या 01/2018 के तहत जब्त हरियाणा निर्मित शराब की बैच संख्या 0035/17, 17 सितंबर, 2017 के सैंपल की जांच में अल्कोहल का स्ट्रैंग्थ 30.94 प्रतिशत पाया गया. जबकि, उसी दौरान बरामद की गयी दूसरी अंग्रेजी शराब के सैंपल की जांच में शराब के स्ट्रैंग्थ में अल्कोहल की मात्रा 42.8 प्रतिशत मिली, जिसे सही मानक माना जाता है.
कहते हैं उत्पाद अधीक्षक
सैंपल की जांच चौंकाने वाले हैं. हरियाणा निर्मित शराब के नाम पर अवैध कारोबारियों द्वारा जहर बेचे जाने के समान है. उनकी टीम सक्रिय है. जिले की सीमाओं पर नाका गश्ती दल को एलर्ट कर दिया गया है. यह शोध से तैयार किया हुआ नहीं है.
लाला अजय कुमार सुमन, उत्पाद अधीक्षक

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