साइबर अपराधी मस्त, पुलिस पस्त, लूट रही लोगों की कमाई

बैंक में राशि जमा करे तो चट कर जाते हैं साइबर अपराधी, घर में चोर, आखिर कहां जाये लोग अररिया : यह अजीब सी परेशानी है कि लोगों के पास कि वे करे भी तो क्या करें. बैंक में राशि जमा करते हैं तो चट कर जाते हैं साइबर अपराधी, अगर घर में राशि रखते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 27, 2018 6:35 AM

बैंक में राशि जमा करे तो चट कर जाते हैं साइबर अपराधी, घर में चोर, आखिर कहां जाये लोग

अररिया : यह अजीब सी परेशानी है कि लोगों के पास कि वे करे भी तो क्या करें. बैंक में राशि जमा करते हैं तो चट कर जाते हैं साइबर अपराधी, अगर घर में राशि रखते हैं तो उस पर चोर की निगाह चली जाती है. ऐसे में अब लोग इस बात को लेकर खासा परेशान हैं कि वे करें भी तो क्या करें. सुरक्षा के मानक धरे के धरे रह जाते हैं. उनके सवाल अटपटे जरूर हैं लेकिन हैं भी सही कि आखिर साइबर अपराधी किस प्रकार से यह जान जाते हैं कि मोबाइल नंबर धारक का खाता नंबर क्या है. कही न कही बैंक प्रबंधन का सुरक्षा मानक ठोस नहीं है. या फिर वहां से ऐसे गोपनीय दस्तावेज चोरी छिपे निकाले जा रहे हैं. क्योंकि ऐसे ज्यादातर मामले में पुलिस के हाथ में बाद में फर्जी नाम सामने आ जाते हैं. आखिरकार फर्जी खाते कैसे खुल जाते हैं. यह भी बड़ा सवाल है.
एनएम मनीषा कुमारी के साथ गठित घटना पर अगर गौर करें तो इन्हें न तो फोन आया न ही इनको किसी प्रकार की सूचना दी गयी. वह तो भला हो मोबाइल बैकिंग मैसेज का उन्हें इस बात का पता चला कि दो दिनों में उनकी गाढ़ी कमाई 2.91 लाख उड़ गये. हालांकि उनके खाते से हस्तांतरित हुई राशि झारखंड के रांची निवासी शांति कुमारी व पिंटू दास के खाते में गयी है. वही सेवानिवृत शिक्षक आश्रम मोहल्ला निवासी जय प्रकाश साह के बारे में अपराधी को यह कैसे पता चला कि उन्होंने एटीएम कार्ड के लिए बैंक में आवेदन दिया है. उन्हें फोन आया तो वे सच मान बैठे. क्योंकि उनके द्वारा तो एटीएम कार्ड के लिए आवेदन किया गया था.
साइबर अपराधी इतना साहसी कि वह बार-बार उन्हें फोन करता रहा. जब तक सवेरा होता और वे बैंक पहुंचते उनके खाते से 49,995 रुपये निकल चुके थे. राशि ज्यादा भी हो सकती थी. लेकिन मार्केटिंग नियमों के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने एकाउंट से एक बार में 9,999 रुपये का ही मार्केटिंग कर सकता है. इसलिए सेवानिवृत शिक्षक बच गये. लेकिन यह सिलसिला न तो रूक रहा है. न ही ऐसे अपराधी पुलिस गिरफ्त में ही आ पा रहे हैं. ऐसे में लोगों की गाढ़ी खून पसीने की कमाई राशि साइबर अपराध के भेंट चढ़ते जा रहे हैं.

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